राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : वन अफसर के हवाले होगा पर्यावरण ?
24-Jan-2022 5:19 PM
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : वन अफसर के हवाले होगा पर्यावरण ?

वन अफसर के हवाले होगा पर्यावरण ?

औद्योगिक इकाइयों और कारखानों से निकलते जहरीले धुएं से छत्तीसगढ़ और देश के दूसरे शहरों की आबोहवा हाल ही के वर्षों में इंसान के फेफड़ों को रोगग्रस्त करने की बड़ी वजह बनी है। विकास के नाम पर जिस तरह से अंधाधुंध पेड़ों का नामोनिशान खत्म किया जा रहा है, उससे पर्यावरण विभाग की काबिलियत पर भी सवाल खड़ा हुआ है। पर्यावरण की शर्तों में निर्माण कार्यों के लिए कई बंदिशें भी हैं लेकिन उसके पालन में ईमानदारी से कोशिशें नहीं होतीं। सुनते है कि अब केंद्र सरकार पर्यावरण विभाग को और अधिकार संपन्न बनाने के लिए एक क्रांतिकारी निर्णय लेकर वन अफसरों को पूर्ण जवाबदारी देने पर गंभीरता से विचार कर रही है। बताते है कि केंद्र की नजर में जंगल महकमे और पर्यावरण में खास अंतर नहीं है। इसलिए सीधे जिलों में तैनात डीएफओ को जंगल की सुरक्षा के साथ पर्यावरण के जरिए शुद्ध वातावरण बनाने का जिम्मा भी सौंपने की तैयारी कर रही है। दरअसल पूरे देश में वन संपदा के दोहन के लिए सरकारें पर्यावरण की नियमों का पालन कराने में खास दिलचस्पी नहीं ली रही है। पर्यावरण विभाग के अफसरों की दिक्कत यह है कि उनके पास नियमों को लेकर लापरवाहों पर कार्रवाई करने का खास अधिकार नहीं है। केवल कागजों के जरिए नोटिस भेजना या चस्पा करने के बाद अफसर जवाबदेह लोगों के इंतजार में बैठे नजर आते है। अब केंद्र ने पर्यावरण से जुड़े जमीनी स्तर के निर्णय को डीएफओ या वन अफसरों को अधिकृत करने पर लगभग सैद्धांतिक सहमति बना ली है। यदि ऐसा हुआ तो वन और पर्यावरण के निर्धारित मापदंड से प्राकृतिक धरोहरों के लिए बेहतरी भरा निर्णय होगा। लेकिन इससे केंद्र और राज्य के बीच एक बड़े टकराव का मोर्चा भी खुल सकता है।

ये कैसी स्मार्ट पुलिसिंग?

छत्तीसगढ़ में रविवार को प्रदेश के करीब 941 केंद्रों में आंगनबाड़ी पर्यवेक्षक पदों के लिये करीब तीन लाख लोगों ने परीक्षा दी। शहरों के अलावा ग्रामीण इलाकों में भी परीक्षा केंद्र बनाये गये थे। यह प्रशासन को भी मालूम था और पुलिस को भी। पर शहरों में उमडऩे वाली भीड़ को पुलिस किस तरह नियंत्रित करेगी इसके लिये पहले से कोई तैयारी नहीं की गई। नतीजतन रायपुर, बिलासपुर सहित अन्य प्रमुख शहरों में सडक़ों पर घंटों जाम लग गया। ट्रैफिक पुलिस तब सक्रिय हुई जब उन तक जाम लगने की शिकायतें आईं।

क्या पुलिस को पहले से ही ध्यान नहीं देना था कि बड़ी संख्या में लोगों के शहर में प्रवेश से ट्रैफिक व्यवस्था किस तरह से संभाली जायेगी। वे शायद राजनैतिक रैलियों और वीआईपी मूवमेंट को लेकर ही पहले से अलर्ट होने के आदी हैं। बिलासपुर में 55 हजार से अधिक लोगों के लिये परीक्षा केंद्र बनाये गये थे। अफसोस, करीब 10 हजार परीक्षार्थी अपने केंद्रों में समय पर केवल जाम लगने की वजह से नहीं पहुंच पाये। उन्हें परीक्षा देने से वंचित होना पड़ा। प्रशासन ने क्या जरूरी नहीं समझा था कि वह ट्रैफिक पुलिस को इस जाम से निपटने के लिये पहले से तैयार रहने के लिये कहे? पुलिस को भी प्रशासन के किसी एडवाइज की क्या जरूरत थी, उसकी स्मार्टनेस का पता तो तभी चलता जब वह इस भीड़ के चलते होने वाली अव्यवस्था का अनुमान पहले से लगाकर सडक़ों पर तैनात हो जाती।

ठगी ठप पड़ी योजना के नाम पर?

भाजपा नेता जगदलपुर के एक कांग्रेस पार्षद के खिलाफ ऑडियो-वीडियो के ‘सबूतों’ के साथ धरना दे रहे हैं। वे एफआईआर दर्ज करने की मांग कर रहे हैं। पूर्व मंत्री केदार कश्यप, पूर्व सांसद दिनेश कश्यप और अन्य बड़े नेता, कार्यकर्ता इस धरने में शामिल हो रहे हैं। आरोप है कि पार्षद ने 47 लोगों से प्रधानमंत्री आवास दिलाने के नाम पर रुपये वसूल लिये। यदि भाजपा का आरोप सही है, तो फिर क्या कहने। प्रदेशभर में प्रधानमंत्री आवास योजना की नई मंजूरी रुकी पड़ी है। सैकड़ों लोग ऐसे हैं जिनके मकान अधूरे हैं, क्योंकि पहली, दूसरी किश्त के बाद आगे निर्माण पूरा करने के लिये रकम नहीं आई। अब ऐसी योजना के नाम पर क्या कोई ठगी कर सकता है? मुमकिन तो कुछ भी है।

बादशाह की दरियादिली..

पॉप सिंगर बादशाह ने सुदूर सुकमा के बालक सहदेव दिरदो की एक गुम हुई आवाज को देशभर में पहचान दिला दी और उसे ढेर सारे तोहफे भी दिये। एक सडक़ दुर्घटना में घायल होने के बाद वे फिर सहदेव की चिंता करते हुए दिखे। अब बादशाह का एक और मानवीय चेहरा टीवी प्रोग्राम ‘इंडिया गॉट टेलेंट’ में दिखा। एक राजस्थानी गायक इस्माइल खान से उन्होंने  पूछा कि आपने पगड़ी नहीं पहनी, राजस्थान की तो यह परंपरा है। इस्माइल ने बताया कि वह कोरोना काल में अपने ग्रुप का पेट पालने और बेटी की शादी करने के बाद 12 लाख रुपये के कर्ज में डूबा है। जब यह ऋण सिर से उतरेगा, तब वे पगड़ी पहनेंगे। बादशाह ने भावुक होकर मंच से ही घोषणा कर दी कि वे उनका पूरा कर्ज चुका रहे हैं। और अपने हाथों से उन्होंने इस्माइल को पगड़ी पहना दी।

स्कूल का यह रास्ता...

धमतरी जिले के कट्टीगांव पंचायत के सिंगनपुरी गांव में थोड़ी सी बारिश के बाद सडक़ की क्या हालत हुई है, यह दिखाई दे रहा है। आने जाने वालों को परेशानी हो रही है, बच्चों को भी। पर, जुनून ऐसा है कि वे स्कूल जाने के लिये हंसते-मुस्कुराते हुए कीचड़ से लद-फद रास्ते को पार

कर रहे हैं।

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