राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : जब अफसरों के फूले हाथ-पांव
16-Mar-2022 6:27 PM
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : जब अफसरों के फूले हाथ-पांव

जब अफसरों के फूले हाथ-पांव

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में पिछले दिनों बाइक सुपरक्रॉस चैंपियनशिप का आयोजन हुआ। विदेश से आए बाइकर्स ने 80 फीट तक छलांग लगाकर हैरतअंगेज स्टंट किया। अरसे बाद बाइक प्रेमियों ने ऐसे आयोजन का आनंद उठाया। बताते हैं कि बाइक राइडिंग के शौकीन एक-दो आईएएस भी इससे हिस्सा लेना चाहते थे, लेकिन उन्हें समझाया कि बिना प्रैक्टिस के सीधे मैदान में बाइक चलाना रिस्की हो सकता है हालांकि मान भी गए। एक आईएएस ने प्रैक्टिस सेशन में बाइक जरूर दौड़ाई। इस चैंपियनशिप को ओपन फॉर ऑल रखा गया था। छोटे बच्चों से लेकर हर आयु के प्रतिभागियों के लिए कैटेगरी बनाई गई थी। आयोजकों के हाथ-पैर उस समय फूल गए, जब एक 60 साल के बुजुर्ग चैंपियनशिप में शामिल होने की जिद करने लगे। आयोजकों ने उन्हें समझाने की कोशिश, लेकिन वे नहीं माने तो उनसे फॉर्म भरवाया जा रहा था, तब पता चला वे पाटन विधानसभा के रहवासी है। अफसरों को इसकी भनक लगी, तो उन्होंने जैसे-तैसे मामले को संभाला। एक तो बुजुर्ग और हाईप्रोफाइल क्षेत्र के रहने वाले, अगर खुदा ना खास्ता कुछ हो जाता तो लेने का देना पडऩा तय था। उनको मनाने के बाद अफसरों और आयोजकों राहत की सांस ली।

बैक टू बैक दो बाधा

मुख्यमंत्री विधानसभा के बजट सत्र के बाद संभागवार दौरे पर निकलने वाले हैं। जहां वे रात गुजारने के साथ आम लोगों, पार्टी नेताओं और अधिकारियों से वन टू वन कर सकते हैं। पिछले साल भी सीएम ने ऐसा प्रोग्राम बनाया था। उनका प्रोग्राम बनने से जिलों के अधिकारियों में बेचैनी है, क्योंकि जिले में काम कमजोर दिखा तो गाज गिरना तय है। पहले के दौरे में कई अधिकारी निपटे थे और परफार्मेंस के आधार पर कलेक्टरों को शाबासी या नाराजगी मिली थी। स्वाभाविक है कि इस बार भी ऐसा ही होने वाला है। वैसे तो कलेक्टरों की बेचैनी दौरे के साथ-साथ बजट सत्र के बाद निकलने वाली ट्रांसफर सूची के कारण भी बढ़ी हुई है। चर्चा है कि कुछ बड़े जिले के कलेक्टरों को शिकायत और सियासी कारणों से हटाया भी जा सकता है। बैक टू बैक दो बाधा पार करने वाले अफसर की कुर्सी सलामत रह पाएगी।

होली का एक यह भी इतिहास

उन्नाव, रायबरेली, बाराबंकी और यूपी के कुछ अन्य जिलों को मिलाकर बने इलाके को बांसवाड़ा या बैसवारा भूमि कहा जाता है। बांसवाड़ा में अंग्रेजों के खूब छक्के छुड़ाए गए। यहां दखलंदाजी से अंग्रेज डरा करते थे। अंग्रेज अफसरों को मौत के घाट उतारने के बाद बहुत से सेनानी देश के अलग-अलग हिस्सों में जाकर छिप गये। कुछ लोग छत्तीसगढ़ में भी आ गये। इनमें से हनुमान सिंह बैसवारा ने रायपुर में एक अंग्रेज सार्जेंट को मौत के घाट उतार कर तोपखाना लूट लिया था।

