राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : अब कांग्रेस का भाई-ज़मीनवाद
17-Mar-2022 5:27 PM
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : अब कांग्रेस का भाई-ज़मीनवाद

अब कांग्रेस का भाई-ज़मीनवाद 

भिलाई में हाउसिंग बोर्ड के करोड़ों की जमीन कौडिय़ों में खरीदने के केस की वजह से सरकार मुश्किलों में घिर गई है। करीब 15 करोड़ की जमीन ढाई करोड़़ में कांग्रेस विधायक के कांग्रेस-पदाधिकारी भाई को दे दी गई। विधानसभा में बुधवार को इस पर खूब हल्ला मचा। सुनते हैं कि कांग्रेेस विधायक के एक भाई बोर्ड में संपत्ति अधिकारी के पद पर भी हैं। कुल मिलाकर राजनीतिक और प्रशासनिक दबदबे की वजह से सिंगल ऑफर मंजूर कर लिया गया, और संगठन के पदाधिकारी के नाम संपत्ति हो गई। इस मामले पर ज्यादा कुछ तो चर्चा नहीं हो पाई, लेकिन विपक्ष मुद्दे को आसानी से छोडऩे के मूड में नहीं है। विधानसभा के अगले कार्य दिवस में भाजपा विधायकों की फिर से जोर-शोर से जमीन घोटाले में अनियमितता को लेकर मामले को उठाने की रणनीति है। भाजपा के नेता खैरागढ़ उपचुनाव में भी जोर-शोर से प्रचारित करने की योजना पर काम कर रहे हैं, लेकिन इसका चुनाव में भले ही इसका फायदा हो या न हो, कांग्रेस विधायक और उनके भाईयों ने पार्टी को बैकफूट पर ला दिया है।

खैरागढ़ में क्या होगा ?

खैरागढ़ चुनाव का बिगुल बज चुका है। भाजपा के कई नेताओं का मानना है कि यहां के नतीजे विशेषकर पूर्व सीएम डॉ. रमन सिंह का राजनीतिक भविष्य तय करेंगे। खैरागढ़, रमन सिंह की विधानसभा सीट राजनांदगांव से लगी है। यहां से उनके बेटे अभिषेक  सिंह सांसद भी रहे हैं। वर्तमान में संतोष पांडेय सांसद हैं।

सुनते हैं कि पार्टी हाईकमान ने विधानसभा चुनाव, और फिर बाद के उपचुनावों में बुरी हार के बाद रमन सिंह को प्रदेश की राजनीति से दूर कर महाराष्ट्र जैसे बड़े राज्य  के राज्यपाल का ऑफर दिया गया था। उस वक्त रमन सिंह ने हाईकमान को स्पष्ट तौर पर बता दिया था कि वो राज्य की राजनीति से अलग नहीं होना चाहते हैं। वो खुले तौर पर कह चुके हैं कि सीएम पद के अब भी चेहरा हैं। फिर हाईकमान ने भी उन्हें जोर नहीं दिया। इसके बाद संगठन के सारे फैसले रमन सिंह के मन मुताबिक होते रहे हैं। इन सबके बावजूद पार्टी की स्थिति में सुधार नहीं आया है।

जानकार मानते हैं कि खैरागढ़ चुनाव रमन सिंह के लिए आखिरी मौका साबित हो सकता है। उन्होंने भी इसको भांपते हुए एक तरह से चुनाव की कमान अपने हाथों में ले ली है, और संतोष पांडेय को किनारे कर अपने करीबी खूबचंद पारख को चुनाव प्रभारी बनवाया है। मोतीलाल साहू और ओपी चौधरी को सहप्रभारी बनाया गया है। चार राज्यों में भाजपा को मिली जीत का फायदा यहां खैरागढ़ में भी मिलने की उम्मीद से है, लेकिन ऐसा नहीं हुआ, तो कम से कम रमन सिंह के लिए पार्टी के भीतर मुश्किलें बढ़ सकती हैं। देखना है आगे क्या होता है।

