राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : जय श्री राम के नारों के बीच
20-Mar-2022 5:24 PM
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : जय श्री राम के नारों के बीच

जय श्री राम के नारों के बीच

‘कश्मीर फाइल्स’ फिल्म पर काफी बहस हो रही है। विशेषकर भाजपा, और संघ परिवार के लोग झंडे लेकर फिल्म देखने पहुंच रहे हैं।  फिल्म से ज्यादा अब उत्साही भाजपाईयों के तेवर की चर्चा होने लगी है। शनिवार को पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल, और सुनील सोनी भी लाव-लश्कर लेकर फिल्म देखने पहुंचे। उनके और समर्थकों के लिए पीवीआर में 309 टिकट बुक कराई गई थी, लेकिन साढ़े 4 सौ लोग फिल्म देखने पहुंच गए।

खैर, सीट न मिलने पर उत्साही भाजपा कार्यकर्ता जमीन पर बैठकर फिल्म देखने लगे। फिल्म के बीच-बीच में जय श्रीराम, और कश्मीर हमारा है, के नारे लगने लगे। कुल मिलाकर थियेटर में इतना शोर शराबा हुआ कि ज्यादातर लोगों को फिल्म समझ में ही नहीं आई। संवाद सुनाई नहीं दिए। मगर उत्साही कार्यकर्ताओं ने थियेटर से निकलते हुए कश्मीर समस्या के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार ठहरा दिया।

पदयात्रा भारी पड़ी

सेरीखेड़ी में अवैध कब्जाधारियों का समर्थन करना भाजपा के नेताओं को भारी पड़ गया। उक्त जमीन पर कब्जा हटाने के लिए होली के पहले ही नोटिस जारी किया गया था। कब्जाधारी होली के अगले दिन ग्रामीण पदयात्रा करते हुए कलेक्टोरेट जा रहे थे। बाद में जिलाध्यक्ष बॉबी कश्यप, और अन्य भाजपा नेता भी साथ हो गए।

गांधी उद्यान के पास पहुंचते ही कई लोग कलेक्टोरेट जाने के बजाए सीएम हाउस के नजदीक पहुंच गए। त्योहारी माहौल में ज्यादा बल तो था नहीं, हड़बड़ाए पुलिस कर्मियों ने किसी तरह लोगों को हिरासत में लिया। बॉबी कश्यप समेत दर्जनभर नेताओं के खिलाफ अपराध दर्ज कर लिया गया। कुछ देर बाद बाकी ग्रामीणों को तो छोड़ दिया गया। लेकिन भाजपाइयों की रिहाई नहीं हो पाई।

पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल, और सांसद सुनील सोनी सहित कई नेता सिविल लाइन थाने पहुंचे, और एसएसपी व आईजी से चर्चा कर भाजपा नेताओं की रिहाई की कोशिश में लगे रहे, लेकिन इसमें सफलता नहीं मिलने पर सभी नेता फिल्म देखने के लिए चले गए। इधर, बॉबी और अन्य लोगों के खिलाफ धारा बढ़ गई। और फिर उन्हें जेल भेज दिया गया। कुल मिलाकर बिना योजना के प्रदर्शन भारी पड़ गया। अब सुनते हैं कि बात झारखण्ड के राज्यपाल की दखल से ही बात बनेगी।

