राजपथ - जनपथ
यह छोटी फिक्र की बात नहीं
छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव में कल दिन दहाड़े व्यस्त बाजार के बीच जिस तरह एक ट्रैफिक सिपाही को तीन मोटरसाइकिल सवारों ने पीटा और उस पर कूद-कूदकर हमला किया, उसे चाकू दिखाया, यह बात तो सदमा पहुंचाने वाली है ही, लेकिन इससे भी अधिक सदमा पहुंचाने वाली बात यह है कि इस हमले के दौरान आसपास से दूसरे लोग आते जाते रहे, इस हमले को देखते रहे, अपनी गाडिय़ां रोक कर नजारा देखते रहे, लेकिन किसी एक ने भी इस सिपाही की मदद करने की कोशिश नहीं की। गुंडे-मवाली जो ऐसा हमला करते हैं, वे तो पकड़ा गए, लेकिन समाज की लापरवाही और बेफिक्री, उसके पीछे की वजह पकड़ में आना अभी बाकी है। कौन सी वजह है कि ट्रैफिक सिपाही के साथ लोगों की हमदर्दी नहीं थी, या फिर गुंडों का मुकाबला करने की ताकत नहीं थी, या फिर इनका पीछा करके कुछ लोग यही पता लगा लेते कि मारपीट करके भागने वाले ये लोग कौन हैं?
समाज और पुलिस इन दोनों को यह सोचना चाहिए कि इनके बीच इतना बड़ा फासला कैसे है? क्या पुलिस के साथ लोगों की हमदर्दी खत्म हो चुकी है, या फिर लोगों को यह भरोसा ही नहीं है कि गुंडों को रोकने के बाद वे खुद जिंदा रह पाएंगे? यह एक बहुत फिक्र की बात इसलिए है कि न तो हर पुलिस जवान को हथियारबंद किया जा सकता है, और न ही हथियार इस किस्म की मारपीट में किसी को बचा सकते हैं। बचाव तो सिर्फ समाज की भागीदारी से हो सकता है वरना एक अकेला पुलिस जवान कितने लोगों से निपट सकता है, कितने लोगों की मनमानी, गुंडागर्दी को रोक सकता है? इसलिए जनता का भरोसा कैसे जीता जाए और जनता का अपने-आप पर भरोसा कैसे कायम हो सके यह सोचने की जरूरत है, और यह छोटी फिक्र की बात नहीं है।
प्रशासन और वकीलों में तनातनी
रायगढ़ के राजस्व न्यायालय में मारपीट की घटना से उपजी रस्साकशी बढ़ती ही जा रही है। राजस्व अधिकारी और वकील दोनों ही पक्ष अपनी बातों पर अड़े हैं। एडीएम का वकीलों से कहना है कि जिन अधिवक्ताओं ने मारपीट की-उनका सरेंडर करवा दीजिए, मामला खत्म हो जाएगा। पक्षकारों से वसूली वकील हमारे नाम से कर लेते हैं और पक्ष में फैसला नहीं होने पर हम पर भ्रष्टाचार का आरोप लगा देते हैं। दूसरी ओर वकीलों का कहना है कि हमारी शिकायत भी पुलिस लिखे। वकीलों के खिलाफ एट्रोसिटी एक्ट की जो धारा लगाई गई है वह वापस ली जाए। लिपिक के खिलाफ पहले से ही शिकायत है। नायब तहसीलदार और लिपिक दोनों को हटायें तब आगे बात होगी।
थोड़े दिन पहले कोरबा कलेक्टर के साथ भी वहां के वकीलों की तनातनी हुई थी लेकिन मामले ने तूल नहीं पकड़ा। कलेक्टर ने वकीलों को बुलाकर खेद व्यक्त कर दिया और गलतफहमी हो जाने की बात कही। पर रायगढ़ के मामले में कनिष्ठ राजस्व अधिकारी इस मूड में नहीं दिखाई दे रहे हैं। यहां लिपिक के साथ भी मारपीट का आरोप है। प्रदेश भर के कनिष्ठ राजस्व अधिकारी और लिपिक कर्मचारी संगठन दोनों इस मामले में कूद पड़े हैं। प्रदेश के दूसरे अधिवक्ता संगठनों का अभी ऐसा दबाव नहीं बना है। रायगढ़ के वकीलों ने मांगें नहीं माने जाने तक कोर्ट का काम बंद रखने की घोषणा की है। लंबा खिंचा तो वकीलों के पेशे पर असर पड़ सकता है, पर अधिकारी-कर्मचारियों का क्या है, उनका तो वेतन निकलता ही रहेगा।
रेलवे कोच रेस्टॉरेंट
पश्चिम मध्य रेलवे के जबलपुर मंडल में 5 और भोपाल मंडल में 2 रेस्टॉरेंट कोच तैयार कर लिये गये हैं। भारतीय रेल ने अतिरिक्त राजस्व जुटाने के लिये यह नया प्रयोग किया है। जो कोच अनुपयोगी हो चुके हैं, उन्हें स्टेशन की किसी सुविधाजनक जगह पर खड़ा कर रेस्टॉरेंट की तरह तैयार किया जा रहा है। बिलासपुर रेलवे जोन के अधिकारियों का कहना है कि छत्तीसगढ़ के रायपुर, बिलासपुर और नागपुर मंडल में भी यह प्रयोग लागू होगा। यह तस्वीर जबलपुर रेलवे स्टेशन के प्लेटफॉर्म नंबर 8 पर बनाये गये रेस्टारेंट की है।