राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : दिल है छोटा सा...छोटी सी आशा
22-Feb-2022 6:23 PM
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : दिल है छोटा सा...छोटी सी आशा

दिल है छोटा सा...छोटी सी आशा

पीलीभीत की चुनावी सभा में अमित शाह ने पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल के कंधे पर हाथ रखा, तो यहां उनके समर्थकों की बांछें खिल गईं। अमित शाह ने बृजमोहन से पीलीभीत जिले में पार्टी प्रत्याशियों का हाल जाना। पार्टी ने बृजमोहन को पीलीभीत के दो विधानसभा के चुनाव प्रचार की कमान सौंपी है।

पीलीभीत पूर्व केन्द्रीय मंत्री मेनका गांधी का क्षेत्र है। वो इन दिनों पार्टी से खफा चल रही हैं। ऐसे में पीलीभीत में कमल खिलाना पार्टी के लिए चुनौती बन गई है। चूंकि बृजमोहन को चुनाव प्रबंधन में महारत हासिल है, पार्टी ने उन्हें कठिन माने जाने वाले क्षेत्र में लगाया है। सोमवार को चुनाव प्रचार खत्म होने से पहले बृजमोहन ने डोर टू डोर संपर्क किया, और फिर वोटिंग से पहले की सारी तैयारियों  की समीक्षा कर दिल्ली निकल गए।

चुनावी सभा में बृजमोहन को अमित शाह ने जिस तरह महत्व दिया है, उससे प्रदेश भाजपा में नए समीकरण बनने की अटकलें लगाई जा रही है। यह बात किसी से छिपी नहीं है कि युवा मोर्चा के दिनों के साथी रहे राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा, बृजमोहन के बजाए रमन सिंह के बेहद करीबी हो गए हैं। हाल यह है कि प्रदेश भाजपा संगठन में अब तक सारे फैसले रमन सिंह के मनमाफिक होते रहे हैं।

दूसरी तरफ, पार्टी संगठन की कार्यप्रणाली से प्रदेश प्रभारी पुरंदेश्वरी, और सह प्रभारी नितिन नबीन नाराजगी जता चुके हैं। ऐसे में प्रदेश भाजपा में बड़े बदलाव की उम्मीद जताई जा रही है। इसमें बृजमोहन, और उनके खेमे को कितना महत्व मिलता है, यह देखना है। फिलहाल तो अमित शाह ने बृजमोहन के कंधे पर हाथ रखकर समर्थकों को खुश कर दिया है।

शह और मात

कोरबा कलेक्टर रानू साहू, और कटघोरा डीएफओ शमा फारूकी के  बीच जंग का नतीजा निकल गया। शमा फारूकी को हटाकर अरण्य भवन में पदस्थ कर दिया गया। शमा को पुरानी शिकायतों के आधार पर हटाया गया है। कांग्रेस विधायक मोहित केरकेट्टा ने कुछ महीने पहले उनके खिलाफ लंबी चौड़ी शिकायतें वन मंत्री को भेजी थी।

जहां तक कलेक्टर से जिस बिन्दु को लेकर बहस हुई थी उसमें शमा का पक्ष मजबूत था। चूंकि माहौल शमा के खिलाफ था इसलिए उन्हें हटना ही था। इन सबके बावजूद वो हार गई हैं, ऐसा कहना भी गलत है। तबादला सूची में शमा के साथ उनकी सगी बहन सलमा फारूकी का भी नाम है, जो डीएफओ के पद पर प्रमोट होने के बाद पहली बार फील्ड में जा रही हैं, और उन्हें राजनांदगांव वन मंडल की प्राइम पोस्टिंग मिली है। खास बात यह भी है कि शमा, और सलमा एक साथ राजनांदगांव वन मंडल में एसडीओ के पद पर काम कर चुकी हैं।

नशे के खिलाफ एक गांव.. 

