राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : महिला आईएएस के किस्से
20-Feb-2022 5:07 PM
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : महिला आईएएस के किस्से

छत्तीसगढ़ के एक जिले की दो प्रभावशाली महिला अफसरों के बीच विवाद ने पिछले दिनों खूब सुर्खियां बटोरीं। हालांकि महिला आईएएस अफसर के लिए यह कोई नई बात नहीं है। कर्मचारी-अधिकारी उनके बर्ताव के कारण प्रताडि़त महसूस कर रहे हैं। आईएफएस वन अफसर से तू-तू, मैं-मैं के अलावा एक वरिष्ठ अधिवक्ता के साथ दुव्र्यवहार के कारण काफी कोहराम मचा था। वकीलों ने मैडम के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। खेद प्रकट के बाद वकील शांत हुए। पटवारियों की नाराजगी जाहिर है। एक पटवारी के खिलाफ एक पक्षीय कार्रवाई से पूरे जिले के पटवारी भडक़े हुए हैं।

दरअसल मैडम पूरे जिले में तानाशाही अंदाज में राज चलाना चाहती हैं। ऐसे में किसी ने नियम-कानून की बात की तो समझिए उसकी खैर नहीं। इस जिले की कुर्सी पहले से काफी रौबदार वाली मानी जाती है। खनिज संपदा और उद्योग से भरा-पूरा जिला है। कोयले की खदानें हैं, जिस पर चौतरफा नजरें है। कुल मिलाकर रौबदार के साथ-साथ काजल की कोठरी का ताज भी है। जहां के कुछ दाग ऐसे भी होते हैं, जो आसानी से छूटते नहीं। ऐसे ही पावर प्लांट के विस्तार के दाग पर राजधानी में बैठे प्रमुख लोगों की नजर पड़ गई है। चर्चा है कि इस बारे में मैडम से जानकारी भी ली गई। फिलहाल इस खेल में अम्पायर के निर्णय का इंतजार किया जा रहा है।

बकाया किस्सों में राष्ट्रीय दिवस पर फेसबुक पर पोस्ट की गईं शराबखोरी की तस्वीरें भी हैं। और पिछले जिले में रेत से तेल निकालने की कहानियां भी।  

घटना लिंगानुपात का
छत्तीसगढ़ में लिंगानुपात बीते 10 सालों में गिरा है। पहले यह 1000 पुरुषों में 960 था पर अब यह घटकर 938 पर आ गया है। इसकी एक बड़ी वजह भ्रूण हत्या भी हो सकती है। प्रदेश में करीब 800 अल्ट्रासाउंड मशीनें हैं, जो इस नाम पर स्थापित की जाती हैं कि गर्भ में पल रहे शिशु और गर्भवती की सेहत की जांच की जा सके, लेकिन इसी जांच के साथ यह भी पता लगाया जा सकता है कि भ्रूण मेल है या फीमेल।
नियम कहता है कि हर तीन माह में इन जांच केंद्रों की जांच स्वास्थ्य विभाग को करनी चाहिये, लेकिन आम तौर पर साल में एकाध बार ही जांच हो पाती है। कई सेंटर तो जांच से छूट भी जाते हैं। ज्यादातर केंद्र जांच के रिकॉर्ड तो रखते हैं, जो नियम के अनुसार दो साल तक संभालना जरूरी होता है, पर इस जांच में लडक़ा या लडक़ी होने का कुछ भी सबूत नहीं होता। इन दिनों स्वास्थ्य विभाग ने प्रदेशभर में जांच के लिये अभियान चला रखा है, पर अब तक जांच का आंकड़ा 500 भी पार नहीं कर पाया है। संतान की चाह रखने वालों के लिये भी बाजार फल-फूल रहा है। प्रदेश में इन विट्रो फर्जिलाइजेशन ट्रीटमेंट (आईवीएफ) के 32 केंद्र हैं। इनकी भी जांच स्वास्थ्य विभाग को नियमित रूप से करनी है, पर नहीं हो रही। पीसीपीएनडीटी के अधिकारी कहते हैं कि हर जांच केंद्र में कोई न कोई गड़बड़ी तो मिल ही जाती है। हालांकि कार्रवाई सिर्फ 4 पर हुई है। लिंगानुपात का अंतर बढऩा एक खतरे का संकेत है, जिसकी ओर सरकार का ध्यान नहीं जा रहा है।

बस्तर की बालायें..
सिलगेर में अपनी मांगों को लेकर आदिवासी समुदाय पिछले कई महीनों से आंदोलन कर रहा है। यहीं उन्होंने पहले आदिवासी विद्रोह की पहचान भूमकाल दिवस भी मनाया। इस मौके पर दूर-दूर से आदिवासी पहुंचे। उन्होंने आंदोलन स्थल पर पारंपरिक नृत्य गीत भी गाये। इसी मौके पर किसी गांव से पहुंचीं इन दो बालिकाओं ने भी प्रस्तुति दी। 

[email protected]

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news