राजपथ - जनपथ
गांजा तस्करी इसलिये नहीं रुकती..
प्रदेश में गांजे की तस्करी पर रोक नहीं लग पा रही है। लगातार धरपकड़ के बावजूद। पत्थलगांव में बीते अक्टूबर में दुर्गा विसर्जन के दौरान गांजे से भरी एक कार ने जुलूस को रौंद दिया। इसमें एक मौत हुई और दो दर्जन घायल हो गये। इसके बाद सरकार के निर्देश पर पीएचक्यू ने सख्ती शुरू की। चेक पोस्ट पर 24 घंटे पुलिस की तैनाती और सीसीटीवी कैमरे का निर्देश हुआ। पर हर दिन किसी न किसी जिले में गांजे की खेप पकड़ी जा रही है। इनमें अधिकांश गांजा ओडिशा से आता है। पहले मलकानगिरी की पहाड़ी पर ही इसकी खेती होती थी, पर अब आंध्रप्रदेश सहित ओडिशा के दूसरे कई जिलों कालाहांडी, भवानीपट्टनम, गंजाम, कंधमाल में भी हो रही है। छत्तीसगढ़ से गुजरने वाले गांजे की बहुत कम खपत यहां होती है। बाकी यूपी, बिहार, झारखंड, महाराष्ट्र, दमन-दीव, यहां तक जम्मू-कश्मीर में भी भेजा जाता है।
कारोबार चूंकि गैर-कानूनी है इसलिये छत्तीसगढ़ पुलिस इसके परिवहन पर रोक लगाने के लिये ताकत लगाती है। पत्थलगांव की घटना के चलते उन पर दबाव भी बना। थानों में दुर्घटनाओं के अलावा जो चारपहिया गाडिय़ां कबाड़ में तब्दील हो रही हैं, वे गांजा की तस्करी करते हुए ही पकड़ी गई हैं।
सांसद शशि थरूर, मेनका गांधी और केटीएस तुलसी गांजे के उत्पादन और कारोबार को मान्यता देने की मांग करते आये हैं। तुलसी ने तो शीर्ष कोर्ट में एक याचिका भी लगा रखी है। थरूर ने इसके समर्थन में करीब तीन साल पहले एक लंबा लेख भी लिखा था। वे इसे अर्थव्यवस्था से भी जोड़ते हैं। पैरवी करने वालों का कहना है कि सन् 1985 में अमेरिकी दबाव में इसे गैरकानूनी बनाया गया, ताकि शराब के कारोबारियों को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर फायदा मिले।
नेशनल ड्रग डिपेंडेंस ट्रीटमेंट (एनडीटीटी), एम्स दिल्ली की रिपोर्ट है कि शराब के बाद सर्वाधिक पसंदीदा नशा, गांजा और भांग है। भांग को तो कहीं-कहीं, विशेष अवसरों पर कानूनी मान्यता है। वजह इसके साथ जुड़ी धार्मिक गतिविधियां, जैसे महाशिवरात्रि और होली। पर दिलचस्प यह है कि दोनों एक ही पौधे से तैयार होता है। गांजा पौधे को सुखाकर, तो भांग पीसकर बनाया जाता है। एक ही पौधा एक प्रारूप में अवैध तो दूसरे में वैध है।
बात यही है कि छत्तीसगढ़ में पकड़ा जा रहा गांजा कानून व्यवस्था से जुड़ा कम, अंतर्राज्जीय समस्या ज्यादा है। पता नहीं कितनी ही कारें, ट्रकें रोज गांजा लेकर गुजर जाती हैं। दो-चार को पुलिस पकड़ पाती है। पर, इसके चलते पुलिस, अदालतों और जेलों की अतिरिक्त ऊर्जा लग रही है।
महिलाओं के इशारे पर उड़ान
अंतराष्ट्रीय महिला दिवस की पूर्व संध्या पर स्वामी विवेकानंद हवाईअड्डा पर हवाई यातायात नियंत्रण का पूरा काम महिलाओं को सौंपा गया। इसमें कंट्रोल टावर, अपैरल कंट्रोल और रूट कंट्रोल का काम शामिल था। रायपुर हवाईअड्डे का एयर ट्रैफिक कंट्रोल टॉवर प्रतिदिन 20 से अधिक उड़ानों को संभाल सकता है। जिंदाबाद.. नारी शक्ति!
ऑनलाइन जुए का दुष्परिणाम
बहुत सी पाबंदियां बेअसर हो रही हैं, मोबाइल फोन पर ऑनलाइन गेम, गैम्बलिंग और इन्वेस्टमेंट के चलते। हाल ही में संसद में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया कि बिटक्वाइन जैसी वर्चुअल करंसी को मान्यता नहीं दी गई है पर उसे रेगुलेट करने की कोशिश की जायेगी। अब ऐसे अनेक ऐप आ गये हैं जो आपको मामूली रकम निवेश करने के लिये उकसाते हैं, पर इनका हश्र क्या होगा, इसका पता नहीं होता। यही हाल ऑनलाइन जुआ का है। यह ताश पत्ती, वर्चुअल क्रिकेट या दूसरे खेलों के रूप में होता है। टीवी, अख़बारों में बड़े-बड़े सितारे इसका विज्ञापन करते हुए भी दिखते हैं। एक छोटा सा डिस्कलेमर बताया जाता है कि- सावधान आपको इसकी लत लग सकती है, अपनी जोखिम पर खेलें। अंबिकापुर में संदीप मिश्रा की बच्चों को जहर देने के बाद की गई खुदकुशी में पुलिस जांच से यह बात भी सामने आ रही है कि मृतक हाल के दिनों में दो लाख रुपये ऐसे ही एक ऑनलाइन गेम तीन पत्ती गोल्ड में हार गया था। जबकि, उस पर स्थानीय कर्ज का दबाव अलग से था। इस गेम के संचालकों को अब पुलिस नोटिस देकर जानकारी मांगने वाली है। यह हैरानी और चिंता की बात हो सकती कि कैसिनो खोलने, लॉटरी बेचने पर तो रोक है, पर इंटरनेट के जरिये ऐसे सब कारोबार वैध होते जा रहे हैं।