राजपथ - जनपथ
मास्क के बिना मोहल्ला क्लास
शिक्षा विभाग ने ‘पढ़ाई द्वार द्वार योजना’ के तहत मोहल्ला क्लास लगाने की अनुमति दी है। खासतौर पर यह उन लोगों के लिए है जो ऑनलाइन पढ़ाई से वंचित हैं। प्राथमिक शाला के बच्चों को भी इनमें बुलाया जा रहा है ताकि उनकी पढ़ाई लंबे समय तक अवरुद्ध ना रहे। उनके लिये ऑनलाइन पढ़ाई भी मुश्किल है। मगर, कई स्थानों पर इससे जुड़े गाइडलाइंस का पालन नहीं हो रहा है। मुंगेली जिले में शिक्षा विभाग ने बकायदा मोहल्ला क्लास लगाने के लिए शिक्षकों को व्हाट्सएप पर निर्देश तो जारी किया, पर इस बात की निगरानी का कोई प्रबंध नहीं किया कि बच्चों के बीच सोशल डिस्टेंस और मास्क का प्रयोग सुनिश्चित हो। इसके अलावा बस्तर, बिलासपुर आदि जिलों से भी कुछ तस्वीरें आई हैं जिनमें यह दिखाई दे रहा है कि बच्चे तो कोरोना संक्रमण से बेफिक्र हैं ही, शिक्षकों को भी परवाह नहीं है।
रेत कारोबारी बदला लेने पर उतारू
रेत के अवैध उत्खनन तथा परिवहन को लेकर मुख्यमंत्री की सख्ती का बदला ठेकेदारों, ट्रांसपोर्टरों और अधिकारियों ने एक साथ मिलकर आम जनता से लेना शुरू कर दिया है। रायपुर, बिलासपुर, बस्तर, रायगढ़ समेत तमाम जिलों में रेत के भाव दोगुने हो गए हैं। ठीक ऐसे समय में जब भवन निर्माण में तेजी आई है, एकाएक रेत की कीमत के चलते लागत बढऩे से लोग परेशान हो गये हैं। रायपुर में ही लोडिंग का जो शुल्क हजार रुपए था, अब उसे दो हजार कर दिया गया है। रॉयल्टी के नाम पर भी दो हजार रुपये वसूल किए जा रहे हैं। दोनों का वास्तविक शुल्क इससे आधा भी नहीं है। सरकार ने न तो रायल्टी बढ़ाई है न ही लोडिंग चार्ज में कोई अतिरिक्त शुल्क जोड़ा है। पर दो-ढाई हजार की अतिरिक्त वसूली सिर्फ इसलिये की जा रही है ताकि मुनाफाखोरी में कोई कमी न रह जाये। इधर घाटों में हो रही इस अतिरिक्त वसूली के बहाने ट्रांसपोर्टरों ने एक हाईवा के पीछे तीन से पांच हजार रुपये तक, अलग-अलग शहरों के अनुसार रेट बढ़ा दिया है। हकीकत यह है कि सीएम के आदेश के चलते ज्यादातर जिलों में खनिज विभाग और जिला प्रशासन अनमने ढंग से इस आदेश को लागू कर रहा है। अवैध खनन रुकने से पैदा हुई परिस्थितियों से निपटने के लिये वे कोई उपाय नहीं कर रहे हैं, लाचारी जता रहे हैं। यह याद रखने वाली बात है कि भाजपा शासनकाल के दौरान रेत के मनमाने दाम पर नियंत्रण करने के लिए ही घाटों की नीलामी की गई। लोगों को वाजिब दाम पर रेत उपलब्ध कराने का लक्ष्य था। पर प्रशासन और रेत के कारोबारी मिलकर यह साबित करना चाहते हैं कि रेत का अवैध खनन होते रहने में भलाई है। इसे रोका ना जाये, भले ही नदियां बर्बाद हो जायें।
शहीद बेटे की याद में प्रतिमा..
नक्सली हमले में शहीद हुए पुलिस जवान बासिल टोप्पो की याद में उसकी मां ने एक मूर्ति बनवाई है, ताकि इसे देखकर लोग खासकर बच्चे और युवा प्रेरणा ले सकें। जशपुर जिले के फरसाबहार विकासखंड के आरा गांव के स्कूल चौक में बासिल की मां ने यह स्मारक बनवाया है। उनके बेटे ने सन् 2011 में एक नक्सली हमले में बस्तर में जान गंवाई थी। बासिल की मां कहती हैं कि उन्हें अपने बेटे पर गर्व है और उनकी याद को हमेशा संजोये रखना चाहती हैं। गणतंत्र दिवस पर मूर्ति का मां ने रंग रोगन किया और शहीद दिवस पर बेटे को याद में सभा रखी। रक्षाबंधन के दिन बहनें इस प्रतिमा को राखी बांधती हैं। वैसे बासिल की याद को बनाये रखने के लिये पंचायत या प्रशासन को सामने आना चाहिये था, मगर, लंबे इंतजार के बाद पहल मां को ही करनी पड़ी।