राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : आवास और आवासीय आयुक्त
24-Feb-2022 9:23 PM
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : आवास और आवासीय आयुक्त

आवास और आवासीय आयुक्त

दिल्ली में आवासीय आयुक्त डॉ. एम गीता की केन्द्र सरकार में पोस्टिंग हो गई है। उन्हें जल्द रिलीव भी किया जा सकता है। नए आवासीय आयुक्त को लेकर चर्चा शुरू हो गई है। जन प्रतिनिधियों, और विभाग प्रमुखों की मांग रही है कि दिल्ली में आवासीय आयुक्त के पद पर सीनियर आईएएस अफसर की पोस्टिंग होनी चाहिए। यह भी सुझाव दिया गया है कि आयुक्त के पास कोई अतिरिक्त प्रभार न हो। केन्द्र सरकार के विभिन्न विभागों से तालमेल के लिए दिल्ली में सीनियर अफसर का होना जरूरी है।

सुनते हैं कि गीता स्वास्थ्यगत कारणों से दिल्ली में रहना चाहती थीं। यही वजह है कि उन्हें कोई अतिरिक्त जिम्मेदारी नहीं दी गई। उनके पास कोई और प्रभार न होने के कारण आवासीय आयुक्त का काम बेहतर ढंग से कर रही थीं, लेकिन अब उनकी नई पोस्टिंग के बाद से फिर समस्या पैदा हो गई है। ताजा समस्या यूक्रेन संकट को लेकर है।

यूक्रेन में दो दर्जन से अधिक छत्तीसगढ़ी विद्यार्थी, और अन्य लोग फंसे हुए हैं। छत्तीसगढ़ सरकार ने केन्द्र सरकार, और विदेशी दूतावास व फंसे लोगों से संपर्क के लिए जिस लाइजन अफसर को जिम्मेदारी दी है वो कभी बिजली बोर्ड का गेस्टहाउस संभालते थे। अब रिटायर हो चुके हैं, और सरकार ने उन्हें संविदा पर रखा है। ऐसे कठिन मौके पर वो कितना कुछ कर पाएंगे, इसका अंदाजा लगाना कठिन है।

दूसरी तरफ, रमन सरकार में ताकतवर अफसरों ने दिल्ली में बंगला आदि रखने के लिए भी आवासीय आयुक्त के पद को अपने पास रखा था। रमन सरकार में ऐसे मौके भी आए हैं जब सीएस, और एसीएस रैंक के अफसरों ने दिल्ली में एक और पद निर्मित कराकर आवासीय आयुक्त के पद को सिर्फ इसलिए ही अपने पास रखा था ताकि वहां बंगला और अन्य सुख सुविधाएं मिलती रहे। तब अफसरों की कमी नहीं थी, इसलिए काम चल गया। इससे परे दूसरे राज्यों में सीनियर, और काबिल अफसरों को आवासीय आयुक्त के रूप में पदस्थ किया जाता है। उत्तरप्रदेश के आवासीय आयुक्त रहे अजीत कुमार सेठ बाद में कैबिनेट सचिव बने। इसी तरह गुजरात के आवासीय आयुक्त रहे भरतलाल वर्तमान में केन्द्र सरकार में सचिव के पद पर हैं।

छत्तीसगढ़ के कुछ आवासीय आयुक्तों ने बेहतर काम किया है। आईएफएस अफसर बी वी उमा देवी के आवासीय आयुक्त के रूप में काम को सराहा गया था। उन्होंने उत्तराखंड आपदा के दौरान छत्तीसगढ़ के फंसे लोगों को निकलवाने में अहम भूमिका निभाई थी। मगर मौजूदा समय में अफसरों की कमी के चलते आवासीय आयुक्त पद पर बिना अतिरिक्त प्रभार के सीनियर अफसरों की पोस्टिंग हो पाएगी, यह फिलहाल मुश्किल दिख रहा है। 

ड्राइविंग लाइसेंस रद्द करने की पहल

राज्य में परिवहन विभाग ने जून 2020 में एक आदेश निकाला था कि वाहन का इस्तेमाल कर किसी ने महिला संबंधी अपराध किया और उसे कोर्ट ने दोषी पाया तो उसका ड्राइविंग लाइसेंस निरस्त कर दिया जायेगा। बलौदाबाजार में कोर्ट ने एक व्यक्ति को नाबालिग से छेड़छाड़ और अपहरण का दोषी पाया। एसएसपी ने उसका ड्राइविंग लाइसेंस 5 साल के लिये निरस्त करने परिवहन विभाग को पत्र लिखा। ज्यादातर अपराधों में बाइक, कार आदि इस्तेमाल तो किये ही जाते हैं। ड्राइविंग लाइसेंस निरस्त होने से कम से कम बाकी लोगों को सबक मिलेगा। कहा जा रहा है कि राज्य में इस प्रावधान के तहत यह पहली कार्रवाई है।

