राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : जलवा-झांकी के अपने-अपने जतन
30-Jan-2022 7:57 PM
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : जलवा-झांकी के अपने-अपने जतन

जलवा-झांकी के अपने-अपने जतन

छत्तीसगढ़ में 15 साल बाद कांग्रेस की सरकार आना, कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों की बरसों पुरानी मुराद पूरी होने जैसा था। सत्ताधारियों का निगम-मंडल और संगठन में पद का मतलब जलवा होता है। पद की लालसा में बैठे कार्यकर्ताओं-नेताओं को लंबा इंतजार करना पड़ा। किस्तों में निगम-मंडल में नियुक्तियां हो गई हैं। अध्यक्ष, उपाध्यक्ष से लेकर थोक में सदस्य बनाए गए हैं। ऐसी नियुक्तियों में पद और विभाग महत्वपूर्ण नहीं होता, बल्कि पद पर बैठने वाले की प्रतिभा और कला उसे वीआईपी फील कराती है। कांग्रेसी तो इस कला में पारंगत माने जाते हैं, वे अपने हिसाब से जलवा-झांकी बना लेते हैं। निगम-मंडल के कई ऐसे पदाधिकारी हैं, जिनके जलवा-झांकी बनाने के तरीके काफी मजेदार हैं। कृषि से जुड़े निगम के एक पदाधिकारी ने ऐसा सस्ता, सुंदर और टिकाऊ तरीका निकाला है कि उसकी काफी चर्चा होती है। नेताजी को लगा कि जब तक सुरक्षाकर्मी नहीं होंगे तो रूतबा नहीं बन सकता, तो उन्होंने अपने गांव के अच्छी कद काठी वाले एक युवा को तलाशा। नीले रंग की सफारी पहनकर और एक पिस्टल पकड़ाकर तैनात कर लिया अपनी सुरक्षा में। इसका असर भी हुआ। इलाके के लोगों को लगता है कि नेताजी महत्वपूर्ण व्यक्ति हैं, सरकार ने उन्हें विशेष सुरक्षा प्रदान किया है। इसी तरह एक और नेताजी हैं, जो रोजाना अपने दौरे का कार्यक्रम उसी तरह से जारी करते हैं, जैसे मुख्यमंत्री या मंत्रियों का जारी होता है। उसमें नेताजी के ब्लड ग्रुप से लेकर ओएसडी की जानकारी होती है। उनका कार्यक्रम बकायदा कलेक्टर व जिला प्रशासन को भेजा जाता है, ताकि वीआईपी ट्रीटमेंट मिल सके। कुल मिलाकर नेतागिरी में जलवा-झांकी का इतना महत्व है कि लोग बाग नए-नए जतन करने के लिए फुल-प्रूफ काम करते हैं।

राहुल के दौरे से सियासी हलचल

कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी का छत्तीसगढ़ दौरा फायनल होने के बाद राज्य में सियासी हलचल तेज हो गई है। छत्तीसगढ़ के कांग्रेस नेता लंबे समय से राहुल गांधी के छत्तीसगढ़ आने की प्रतीक्षा कर रहे हैं। मुख्यमंत्री कई बार उन्हें छत्तीसगढ़ आने का न्यौता दे चुके हैं। कांग्रेसियों का इंतजार अब खत्म होने वाला है। राहुल गांधी को बुलाकर केन्द्र की मोदी सरकार पर निशाना साधने के लिए तमाम माहौल तैयार किए जा रहे हैं। जिसमें अमर जवान ज्योति और सेवा ग्राम की स्थापना जैसे मुद्दे शामिल हैं। इन मसलों को लेकर राहुल और पूरी कांग्रेस मोदी सरकार पर हमलावर है। इसी तरह गांधीजी की प्रिय धुन 'अबाइड विथ मी' की धुन भी छत्तीसगढ़ में इसी दौरान गूंजने वाली है, जब राहुल गांधी का दौरा प्रस्तावित है। इस धुन को केन्द्र सरकार ने गणतंत्र समारोह में बंद कर दिया है। दूसरी तरफ आपसी मतभेद के मुद्दे को भी राहुल गांधी के सामने उठाने के लिए तैयारी की जा रही है। शिकवा-शिकायतों का पुलिंदा तैयार किया जा रहा है। चूंकि उनके कई कार्यक्रम तय हैं और शेड्यूल काफी टाइट है। ऐसे में शिकवा-शिकायत के लिए समय मिल पाता या नहीं, यह देखने वाली बात है, लेकिन पार्टी के नेता अपनी तैयारियों में कोई कोर-कसर छोडऩा नहीं चाहते। 

इंद्रावती पर नये पुल

दंतेवाड़ा में नक्सलियों के अवरोध के बावजूद छिंदनार पुल को आखिरकार तैयार कर लिया गया और 26 जनवरी को इसे आम लोगों के उपयोग के लिये खोल दिया गया। इस पर करीब 30 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं। इससे दंतेवाड़ा शहर के उस पार रहने वाले दर्जन भर पंचायत के लोगों का आवागमन आसान हो सकेगा, जो बारिश के दिनों में पूरी तरह बंद हो जाता था। इंद्रावती पर कुछ छह पुल बनाने की योजना है।    