जिस तरह महाराष्ट्र में गणेश उत्सव अंग्रेजों से लोहा लेने के लिए लोगों को जोडऩे का माध्यम बना था, उसी तरह से छत्तीसगढ़ के बैसवारा समाज के में शामिल विभिन्न जातियों के लोग होली के बहाने एकत्र हुआ करते थे। होली के 15 दिन पहले से ही फाग गाने के लिए लोग ढोल नगाड़ों के साथ इक_ा होते थे और अंग्रेजों को छकाने की रणनीति बनाते थे। बैसवाड़ा होली अब भी कायम है, जो यूपी से आये लोगों में मिलेगा, जो बरसों से यहां होने के कारण छत्तीसगढिय़ा हो चुके हैं। कभी आप उनके बीच जाकर होली के फाग का आनंद उठा सकते हैं।

बसवाड़ा होली रायपुर. बिलासपुर और आसपास के जिलों में अब तक देखी जा सकती है। बहुत कम लोगों को पता है कि इसके तार आजादी के आंदोलन से जुड़े हुए हैं।

को नृप होय हमें का हानि..

सप्लायर, अफसर और ठेकेदारों का सिंडिकेट सरकार बदलने पर टूटता नहीं। वह सदैव मजबूत रहता है। इसका एक नमूना बस्तर में स्कूलों के लिए की गई बायोमैट्रिक टेबलेट की खरीदी का मामला है। 2017 में इसका टेंडर हुआ। सिर्फ दो पार्टियों ने टेंडर में हिस्सा लिया। नियम तो कम से कम तीन प्रतिस्पर्धी होने चाहिये।

सप्लाई के कुछ समय बाद ही पता चल गया था कि टेबलेट घटिया है। पर करोड़ों रुपए की खरीदारी सन् 2022 में अभी तक होती रही। मसला यह भी है कि बेकार हो चुके ये सैकड़ों टेबलेट मरम्मत के बाद भी ठीक नहीं हो पाएंगे। यानि टेंडर भाजपा के शासनकाल में निकला। भाजपा शासन में 1 साल खरीदी हुई और चार साल तक कांग्रेस सरकार के दौर में चलती रही।

विपक्षी भाजपा ने नहीं, बस्तर से कांग्रेस के विधायक लखेश्वर बघेल ने इस मुद्दे को विधानसभा में उठाया। स्पीकर डॉ. चरण दास महंत नाराज हुए। उन्होंने सप्लाई करने वाली कंपनी को ब्लैक लिस्टेड करने का आदेश दिया और खुद ही एक जांच समिति बनाने का निर्देश दे दिया। ऐसा कम होता है कि स्पीकर ऐसी दखल किसी घोटाले में दें। जाहिर है बघेल ने विधानसभा में यह मुद्दा उठाने से पहले अपने स्तर पर स्कूल शिक्षा मंत्री और अफसरों से शिकायत की होगी। हैरानी यह है कि विधानसभा में मुद्दा उठने के बाद भी मंत्री की ओर से जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई के बारे में सिर्फ इतना कहा गया कि अटेंडर 2017 में हुआ था। जो अफसर जिम्मेदार है उन पर कार्रवाई के लिए क्या करेंगे, कुछ भी नहीं कहा। भ्रष्ट अधिकारियों के प्रति नरमी और उनको संरक्षण देने का मतलब एक ही होता है। आने वाले दिनों में मालूम हो सकेगा स्पीकर ने जो जांच समिति बनाने कहा है, उसका क्या नतीजा सामने आता है। हो सकता है, घोटाला भुला दिया जाएगा। लीपापोती की गुंजाइश बनी हुई है।

इंडियन बायसन के दो बछड़े

कभी-कभी सुनाई देता है कि किसी गाय ने दो बछड़ों को एक साथ जन्म दिया। चौपाया मादा प्राय: एक का ही प्रजनन करती हैं। पर, वन्य जीवों से दो पैदा हों, यह सामने आए और उसकी तस्वीर भी मिल जाए, यह वन्यजीव प्रेमियों के लिए यादगार हो जाता है। वरिष्ठ पत्रकार प्राण चड्डा ने अचानकमार में पाया कि एक मादा इंडियन बायसन अर्थात गौर के पीछे दो बछड़े साथ साथ चल रहे हैं। दोनों की आयु समान दिखाई दे रही है। यह तय करने में कोई दिक्कत नहीं हुई कि दोनों को मादा ने एक साथ जन्म दिया है। उन्होंने अचानकमार अभ्यारण के इस दुर्लभ क्षण की वीडियो बनाई, जिसकी क्लिपिंग इस तस्वीर में है।

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