राजपथ - जनपथ
एक और धर्म-संसद...
छत्तीसगढ़ में एक और धर्म-संसद शांतिपूर्वक निपट गया। हरिद्वार और रायपुर में रखे गए सम्मेलनों में अल्पसंख्यकों और महात्मा गांधी के खिलाफ उगले गए भाषणों की वजह से काफी बवाल हुआ। आनाकानी के बाद उत्तराखंड पुलिस ने हरिद्वार में विवादित भाषण देने वाले कुछ संतों और वक्ताओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली थी। रायपुर के धर्म संसद में गांधीजी के खिलाफ बातें और नाथूराम गोडसे का अभिनंदन करने वाले कालीचरण के खिलाफ देशद्रोह का अपराध दर्ज कर उनको गिरफ्तार किया गया। इस माहौल के बीच 13 फरवरी को बिलासपुर में गोवर्धन मठ पुरी के शंकराचार्य निश्चलानंद के पहुंचने पर हिंदू-राष्ट्र संगोष्ठी रखने की घोषणा की गई, तो लोगों के कान खड़े हो गए। कांग्रेस विधायक शैलेश पांडे का नाम देखकर इशारा किया गया कि देखिए इस आयोजन में भी रायपुर की तरह कांग्रेसी आगे आ गए हैं।
पर, यह हिंदू राष्ट्र संगोष्ठी हरिद्वार और रायपुर से बिल्कुल अलग थी। यह खुला मंच नहीं था। निश्चलानंद जब भी छत्तीसगढ़ या देश के दूसरे भागों के दौरे पर होते हैं, वह इस तरह की संगोष्ठी, सभा, चर्चा करते ही हैं। अपने भाषणों में वे सनातन धर्म वेद पुराण के उद्देश्यों और मनु संहिता की वे पैरवी करते आए हैं। हिंदू राष्ट्र का उनका अभियान राजनैतिक आंदोलन है, ऐसा भी नहीं देखा गया। न केवल विधायक पांडे बल्कि कई मंत्री, पूर्व विधायक, पूर्व मंत्री उनसे जुड़े हैं। बिलासपुर के कार्यक्रम में विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने भी भाग लिया। कांग्रेस की एक अन्य विधायक रश्मि सिंह ठाकुर तथा अपेक्स बैंक अध्यक्ष बैजनाथ चंद्राकर भी शामिल थे। विधायक शैलेंद्र पांडे का नाम लेकर इस संगोष्ठी पर सवाल खड़ा किया गया, पर वे तो उत्तराखंड और यूपी में चुनाव प्रचार के कारण भाग ही नहीं ले पाये। पूर्व मंत्री अमर अग्रवाल भी इस कार्यक्रम में नहीं दिखे, जिन पर अपनी नाराजगी चुनाव से पहले निश्चलानंद दिखा चुके हैं। निश्चलानंद इस समय वे छत्तीसगढ़ के 15 दिन के प्रवास पर हैं। कांग्रेस-भाजपा दोनों दल के नेता उनके पास पहुंच रहे हैं।
सीजीपीएससी परीक्षा थी या यूपीएससी?
रविवार को छत्तीसगढ़ के 250 से अधिक परीक्षा केंद्रों में छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग की प्रारंभिक परीक्षा रखी गई । दो पालियों की परीक्षा देकर केंद्रों से निकले ज्यादातर अभ्यर्थी इस बात से मायूस नजर आए कि इस बार सवाल बड़े कठिन थे। परंपरा से हटकर छत्तीसगढ़ी में हाना और जनउला पूछा गया। छत्तीसगढ़ी साहित्य की कुछ पंक्तियों का उल्लेख कर लेखकों का नाम पूछा गया। चांग देवी का मंदिर कहां है, लाल बंगला किस जनजाति में प्रचलित है, भारत और पुर्तगाल के बीच समुद्री विरासत को लेकर क्या समझौता हुआ था, दुनिया की नदियों की लंबाई के आधार पर क्रम, देश के बड़े बांधों के निर्माण का क्रम। ये कुछ सवाल यूपीएससी स्तर का दिखाई दे रहे थे। बात यह है कि सामान्य अध्ययन प्रश्न-पत्र के माध्यम से ही मेरिट तय होना है। दूसरे प्रश्न पत्र सी-सेट में 33 प्रतिशत अंक काफी है। यदि सी-सेट बहुत अच्छा भी बना है और प्रारंभिक परीक्षा में न्यूनतम अंक नहीं मिला तो परीक्षार्थी मुख्य परीक्षा से बाहर कर दिया जाएगा।
अब तक सीजीपीएससी की जितनी भी परीक्षायें हुई हैं उन्हें हाईकोर्ट में चुनौती दी जाती रही है। सन् 2003 का मामला भी अभी तक कोर्ट में ही लटका हुआ है। शायद कठिन प्रश्न पत्र लाकर सीजीपीएससी कोई कोशिश कर रही हो, अपनी छवि ठीक करने की।
तगड़े झटके के लिये रहें तैयार..
अंतरराष्ट्रीय बाजार में पेट्रोल डीजल के दामों में फिर आग लग गई है। वर्षों बाद इस समय कच्चे तेल का दाम 87 डॉलर प्रति बैरल पहुंच गया है। इसके पहले जनवरी 2014 में कच्चे तेल के दाम ने इस कीमत को पार किया था। इसके बावजूद ज्यादातर राज्यों में पेट्रोल डीजल के दाम नहीं बढ़ रहे हैं। पिछले 75 दिनों से कीमत लगभग स्थिर है। जानकार कहते हैं कि यदि ढाई माह पहले के अनुपात में आज डीजल पेट्रोल के दाम तय करें तो यह 125 से 135 रुपये प्रति लीटर में बिकना चाहिये। पर, यूपी सहित 5 राज्यों में हो रहे चुनाव ने इस वृद्धि को रोक रखा है।
जब भी केंद्र सरकार से पेट्रोलियम के दामों पर सवाल उठाया जाता है तो वह कहती है कि पेट्रोलियम कंपनियां अंतरराष्ट्रीय बाजार भाव के हिसाब से इसका दर घटाती-बढ़ाती है। सरकार के इस में कोई नियंत्रण नहीं है लेकिन जब-जब चुनाव आते हैं यह साफ हो जाता है कि यदि केंद्र सरकार इशारा दे तो पेट्रोलियम कंपनियां घाटे में रहने के बाद भी दाम नहीं बढ़ातीं। उसकी भरपाई चुनाव के बाद करती है। 10 मार्च को जब मतदान के सभी चरणों के मतदान पूरे हो जाएंगे तब एक बड़े झटके के लिए फिर हमें तैयार रहना पड़ेगा।