राजपथ - जनपथ
तबादले से उपचुनाव की तैयारी की झलक
खैरागढ़ विधानसभा उपचुनाव की तारीख को लेकर चल रही अटकलों को हाल ही में राजनांदगांव के शीर्ष पुलिस अफसरों को कुछ माह के भीतर जिले से बाहर पदस्थ करने से, बल मिल रहा है कि जल्द ही खैरागढ़ की जनता को करीब पौने दो साल के लिए नए विधायक को चुनने मतदान केंद्रों का रूख करना पड़ेगा। एसपी डी. श्रवण के तबादले के दो दिन बाद 2008 बैच के एएसपी जयप्रकाश बढ़ई, प्रज्ञा मेश्राम और सुरेशा चौबे को सरकार ने हटा दिया। तीनों अफसरों के हटने के पखवाड़ेभर बाद गंडई एसडीओपी अनुराग झा को महज चार माह के कार्यकाल के बाद कांकेर भेज दिया गया। बेसमय हटाए गए अफसरो का तर्क है कि खैरागढ़ उपचुनाव के चलते उन्हें दीगर क्षेत्रों में पदस्थ किया गया है। बताते है कि जयप्रकाश और प्रज्ञा ने राजनांदगांव में ही स्कूल और कॉलेज स्तर की पढ़ाई की। महकमें में दोनो को राजनांदगांव जिलें का ही माना जाता है। वही अनुराग झा मूल रूप से खैरागढ़ के ही बांशिदें है, इसलिए उन्हें जिले से हटाया गया है। सुनते है कि राज्य निर्वाचन आयोग ने विभागो के कर्मियों की सूची भी मांगी है। विभागीय प्रमुख जानकारी को एक तरह से चुनाव की तैयारी का प्रांरभिक हिस्सा मान रहे है। वैसे तीनों एएसपी के तबादले में सबसे ज्यादा चर्चा प्रज्ञा मेश्राम की हो रही है। प्रज्ञा को नांदगांव में छह माह पहले ही सरकार ने भेजा था। उनके बालोद पोस्टिंग की चर्चा इस वजह से भी है, क्योंकि वह इसी जिले की रहने वाली है।
एफआईआर की पतली गली..
गोरखानगर कॉलोनी, सिविल लाइंस रायपुर की एक युवती का एफआईआर पुलिस रिकॉर्ड में कुछ इस तरह से दर्ज किया गया है- रात 9 बजे के आसपास घर के सामने टहल रही थी। बात करने के बाद अपना मोबाइल फोन पर्स में रख लिया। जिम के सामने से गुजरी, तीन चार अनजान लोग दिखे थे। थोड़ी देर में फिर से बात करने के लिये पर्स को टटोला तो मोबाइल फोन गायब था।
अब इस एफआईआर से कहीं से पता चलता है क्या कि युवती से मोबाइल फोन की स्नैचिंग हुई है? एफआईआर के मजनून ऐसा लगता है कि पर्स से मोबाइल फोन गिर गया होगा, किसी ने चुपचाप निकाल लिया और युवती को पता नहीं चला। मगर सीसीटीवी का फुटेज जो युवती ने हासिल किया, से पता चलता है कि युवती फोन से बात कर रही थी, इसी दौरान स्कूटर पर सवार दो युवकों ने फोन छीन लिया तेज गति से भाग गये। युवती दौडक़र पीछा करने की कोशिश भी कर रही है।
युवती ने सही-सही बयान दिया, लेकिन पुलिस ने लूट, झपटमारी की रिपोर्ट नहीं लिखी। शायद, उसके लिये यही सुविधाजनक था। लूट की घटना बड़ी हो जाती, बदमाशों की तलाश में तुरंत भाग दौड़ करनी पड़ती। प्राय: पुलिस अपने हर एफआईआर में यह लिखकर हस्ताक्षर लेती है कि जैसा प्रार्थी ने बताया है, वैसा लिखा गया है।
राजधानी में जब इस तरह की गैर-जिम्मेदाराना पुलिसिंग हो रही हो, तो आईपीएस अधिकारी नाहक प्रदेशभर में अपनी छवि सुधारने की कोशिश और पब्लिक फ्रैंडली होने के लिये मेहनत करते हैं।
हाथी का जन्मोत्सव
बीते सप्ताह इस स्तंभ में जिक्र हुआ था कि पसान वन क्षेत्र के हाथियों के साथ वहां रहने वाले ग्रामीण किस तरह तालमेल बिठाने की कोशिश कर रहे हैं। यहां 7-8 माह से हाथियों का दल रुका हुआ है और ग्रामीणों को कोई परेशानी नहीं है। कभी-कभी उनकी बाड़ी में आकर भी हाथी उदरपूर्ति करके चले जाते हैं, पर वे वन विभाग से न हाथियों को भगाने के लिये कहते, न ही फसल को हुई क्षत्ति का मुआवजा मांगते।
इसी कड़ी में एक घटना रायगढ़ जिले से जुड़ गई है। लैलूंगा तहसील के वन ग्राम मुकडेगा में नवजात हाथी शावक का जन्मोत्सव मनाया गया। जिस जगह पर शावक ने जन्म लिया, बड़ी संख्या में ग्रामीण एकत्र हुए। परंपरा के मुताबिक गांव के धोबी, नाई, राऊत, बैगा-पुजारी भी पहुंचे। विधिपूर्वक प्रकृति की पूजा की गई और वन भोज रखा गया।
इस इलाके में 40 से अधिक हाथियों ने काफी दिनों से डेरा डाल रखा है। ये आदिवासी इनसे भयभीत नहीं हैं। उन्हें छेडऩे, भगाने की कोशिश भी नहीं करते। वे मानते हैं कि प्रकृति की गोद में सबको मिल-जुलकर रहना चाहिए।
पसान और लैलूंगा के वन ग्रामों से जो संदेश निकलकर आ रहा है, वह हाथी प्रभावित अन्य इलाके के लोगों को ही नहीं सीखना- समझना चाहिये बल्कि शहर के लोगों को भी, जो प्रकृति को नष्ट कर अपने रहन-सहन को सुविधाजनक बनाना चाहते हैं।