मुखिया का एक्शन प्लान

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल साल 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखकर चुनावी फॉर्म में दिखाई दे रहे हैं। नई योजनाएं शुरू करने और पुरानी योजनाओं को विस्तार देने के साथ उनका फोकस गुड गवर्नेंस पर ज्यादा है। रेत माफियाओं के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश के तत्काल बाद जिला प्रशासन भी हरकत में आ गए हैं, अब अफसरों के हाथ-पैर इस तरह हिल रहे हैं, कि मानो दो दिन पहले तक उनमें मेहंदी लगी हुई थी। कोरबा जिले में पहले ही दिन रेत के अवैध उत्खनन से जुड़े लोगों पर कार्रवाई की गई। इसके अलावा मुख्यमंत्री अगले महीने तीन बड़े कार्यक्रम करने वाले हैं। जिसमें भूमिहीन कृषि मजदूर के लिए न्याय योजना की लांचिंग है। इसके अलावा राज्य के सभी शहरों में स्लम स्वास्थ्य योजना शुरू की जा रही है। नल-जल योजना की भी शुरूआत फरवरी में होगी। एक तरह से सरकार ने चुनावी मोड के लिए स्टार्ट ले लिया है। मार्च में आने वाला बजट भी लोक-लुभावन संभावित है। क्योंकि चुनावी साल यानी 2023 से पहले का यह बजट काफी महत्वपूर्ण हो जाता है। अभी तक के परफार्मेंस के आधार पर कहा जा रहा है कि सरकार ने हर वर्ग के लिए कुछ न कुछ किया है, ऐसे में उनका समर्थन सरकार को मिलेगा ही, लेकिन गवर्नेंस के मुद्दे पर परफार्मेंस को कमजोर माना जा रहा है। यही वजह है कि सीएम प्रशासन को चुस्त-दुरुस्त करने के मूड में है। जानकारों का मानना है कि चुनावी साल से पहले कड़ाई से संदेश अच्छा जाएगा, लेकिन सवाल यह है कि यह तेवर कब तक बरकरार रह पाते हैं।

छत्तीसगढ़ में अमर जवान ज्योति

छत्तीसगढ़ आर्म्ड फोर्स की माना स्थित चौथी बटालियन परिसर में अमर जवान ज्योति प्रज्ज्वलित करने की तैयारी पूरी हो गई है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी 3 फरवरी को किसके लिए तैयार किए जा रहे परिसर की आधारशिला रखेंगे। छत्तीसगढ़ सरकार का यह फैसला इसलिए अहमियत रखता है क्योंकि दिल्ली में केंद्र सरकार ने इंडिया गेट पर सन 1972 से प्रज्वलित अमर जवान ज्योति को वहां से हटाकर राष्ट्रीय युद्ध स्मारक में शिफ्ट कर दिया है। राहुल गांधी के सामने ‘अबाइड विद मी’ धुन भी बजाई जाएगी, जिसे रिपब्लिक डे के समापन समारोह से केंद्र ने हटा दिया। महात्मा गांधी और शहीदों की स्मृति को चिरस्थायी बनाने के लिए राज्य सरकार का यह फैसला मायने तो रखता है, पर आप चाहे तो इसके पीछे की सियासत का भी अंदाजा लगा सकते हैं।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले का असर

सुप्रीम कोर्ट ने अनुसूचित जाति और जनजाति को प्रमोशन में आरक्षण देने को लेकर राज्य सरकारों के मानकों में हस्तक्षेप से इनकार कर दिया है। छत्तीसगढ़ पर इस फैसले का खासा असर होने वाला है। फरवरी 2019 में राज्य सरकार ने एक अधिसूचना जारी कर अनुसूचित जाति के शासकीय कर्मचारियों को 13त्न और अनुसूचित जनजाति को 32त्न आरक्षण देने का निर्णय लिया था। पिछड़ा वर्ग को 27त्न आरक्षण देने का दिया गया। इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी, जिसका केस अभी भी चल रहा है। सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट में राज्य सरकार के फैसले पर क्रियान्वयन से रोक लगा दी थी। हाईकोर्ट ने खास तौर पर पिछड़ा वर्ग की वास्तविक संख्या तय करने के लिए राज्य सरकार से डेटा की मांग की थी। 17 जुलाई 2020 को सरकार ने क्वांटिफिएबल डेटा एकत्र करने के लिए प्रमुख सचिव मनोज कुमार पिंगुआ, सचिव डीडी और डॉ. कमलप्रीत सिंह की एक कमेटी भी बनाई थी।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले को देखा जाए तो अब इस कमेटी की रिपोर्ट का विशेष मतलब नहीं रह गया है। सर्वोच्च अदालत ने कहा है आरक्षित वर्ग में जितनी भर्तियां हुई है, उसी प्रतिशत में आरक्षण का लाभ दिया जाए।

बहुत से लोगों का मानना है कि सुप्रीम कोर्ट ने सरकार पर आरक्षण का मसला छोडक़र अपनी जिम्मेदारी से मुंह मोड़ा है क्योंकि लोग सरकार के फैसले के ही खिलाफ तो अदालत गए थे।

आने वाले दिनों में हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान यह पता चलेगा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले का यहां दायर की गई दर्जनों याचिकाओं पर क्या निर्णय आएगा।

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news