राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : 500 रुपये में सिलेंडर !
29-Jan-2022 5:36 PM
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : 500 रुपये में सिलेंडर !

500 रुपये में सिलेंडर !

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने देहरादून में उत्तराखंड की जनता से वादा किया कि सरकार बनने पर 500 रुपये से कम में घरेलू गैस सिलेंडर दिया जाएगा। कांग्रेस के घोषणा पत्र में भी इसे वहां शामिल किया गया है। इस घोषणा पर यदि अमल होता है तो सरकार को न केवल अपना टैक्स छोडऩा पड़ेगा बल्कि भारी सब्सिडी भी देनी पड़ेगी।

ऐसा लगता है कि उत्तराखंड सरकार की आमदनी, खर्च से बहुत ज्यादा होती होगी। अपने यहां तो राजस्व घाटे की चिंता के चलते ही विपक्ष के तमाम आरोपों के बावजूद शराबबंदी का मुहूर्त नहीं निकल पाया है।

भाजपा ने अपने महिला मोर्चा को 500 रुपए में छत्तीसगढ़ में भी गैस सिलेंडर देने की मांग को लेकर के आंदोलन पर लगा दिया है। ऐसा लगता नहीं कि इस प्रतिरोध का कोई हल निकलेगा। भाजपा का शायद इस बात पर ध्यान नहीं गया है कि मुख्यमंत्री ने वहां सालाना 40 हजार रुपए भी 5 लाख परिवारों को देने का वादा किया। दरअसल, बात यह है कि चुनाव तो उत्तराखंड में हैं छत्तीसगढ़ में नहीं। वायदे वहां किए जाते हैं जहां वोट लेने हों, अभी छत्तीसगढ़ में ऐसी कोई मजबूरी नहीं है।

यह वायदा भी लागू हो

इसके साथ-साथ लगे हाथों छत्तीसगढ़ के लोगों को अगले विधानसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में प्रियंका गांधी की की हुई इस मुनादी की भी मांग करनी चाहिए कि 40 फीसदी टिकटें महिलाओं को दी जाएंगी। छत्तीसगढ़ में भी ऐसा होना चाहिए। महिला अधिकारों के लिए लडऩे वाले लोग तो पहले से महिला आरक्षण की मांग करते आ रहे हैं और यह अखबार तो महिला आरक्षण को 50 फीसदी बनाने की मांग करते आया है। चलो, 50 नहीं, तो 40 फीसदी सीटें तो अगले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की महिला उम्मीदवारों को मिले।

रेत और कलेक्टर, एसपी

रेत और जमीन का गैर-कानूनी कारोबार, जिसकी सरकार हो उसी की छत्रछाया में फलता-फूलता है। यह केवल छत्तीसगढ़ की बात नहीं है। पंजाब के मुख्यमंत्री के रिश्तेदारों के घर पड़े छापे का मामला तो ताजा है। यूपी राजस्थान और मध्य प्रदेश में रेत माफिया से उलझने वाले अफसरों पर प्राणघातक हमले होते रहे हैं। अवैध रेत उत्खनन की समस्या अपने प्रदेश में भी गहराती जा रही है। सीएम भूपेश बघेल ने कलेक्टर्स और एसपी को सख्त कार्रवाई करने का निर्देश ही नहीं दिया है, बल्कि यदि अवैध उत्खनन नहीं रुका तो इसके लिए उनको जिम्मेदार ठहराए जाने की भी चेतावनी दे दी है। कलेक्टरी और कप्तानी बचाने के लिए सीएम के आदेश के तुरंत बाद कुछ जिलों में तुरंत ताबड़तोड़ कार्रवाई शुरू हो गई। उम्मीद करनी चाहिए कि बाकी जिलों में भी दो-चार दिन के भीतर कुछ असर दिखेगा। उत्खनन के ज्यादातर मामलों में स्थानीय नेताओं का अफसरों पर दबाव रहता है । इसके चलते चाहते हुए भी अधिकारी इस कारोबार आंख मूंद लेते हैं। अप सीएम की तरफ से एक तरह से उनको कार्रवाई की खुली छूट मिल गई है। अभी भी अगर रेत की अवैध खुदाई नहीं रुकी है तो इसका सीधा मतलब यह है कि अफसर खुद माफियाओं को मदद करते हैं।

आईएएस अफसरों की तकलीफ

आईएएस अफसरों के काडर नियमों में संशोधन को लेकर पिछले दिनों जमकर सियासत देखने को मिली। कई राज्यों ने इसका विरोध करते हुए इसे संघीय व्यवस्था के खिलाफ बताया। जबकि केन्द्रीय प्रतिनियुक्ति आईएएस अफसरों के लिए प्रतिष्ठापूर्ण माना जाता है। इसलिए हर काबिल अधिकारी एक न एक बार प्रतिनियुक्ति पर जाने के लिए इच्छुक रहते हैं। कई बार राज्य सरकार से अनुमति नहीं मिलने के कारण अधिकारी प्रतिनियुक्ति पर नहीं जा पाते। छत्तीसगढ़ से भी एक दर्जन से अधिक आईएएस प्रतिनियुक्ति पर हैं। कुछ और अफसर जाने की तैयारी में है। दरअसल, राज्य के कुछेक अफसर इस बात से निराश हैं कि उन्हें अपेक्षाकृत पोस्टिंग नहीं मिल रही है। उनके हिस्से की मलाई आईएफएस अफसर खा रहे हैं। कलेक्टरी में भी प्रमोशन से बने आईएएस को प्राथमिकता मिल रही है। ऐसे में उनमें से कुछ केन्द्रीय प्रतिनियुक्ति को ही बेहतर मान रहे हैं। 

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