राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : स्कूल का नाम बदलने का फिर विरोध..
09-Mar-2022 4:51 PM
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : स्कूल का नाम बदलने का फिर विरोध..

स्कूल का नाम बदलने का फिर विरोध..

स्कूलों के नाम के साथ उसका इतिहास दर्ज होता है। साथ ही लोगों की भावनायें उससे जुड़ जाती हैं। रायगढ़, सरगुजा, जीपीएम सहित कुछ अन्य जिलों में स्कूलों का नाम बदलने को लेकर लोगों में असंतोष है। आंदोलन हुए हैं। अभ एक और मामला पिथौरा से आया है। यहां के सबसे पुराने राजा रणजीत सिंह कृषि उच्चतर माध्यमिक शाला का नाम माध्यमिक शिक्षा मंडल के पोर्टल से हटा दिया गया है और उसकी जगह स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट अंग्रेजी माध्यम दर्ज कर दिया गया है।

स्कूल 63 साल पुरानी है। कौडिय़ा राज के आदिवासी राजा रणजीत सिंह ने इसके लिये जमीन दान की थी। उनको दानवीर, न्यायप्रिय और प्रजा के प्रति संवेदनशील राजा के तौर पर भी जाना जाता है। गोंड समाज के लोग नाम हटाने को लेकर उद्वेलित हैं। उन्होंने सीएम और स्कूल शिक्षा विभाग को सितंबर के बाद हुए हुए बदलाव के विरोध में पत्र लिखा और अपनी भावनाओं को जाहिर किया। पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसका नतीजा यह निकला है कि महासमुंद जिले के इस एकमात्र कृषि हायर सेकेंडरी स्कूल के छात्र भी आंदोलन पर उतर आये हैं। उन्होंने मंगलवार को प्रदर्शन किया और आगे आंदोलन तेज करने की बात कर रहे हैं।

दरअसल, शासन उन स्कूलों को आत्मानंद स्कूलों के रूप में संचालित करने जा रहा है जो वर्षों से अच्छे सेटअप के साथ तैयार हैं। इससे वहां मापदंड के अनुसार इंफ्रास्ट्रक्टर तैयार करने में उन्हें आसानी होती है। पर इन स्कूलों के नाम के साथ स्थानीय लोगों के जुड़ाव को नहीं समझा जा रहा है। स्कूल शिक्षा विभाग के आदेश में यह साफ लिखा है कि पहले से ही किसी दानदाता या क्षेत्र के किसी प्रतिष्ठित व्यक्ति के नाम पर यदि कोई स्कूल है तो वह नाम विलोपित नहीं किया जायेगा, बल्कि उसके साथ यह लिखा जायेगा कि स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट विद्यालय के अंतर्गत संचालित है। इस आदेश का पालन न कर जगह-जगह विभिन्न जिलों में शिक्षा अधिकारी विवाद खड़ा कर रहे हैं।

आधी रात सडक़ पर लड़कियां..

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर पूरे प्रदेश में अनेक अनूठे कार्यक्रम हुए, पर बिलासपुर के अरपा रिवर व्यू के किनारे लगी महिलाओं की जमघट का कोई मुकाबला नहीं था। यह कार्यक्रम ही रात 9 बजे के बाद शुरू हुआ। रात 12 बजे कार्यक्रम खत्म होने के बाद लड़कियों ने शहर की सडक़ों को पैदल भी नापा।

संदेश यह था कि हमेशा लड़कियों को कहा जाता है कि वे देर रात तक घर से बाहर क्यों रहती हैं। जब लडक़े बाहर रह सकते हैं तो लड़कियां क्यों नहीं? सवाल मानसिकता का है। अनोखे आयोजन में गीत-संगीत का कार्यक्रम देर रात तक चला और पुरुषों ने भी वहां अपनी मौजूदगी दर्ज कराई। अधिवक्ता प्रियंका शुक्ला इस कार्यक्रम की संयोजक थीं।

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