प्रशासन प्रमुख की नई तिकड़ी

छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद प्रशासन मुखियाओं की तिकड़ी काफी चर्चित हुई थी। शासन प्रमुख आरपी मण्डल रिटायरमेंट के बाद पुर्नवास पा चुके हैं। जबकि पुलिस प्रमुख डीएम अवस्थी एक तरह से हिट विकेट होकर मैदान से बाहर हो चुके हैं। इस तिकड़ी में से एक वन प्रमुख राकेश चतुर्वेदी मैदान पर लंबी पारी खेल रहे हैं। चर्चा है कि वे पारी पूरी होने से पहले इनिंग घोषित करने की तैयारी में है। यानी 5-6 महीने पहले ही वीआर लेने की योजना बना रहे हैं। कहा जा रहा है कि वे पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड में नई पारी की शुरूआत कर सकते हैं। उनके जाने के बाद एक और स्थानीय अफसर संजय शुक्ला के लिए वन प्रमुख का रास्ता साफ किया जा रहा है। हालांकि शुक्ला की राह में कोई अड़चन नहीं है, लेकिन चतुर्वेदी के पूरा कार्यकाल पूरा करने की स्थिति में उन्हें 6-8 महीने का ही समय मिल पाता। नए समीकरण में उन्हें डेढ़ साल का कार्यकाल मिलेगा। छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव के लिए भी इतना ही समय बचा है। इस तरह छत्तीसगढ़ में ब्यूरोक्रेसी को भी संतुष्ट किया जा रहा है, क्योंकि सरकार का परफार्मेंस काफी हद तक अफसरों के कामकाज पर निर्भर करता है। सरकार का चेहरा चमकाने वाले भी तो यही लोग हैं। ऐसे में सरकार की इस रणनीति का कितना लाभ मिलता है, यह तो समय ही बताएगा।

भूपेश का सियासी दांव

कश्मीर त्रासदी पर बनी फिल्म कश्मीर फाइल्स पर जमकर सियासत चल रही है। छत्तीसगढ़ बीजेपी के नेता इस फिल्म को टैक्स फ्री करने की मांग कर रहे हैं। राज्य के सिनेमाघरों में सीटें खाली रहने के बावजूद हाउस फुल का बोर्ड लगाकर फिल्म देखने से वंचित किए जाने के आरोप भी लगाए गए। बीजेपी मुद्दे को गरम करने की कोशिश में थी ही, कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सियासी दांव खेल दिया।

उन्होंने सदन में सत्ता और विपक्ष के विधायकों को साथ में फिल्म देखने का न्यौता दे दिया, जबकि इसके पहले तक बीजेपी के नेता आम लोगों, अपने कार्यकर्ताओं और समर्थकों थिएटर में जाकर फिल्म देखने के लिए प्रेरित कर रहे थे, लेकिन मुख्यमंत्री के न्यौते पर बीजेपी का कोई नेता नहीं पहुंचा। ऐसे में बीजेपी का यह दांव भी टांय-टांय फिस्स हो गया। मुख्यमंत्री की इस पहल की खूब चर्चा है और मीडिया, सोशल मीडिया में वो खूब सुर्खियां बटोर रहे हैं। इतनी ही नहीं उन्होंने मीडिया के लोगों को भी आंमत्रित किया था। फिल्म देखने के बाद उन्होंने बीजेपी पर पलटवार करते हुए कहा कि पूरी फिल्म हिंसा से भरी हुई है। जिससे किशोरों और बच्चों पर बुरा असर पड़ सकता है। फिल्म के आखिरी में नायक के संदेश का जि़क्र करते हुए उन्होंने कहा कि फिल्म में ही इस बात को स्वीकारा गया है कि इसमें केवल हिन्दू नहीं, बल्कि मुसलमान, सिख भी विस्थापित हुए हैं। इसके बाद से बीजेपी की ओर से कोई बयान नहीं आया है। लगता है कि बीजेपी के नेताओं को उम्मीद नहीं थी कि कांग्रेसी मुख्यमंत्री की ओर से ऐसा दांव खेला जाएगा। जिससे उनकी बोलती बंद हो जाए।

पुलिस का राजगीत गाना

कोरबा पुलिस ने सुबह ड्यूटी की शुरूआत राजगीत से करने का फैसला लिया है। पुलिस अधीक्षक ने इसमें व्यक्तिगत रूचि ली। जिले के सभी 16 थानों, 4 चौकियों और 7 सहायता केंद्रों में इस आदेश पर अमल शुरू हो गया है। इसे शुरू करने का उद्देश्य यह बताया गया है कि पुलिस कर्मियों के दिन की शुरूआत राजगीत से करने पर उन्हें अपनी मिट्टी के प्रति लगाव बढ़ेगा और प्रेम, बंधुत्व का भाव जागेगा। अमूमन अपने रहते आईएएस, आईपीएस कुछ अलग हटकर करते हैं तो उनके रहते तक तो सब ठीक चलता है पर नये अधिकारी के आने के बाद परंपरा टूट जाती है। देखना है कि इससे पुलिस की छवि कितनी बदलेगी और आगे आने वाले अधिकारी इसे जारी रखेंगे या नहीं।

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