राजपथ - जनपथ
पत्रकारों को एसपी का साथ...
ग्रामीण अंचलों में प्रशासन और जनप्रतिनिधियों के साथ सीधे टकराने वाले पत्रकारों के खिलाफ अक्सर बेवजह एफआईआर दर्ज करा दी जाती है। थानेदार भी नेताओं और अधिकारियों के दबाव में देरी नहीं लगाते। कई बार उनकी पोल खोलने वाले पत्रकारों से रंजिश भी होती है इसलिये कार्रवाई में जरूरत से ज्यादा सक्रियता दिखाई जाती है। पर मुंगेली जिले में अब पत्रकार कुछ अधिक खुलकर काम कर सकेंगे। पुलिस अधीक्षक डीआर आचला ने सभी थानेदारों को पत्र लिखकर हिदायत दी है पत्रकारों के खिलाफ शिकायत प्राप्त होने पर सूक्ष्मता के साथ उसकी जांच करें और अपराध दर्ज करने के पहले मेरे संज्ञान में सारी बातें लायें। इसके बगैर एफआईआर बिल्कुल दर्ज नहीं की जाये। एसपी ने यह भी कहा है कि पत्रकारों के माध्यम से ही विभिन्न प्रकार की सूचनायें समय पर समाज को मिलती है। वे लोकतंत्र के चौथे स्तंभ हैं। कई बार वे अपनी व्यवहारिक समस्यायें बता चुके हैं, वरिष्ठ अधिकारियों से भी दिशा निर्देश मिलता रहा है।
उम्मीद करनी चाहिये कि बाकी जिलों में भी ग्रामीण पत्रकारों और अंशकालीन संवाददाताओं की हिफाजत के लिये पुलिस अधिकारी इस तरह की पहल करेंगे।
अपनों के मुकदमों की वापसी
प्रदेश में कांग्रेस सरकार बनने के तीन साल बाद चक्काजाम, धरना, प्रदर्शन, पुतला दहन, नगर बंद करने के राजनीतिक मामलों को वापस लिया जा रहा है। बिलासपुर में सबसे ज्यादा 113 नेताओं को इससे राहत मिलने वाली है, हालांकि केस करीब 2200 लोगों के खिलाफ दर्ज हैं। इन्हीं आंदोलनों का असर यह हुआ कि बिलासपुर विधानसभा सीट 20 साल बाद वापस कांग्रेस के हाथ में आ सकी।
राजनांदगांव भी जो मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह का क्षेत्र है, 78 नेताओं को राहत मिलेगी, जिनके खिलाफ 13 अलग-अलग मामले दर्ज किये गये थे। हालांकि मामलों की वापसी की अनुशंसा करने वाली टीम पर सीधे कोई राजनीतिक दखल नहीं है। कलेक्टर, एसपी और जिला अभियोजन अधिकारी की समिति इस पर निर्णय ले रही है। जाहिर है कि कुछ तो सिफारिशों पर भी ध्यान उनको देना पड़ रहा होगा। इसीलिये कुछ पार्टी कार्यकर्ता, खासकर युवक कांग्रेस से जुड़े नेता आरोप लगा रहे हैं कि मामलों की वापसी में भी कांग्रेस की गुटबाजी दिखाई दे रही है। वरिष्ठ नेताओं के मामले तो वापस लिये जा रहे हैं, पर असल में सामने रहने वाले युवाओं को अधर में छोड़ा जा रहा है। उनका कहना है कि बिना भेदभाव ऐसे सभी मामले वापस होने चाहिये जो गंभीर प्रकृति के नहीं हैं।
वेलेंटाइन डे के नाम पर ठगी
ऑनलाइन ठगी करने वाले मनोविज्ञानी होते हैं। वे किस नाम पर कब लोगों के एकाउंट से रुपये पार किये जा सकते हैं, इसकी समझ रखते हैं। वेलेंटाइन डे के नाम पर कुछ लोगों के मोबाइल फोन और ई-मेल पर मेसैज आने लगे। तमाम लुभावने ऑफर, बहुत सस्ते में विदेश यात्रा का प्रलोभन। थाइलैंड, यूएई से लेकर पेरिस तक। कई लोग ठगे गये, कुछ की रिपोर्ट पुलिस में की गई है। जगदलपुर में कई शिकायतें दर्ज की है। यहां पुलिस ने लोगों को आगाह किया है कि ऐसी धोखाधड़ी से बचें।
वकील की विवादित पोस्ट