यह माना जाता है कि शराब जैसी बुराई रोकने के लिये कानून से ज्यादा सामाजिक दबाव काम आता है। गरियाबंद जिले के छुरा विकासखंड के ग्राम सरकड़ा में भी यह कोशिश की गई है, पर नियम-कायदे कुछ मायनों में सख्त तो कुछ लुभावने भी हैं। मसलन, शराब पर ही पाबंदी नहीं है बल्कि गांजा-भांग पर भी रोक लगाई गई है। गांव में पीने, बेचने, खरीदने पर बंदिश तो है ही बाहर से भी नशा करके घुस नहीं सकते। निगरानी के लिये महिलाओं की कमांडो टीम भी बनाई गई है। पालियों में दिन-रात निगरानी की जा रही है। आकर्षक यह है कि नियम तोडऩे पर 10 हजार रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता है, जिसमें से 50 फीसदी रकम मुखबिर को बतौर इनाम मिलेगी। अब तक एक को गांजा बेचते और चार को नशे में हुड़दंग करते पकड़ा जा चुका है। हुआ यह है कि अब थानों में भी मामले नहीं जा रहे हैं क्योंकि अधिकांश लड़ाई-झगड़ों की जड़ नशा ही है। जुर्माना लगाने का अधिकार गांव के पंचों को है या नहीं इस पर विवाद हो सकता है, पर इस व्यवस्था से गांव में जो शांति कायम हुई है, उसे गांव के लोग राम-राज कह रहे हैं।

ऑफलाइन परीक्षा के दबाव..

पता नहीं कैसे प्रश्न आयेंगे, जो प्रश्न याद किये हैं वे नहीं आये तो क्या होगा। कहीं अकेले ही न फेल हो जाऊं...। ऑनलाइन पढ़ाई के बाद हो रही ऑफलाइन परीक्षा को लेकर कुछ ऐसे सवाल बच्चों के दिमाग में तैर रहे हैं। कहीं पांच दिन की क्लास लगी है, कहीं एक सप्ताह की। दो मार्च से छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मंडल की परीक्षायें शुरू हो रही हैं। पिछली बार 12वीं बोर्ड में 97 प्रतिशत रिजल्ट था और 10वीं बोर्ड का तो लगभग 100 प्रतिशत। उत्तर पुस्तिका घर पर बैठकर जो तैयार की गई थीं। इस बार करीब दो साल के अंतराल ऑफलाइन परीक्षा होगी। कोर्स तो ऑफलाइन मोड में पूरा किया नहीं जा सका, सो उन्हें टिप्स दिये जा रहे हैं। राजधानी रायपुर से सीजी बोर्ड परीक्षाओं में शामिल हो रहे सरकारी और निजी स्कूलों के करीब 30 हजार बच्चों को टिप्स दिये गये कि प्रश्न कैसे हल करने हैं। कोर्स की बातें तो हो गईं, पर इसमें बच्चों का आत्मविश्वास बनाये रखने, बढ़ाने के लिये भी टिप्स देने का सत्र रखा जाना चाहिये था, जो नहीं हुआ। दरअसल, काउंसलिंग तो सिर्फ बच्चों को नहीं, बल्कि पालकों को भी देने की जरूरत है कि कम से कम इस बार अव्वल आने, ज्यादा से ज्यादा अंक लाने के लिये दबाव न डालें। सवाल, यह भी है कि क्या क्या बोर्ड उत्तर पुस्तिकाओं की जांच में इस बार उदारता बरतेगा?

मितानिन अब और स्मार्ट..

छत्तीसगढ़ देश का पहला ऐसा राज्य बन गया है जहां मितानिन (आशा वर्कर) की प्रोत्साहन राशि का भुगतान ऑनलाइन किया जा रहा है। एक पायलट प्रोजेक्ट रायपुर जिले के अभनपुर में नवंबर 2020 में शुरू किया गया था, जिसे अब पूरे प्रदेश में लागू कर दिया गया है। प्रदेश में 69 हजार मितानिन हैं जो ग्रामीण स्वास्थ्य सेवा के मुख्य आधार हैं। अब उन्हें अपनी सेवाओं के एवज में राशि प्राप्त करने के लिये किसी बैरियर से नहीं गुजरना पड़ेगा। उनके अकाउंट में सीधे राशि आ रही है।

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