राजपथ - जनपथ
और एडवोकेट प्रोटेक्शन?
पिछले पांच दिनों से हड़ताल कर रहे नायब तहसीलदार व तहसीलदारों को सुरक्षा मुहैया कराई जा रही है। कलेक्टरों को इस बारे में राज्य सरकार ने निर्देश दिया है। रायगढ़ मारपीट मामले में चार अधिवक्ताओं की गिरफ्तारी भी हो चुकी है। सरकार की कोशिश है कि राजस्व अधिकारी अपनी हड़ताल जल्दी खत्म कर दें। न्यायालयों में अधिकारी बैठना शुरू करेंगे, तो धीरे-धीरे वकील भी कोर्ट आना शुरू कर देंगे। आखिर उन पर भी मुवक्किलों का दबाव है। दूसरी तरफ वकील लंबे समय से एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट लाने की मांग कर रहे हैं। रायगढ़ घटना के बाद इस मामले को वे फिर उठा रहे हैं। संतुलित फैसला तब होता जब सरकार तहसीलदारों को सुरक्षा देने के साथ ही अधिवक्ताओं को भी आश्वस्त करती।
पेंडेंसी का पहाड़
संभागीय मुख्यालय और कलेक्ट्रेट में नियमित रूप से बैठक होती है, जिनमें लंबित राजस्व मामलों को निपटाने के लिये नई-नई समयसीमा तय की जाती है। पर मुकदमे हैं कि खत्म होने का नाम नहीं ले रहे। तहसील और उसके नीचे की अदालतों में पक्षकारों और वकीलों को साहब की खाली कुर्सी निराश करती है। कभी पता चलता है कि वे बड़े साहब की मीटिंग में गये हैं, कभी कहीं बेजा-कब्जा तोड़वाने गये हैं, तो कई बार पता नहीं चलता कि कहां गये। कोरोना महामारी के कारण राजस्व न्यायालयों के कामकाज पर भी असर पड़ा, पर इसमें हुए समय के नुकसान की भरपाई करने की कोई कोशिश नहीं हुई। अब हालत यह है कि पूरे प्रदेश में 1 लाख 67 हजार राजस्व मामले पेंडिंग हैं। अकेले राजधानी रायपुर में 17 हजार से ज्यादा रुके मामले हैं। अधिकारियों का कोर्ट में नहीं बैठना तो एक कारण हैं, आंदोलनकारी वकीलों की मानें तो राजस्व विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार इसकी बड़ी वजह है। इस समय चल रहे टकराव को एक मौके के रूप में लिया जा सकता है कि राजस्व मामलों के पारदर्शिता के साथ निपटारे के लिये युद्धस्तर पर अभियान चले।
सधा हुआ बयान..
अनुभवी नेताओं का बयान राजनीति सीखने वालों के लिये काम आ सकता है। नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक के ही ताजा बयान को लीजिये, राजस्थान के मुख्यमंत्री गहलोत को उन्होंने सलाह दी कि वे सोनिया गांधी से बार-बार मिलकर वक्त जाया न करें, बल्कि कोल ब्लॉक चाहिये तो कोयला मंत्री या मंत्रालय के स्तर पर प्रयास करें। पर कौशिक ने यह साफ नहीं किया कि वे हसदेव में कोल ब्लॉक आवंटित करने के पक्ष में हैं या नहीं। यदि पक्ष में हैं तो केंद्र में सरकार उनकी है, गहलोत की मदद कर सकते हैं।
रागी से बने व्यंजन...
कोदो-कुटकी, रागी कुछ ऐसे उत्पाद हैं जिनमें पानी और देखभाल की जरूरत कम पड़ती है। पर बाजार में अच्छी कीमत नहीं मिलने के कारण उगाने में किसान दिलचस्पी कम लेते हैं। अब छत्तीसगढ़ सरकार ने मिलेट्स मिशन शुरू किया है। इस बार 1 लाख 17 हजार हेक्टेयर पैदावार का लक्ष्य रखा गया है। यह तस्वीर रायगढ़ की है, जहां स्व-सहायता समूह ने तरह-तरह के फूड रागी से तैयार किये हैं। रायगढ़ कलेक्ट्रेट की कैंटीन में इसका स्वाद लिया जा सकता है।