रायगढ़ की घटना के बाद राजस्व अधिकारियों और वकीलों के बीच बढ़ती कलह एक जिले से दूसरे जिले, कस्बों और तहसीलों तक पहुंच चुका है। कल कनिष्ठ राजस्व अधिकारियों ने सरकारी दफ्तरों में ताला लगाया और लिपिकों ने भी जगह-जगह धरना प्रदर्शन किया। वकील भी काली पट्टी लगाकर काम पर हैं। इधर स्टेट बार कौंसिल ने भी मामले में संज्ञान लेते हुए अपनी एक जांच टीम बना दी है और दोषी पाए जाने पर राजस्व अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग उठाने की बात कही है। इधर नायब तहसीलदार और वकीलों के बीच विवाद में एक नया मोड़ ले लिया है। सारंगढ़ के किसी वकील की सोशल मीडिया पर राजस्व अधिकारियों के खिलाफ की गई टिप्पणी को लेकर पुलिस में शिकायत कर दी गई है। कथित रूप से इसमें कहा गया है कि तहसीलदार भिखारी हैं और राजस्व अधिकारी दुष्ट। कहा गया कि वकीलों के पास बड़े-बड़े अपराधियों की कुंडली होती है। पुसौर तहसीलदार ने चक्रधर नगर थाने में लिखित आवेदन देकर आईटी एक्ट के तहत सोशल मीडिया पोस्ट करने वाले अधिवक्ता के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की फरियाद की है।
जिस तरह से जंग लड़ी जा रही है उससे ऐसा लगता है कि वकील और राजस्व अधिकारी भले ही एक ही सिक्के के दो पहलू हैं मगर दोनों काफी वक्त से एक दूसरे से असहज हैं, अब मौका मिला है।
एक खास सरकारी स्कूल
सुदूर बस्तर के तिरिया गांव का हायर सेकेंडरी स्कूल कई मामलों में असाधारण है। यहां एक हॉल में सुरुचिपूर्ण, पर्यावरण अनुकूल बांस का फर्नीचर है। कमरे में पौधे भी दिखाई दे रहे हैं। दीवार पर राजपक्षी पहाड़ी मैना, बाइसन, आदिवासी नृत्य के दृश्य भी उकेरे गये हैं। दोपहर की लंच के बाद यहां छात्रों की ‘संसद’ बैठती है, जिसमें सभी मंत्री होते हैं। इन छात्रों की संख्या 18 होती है, जो अपने कक्षाओं से ही चुने गये हैं। प्रिंसिपल या कोई शिक्षक इस संसद की अध्यक्षता करते हैं। वे स्वास्थ्य, स्वच्छता, खेल, खेती और पढ़ाई पर अपने किये गये कार्यों की रिपोर्ट देते हैं और आगे की योजनायें बनाते हैं। यह सब सरकारी स्कूल में हो रहा है, जहां इस गतिविधि के लिये अलग से कोई फंड भी नहीं है।
वकील की विवादित पोस्ट
रायगढ़ की घटना के बाद राजस्व अधिकारियों और वकीलों के बीच बढ़ती कलह एक जिले से दूसरे जिले, कस्बों और तहसीलों तक पहुंच चुका है। कल कनिष्ठ राजस्व अधिकारियों ने सरकारी दफ्तरों में ताला लगाया और लिपिकों ने भी जगह-जगह धरना प्रदर्शन किया। वकील भी काली पट्टी लगाकर काम पर हैं। इधर स्टेट बार कौंसिल ने भी मामले में संज्ञान लेते हुए अपनी एक जांच टीम बना दी है और दोषी पाए जाने पर राजस्व अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग उठाने की बात कही है। इधर नायब तहसीलदार और वकीलों के बीच विवाद में एक नया मोड़ ले लिया है। सारंगढ़ के किसी वकील की सोशल मीडिया पर राजस्व अधिकारियों के खिलाफ की गई टिप्पणी को लेकर पुलिस में शिकायत कर दी गई है। कथित रूप से इसमें कहा गया है कि तहसीलदार भिखारी हैं और राजस्व अधिकारी दुष्ट। कहा गया कि वकीलों के पास बड़े-बड़े अपराधियों की कुंडली होती है। पुसौर तहसीलदार ने चक्रधर नगर थाने में लिखित आवेदन देकर आईटी एक्ट के तहत सोशल मीडिया पोस्ट करने वाले अधिवक्ता के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की फरियाद की है।
जिस तरह से जंग लड़ी जा रही है उससे ऐसा लगता है कि वकील और राजस्व अधिकारी भले ही एक ही सिक्के के दो पहलू हैं मगर दोनों काफी वक्त से एक दूसरे से असहज हैं, अब मौका मिला है।