अच्छी बात है, पर दूसरी तरफ इसकी पड़ताल होती ही कितनी है कि कोई वाहन चालक लाइसेंसधारक है या नहीं। इस तरह की जांच तो कभी-कभी अभियान चलाकर ही की जाती है। लोग क्लीनर के हाथ में ट्रक तक थमा देते हैं, जो बड़ी-बड़ी दुर्घटनाओं को अंजाम देते हैं। उपरोक्त मामले में 5 साल के लिये लाइसेंस को निरस्त किया जा रहा है, लगभग इतनी या इससे ज्यादा अवधि तक आरोपी तो जेल ही काटेगा। यानि बाहर निकलने के बाद वह फिर नया लाइसेंस बनवाने का पात्र हो जायेगा? नियम कुछ व्यवहारिक हो तो खौफ हो। पांच साल तक लाइसेंस निरस्त रखने की अवधि सजा काटने के बाद की रखी जा सकती है। लाइसेंस निरस्त किया गया है इसकी सूचना भी सार्वजनिक हो, ट्रैफिक पुलिस के पास भी सूची हो। चेकिंग हो तो वास्तविक हो, नजराना लेकर छोड़ देने का खेल न हो। 

सैकड़ों छात्रों को फेल करने का फरमान

सरगुजा के बतौली में 10वीं, 12वीं बोर्ड की प्रायोगिक परीक्षा से गायब रहने के कारण करीब 370 छात्र-छात्राओं को फेल कर दिया गया है। अब इनके लिये मुख्य परीक्षा का कोई मतलब नहीं रह गया है। प्रायोगिक में पास हुए बिना उनकी मार्कशीट में उत्तीर्ण नहीं लिखा जायेगा। दरअसल, यहां के छात्र-छात्रा बीते कई दिनों से पुराने हिंदी स्कूल में स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी स्कूल खोलने का विरोध कर रहे हैं। उन्होंने नेशनल हाइवे पर चक्काजाम कर दिया। स्थानीय नागरिकों और भाजपा नेताओं का भी उन्हें साथ मिला। भीड़ एक हजार से ऊपर पहुंच गई। जोश में 10वीं, 12वीं के वे छात्र भी आंदोलन में साथ हो गये, जिनकी प्रायोगिक परीक्षा हो रही थी। किसी ने उन्हें बहका दिया होगा कि सब के सब गायब रहेंगे तो परीक्षा स्थगित कर दी जायेगी, लेकिन स्कूल के प्राचार्य ने इसे कठोर अनुशासनहीनता के रूप में लिया। परीक्षा आगे नहीं खिसकाई और सबको गैरहाजिर बता दिया। यानि उन्हें शून्य नंबर मिले।

रिपोर्ट के मुताबिक शिक्षा अधिकारी दुबारा परीक्षा लेने के लिये तैयार नहीं हैं, वे कह रहे हैं कि अब इन्हें मौका अगले साल ही मिलेगा।

कोरोना संक्रमण काल के बाद पहली बार ऑफलाइन परीक्षायें हो रही हैं। प्रायोगिक परीक्षाओं की तिथियां स्थानीय स्तर पर ही तय की जाती हैं। यदि किसी नासमझी के कारण बच्चों ने एक राय होकर परीक्षा का बहिष्कार किया तो इसमें लचीला रवैया रखा जा सकता था। आखिर उनका आंदोलन भी अपने स्कूल के मूल स्वरूप को बचाये रखने के लिये ही हो रहा था। यानि उनको अपनी पढ़ाई की चिंता तो है। बहरहाल, इस कड़े रुख पर जिला पंचायत सरगुजा की बैठक में भी ऐतराज जताया गया है, साथ ही उन लोगों पर कड़ी कार्रवाई करने की मांग की है जिन्होंने परीक्षा को छोडक़र बच्चों को सडक़ पर उतरने के लिये उकसाया।

मतदान में एक योगदान..

पड़ोसी राज्य ओडिशा में इन दिनों पंचायत चुनाव हो रहे हैं। कल चौथे चरण का मतदान पूरा हुआ। इस दौरान सोशल मीडिया पर आई इस तस्वीर ने लोगों का ध्यान खींचा। पोलिंग बूथ में तैनात एक महिला कांस्टेबल ने वोट देने आई 90 साल की वृद्धा को अपनी गोदी में उठाकर भीतर पहुंचाया।

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