राजपथ - जनपथ
पात-पात पर ऑनलाइन ठग
दूसरे के कंप्यूटर या मोबाइल फोन को दुनिया के किसी भी छोर में बैठकर ऑपरेट किया जा सकता है। कंप्यूटर में पहले से था, जिसका आम तौर पर सिस्टम के ऑनलाइन मेंटनेंस, रिपेयरिंग के लिये इस्तेमाल किया जाता था। टीमविवर इनमें सबसे ज्यादा लोकप्रिय रहा है। इसके अलावा एनि विवर, अल्ट्रावेयर, स्पेस डेस्क आदि भी हैं। पर, अब मोबाइल फोन पर अनेक ऐप हैं, जिनका ऑनलाइन ठगी में जबरदस्त इस्तेमाल किया जा रहा है। वृद्ध या कम पढ़े-लोग ही नहीं बल्कि अच्छे खासी डिग्री वाले, सरकारी या निजी कंपनियों में नौकरी कर रहे लोग, किसान, व्यापारी सभी इसके शिकार लोगों में शामिल हैं।
गूगल सर्च से किसी कंपनी या बैंक का फोन नंबर निकालकर डॉयल करने से समस्या शुरू होती है। ठगी का जाल बिछाये लोगों ने सर्च इंजन में अपने मोबाइल नंबर डाल रखे हैं। जबकि कस्टमर केयर नंबर या तो टोल फ्री होता है, या फिर लैंडलाइन का नंबर। मोबाइल नंबर जालसाजों के पास चला जाता है। इसके बाद वे एनी डेस्क जैसे ऐप मोबाइल फोन पर डाउनलोड कराते हैं। यहां गौर करने की बात है कि एनीडेस्क या कोई अन्य ऐप दूर बैठे किसी दूसरे को आपका फोन ऑपरेट करने की अनुमति तभी देता है, जब आप दूसरे को कोड नंबर बतायेंगे, जो ऐप के चालू करने पर मिलता है। ठग फोन को ऑपरेट करके ऑनलाइन पैसे अपने एकाउंट में जमा करा लेते हैं। गूगल की पता नहीं कोई जवाबदारी है या नहीं ऐसे फर्जी फोन नंबर्स को ब्लॉक करने की पर साइबर जागरूकता के लिये पुलिस ने बीते साल पूरे प्रदेश में अभियान चलाया था। अब भी हाट-मेलों में और सोशल मीडिया के जरिये कोशिशें ही रही हैं, पर लोग ठगी के शिकार हो ही रहे हैं। रोजाना केस दर्ज हो रहे हैं, वर्षों की जमा-पूंजी लुट रही है पर पुलिस बहुत कम लोगों की गर्दन दबोच पा रही है।
क्राइम ब्रांच की फिर से तैयारी
भाजपा विधानसभा में प्रदेश की कानून-व्यवस्था को मुद्दा बनाती रही है। इस बार सरकार के पास एक जवाब यह हो सकता है कि अपराधों पर अंकुश लगाने के लिये वह पुलिस क्राइम ब्रांच का फिर से गठन करने जा रही है। हाल ही गृह विभाग ने एक निर्देश दिया है कि राज्य के तीन बड़े जिले रायपुर, दुर्ग और बिलासपुर में क्राइम ब्रांच गठित की जाये। क्राइम ब्रांच टीम भाजपा सरकार के समय प्रदेश के लगभग सभी जिलों में काम करती थी। गंभीर किस्म के अपराध, साइबर अपराधों का पता लगाने और अपराध होने पर तुरंत घटनास्थल पर पहुंचने के लिए यह टीम तुरंत काम पर लग जाती थी। पर, कई जिलों से दबंगई और वसूली की शिकायत आने लगी। क्राइम ब्रांच ऐसी शाखा बन गई जो किसी भी इलाके में कार्रवाई करती थी पर थानेदार और उच्चाधिकारियों को भी बाद में इसका पता चलता था। जो जम गये थे वे घूम-फिर कर यहीं लौट आते थे। लगातार शिकायतों के बाद सभी टीमों को एक साथ भंग कर दिया गया था। अब यह टीम फिर से बनाने का जोखिम उठाया जा रहा है। देखना होगा कि पुलिस की छवि इससे सुधरेगी या फिर साख बिगड़ेगी।
घोटपाल मड़ई का आकर्षण
दक्षिण बस्तर का सबसे लोकप्रिय घोटपाल मड़ई इन दिनों चल रहा है। दूर दराज से ग्रामीण यहां पहुंच रहे हैं। उनके साथ आराध्य पुजारी, सिरहा, गुनिया, गायता भी होते हैं। इस मड़ई में पारंपरिक वेशभूषा और श्रृंगार के साथ पहुंचे एक स्थानीय आदिवासी।