सदन में कांग्रेस विधायकों के सवाल

विधानसभा में इस बार कांग्रेस के विधायक भी कई ऐसे सवाल कर रहे हैं जिसका जवाब सरकार की ओर से देते नहीं बन रहा है। विधायक छन्नी साहू ने शराब की अवैध बिक्री और नई दुकानें खोलने के मुद्दे पर सरकार को घेरा। बिलासपुर विधायक शैलेष पांडे मल्टी स्पेशियलिटी हॉस्पिटल शुरू नहीं होने पर सरकार को घेर चुके हैं। जशपुर विधायक विनय भगत ने अपने क्षेत्र के विकास कार्यों को लेकर अधिकारियों की भूमिका पर सवाल उठाये हैं। लघेश्वर बघेल ने बायोमैट्रिक खरीदी में करोड़ों का घोटाला होने की बात उठाई है, जिस पर जांच समिति भी बनाई जायेगी। केशकाल के विधायक संतराम नेताम तो बेहद नाराज थे। उन्होंने पीएमजीएसवाय में सब इंजीनियर को एसडीओ और ईई का प्रभार देने को लेकर सरकार से सवाल किये। जवाब से असंतुष्ट होकर उन्होंने कह दिया कि सही उत्तर नहीं मिलेगा तो हम सदन ही क्यों आयेंगे? विधायक संतराम की शिकायत सही हो सकती है क्योंकि अफसरों ने जैसा जवाब दिया, मंत्री ने वैसा पढ़ दिया होगा। भाजपा शासनकाल में तत्कालीन विधायक देवजी भाई पटेल भी खूब तैयारी करके आते थे और अपनी ही सरकार पर नकेल कसा करते थे।

इस बार तो लड़ लेंगे

मरवाही विधानसभा उप-चुनाव में जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) को लडऩे का मौका ही नहीं मिला। स्वर्गीय अजीत जोगी जी वह पारंपरिक सीट थी, जिस पर अमित जोगी और उनकी पत्नी ऋचा जोगी दावा कर रहे थे। लड़ पाते तो तस्वीर ही अलग होती, किंतु जाति का मसला ठीक चुनाव से पहले ऐसे उछला कि उनका नामांकन पत्र ही रद्द हो गया। अब खैरागढ़ में उप-चुनाव होने जा रहा है, जहां जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) के विधायक देवव्रत सिंह प्रतिनिधित्व करते थे। सामान्य सीट है, कोई भी लड़ सकता है। जेसीसी (जे) की एक बैठक सोमवार को होने वाली है, जिसमें खैरागढ़ से चुनाव लडऩे की रणनीति बनाई जाएगी। ऐसा लगता नहीं कि कांग्रेस की ओर से खैरागढ़ से जेसीसी (जे) को लडऩे से रोकने की कोई कोशिश की जाएगी। बीते चुनावों में मिली जीत के चलते कांग्रेस निश्चिंत लग रही है। देखना पड़ेगा कि जोगी की पार्टी मुकाबले में आ पाएगी या नहीं।

जब एसी कूलर का चलन नहीं था..

ग्रामीण जीवन का सुकून अब के शहरी वातावरण से तो बिल्कुल मेल नहीं खाता। फ्लैट, टू बीएचके, थ्री बीएचके में सबका जीवन सिमटा हुआ है। चौड़े आंगन हों, आंगन में कतार से लगी चारपाई हो, ऐसे दिन तो लद गये। पर उन दिनों को इस तरह की तस्वीरों से याद किया जा सकता है।

ईश्वर के नाम पर नोटिस

कई बार सरकारी काम के तौर-तरीके से हास्यास्पद स्थिति पैदा हो जाती है। रायगढ़ नगर-निगम में एक शिव मंदिर है, जिसका और कुछ अन्य भवनों का निर्माण अवैध कब्जे की जमीन पर होने की शिकायत है। यहां की सुधा रजवाड़े ने हाईकोर्ट में याचिका लगाकर सरकारी जमीन से बेजा-कब्जा हटाने की गुहार लगाई। कोर्ट ने राजस्व अधिकारियों को जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करने कहा है। अब तहसीलदार ने 9 कब्जाधारियों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। इनमें से एक हैं-शिव मंदिर। शिव मंदिर अपने आप में कोई व्यक्ति है नहीं। कोई न कोई इसका पुजारी, ट्रस्टी या प्रबंधक होगा लेकिन तहसीलदार ने सीधे शिव मंदिर को ही नोटिस जारी कर दी है। उन्हें छठवें नंबर का प्रतिवादी बनाया गया है। तहसीलदार का कहना है कि कोई भी व्यक्ति दावा नहीं कर रहा है कि मंदिर की देख-रेख वह करता है। इसलिये सीधे मंदिर के नाम पर नोटिस दी गई है। बहरहाल, पेशी की नियत तारीख में कौन मंदिर की ओर से खड़ा होता है देखना पड़ेगा। भगवान शिव तो दर्शन देने से रहे।

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