राजपथ - जनपथ
विश्व जल दिवस और कोदो..
छत्तीसगढ़ ही नहीं, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल, मध्यप्रदेश बिहार, गुजरात, उत्तरप्रदेश आदि राज्यों में कोदो की पैदावार होती है। अन्य देशों में फिलिपींस, वियतनाम, मलेशिया, इंडोनेशिया, थाइलैंड और दक्षिण अफ्रीका के कई राज्यों में भी इसे उगाया जाता है। पर ज्यादातर जगहों पर इसे गरीबों का भोजन माना जाता है। आज जब विश्व जल दिवस है तो कोदो जैसी फसलों पर ज्यादा काम करने के बारे में सोचने की जरूरत है। छत्तीसगढ़ सरकार ने धान के अलावा जिन और फसलों का समर्थन मूल्य तय किया है, उनमें यह भी शामिल कर लिया गया है। पर अब भी इसे उगाने में रुचि लोगों को कम ही है।
कमाल की बात है कि कोदो को धान के ही सीजन में बोया जाता है। वैसे कम पानी की जरूरत के चलते यह बारहों महीने पैदा किया जा सकता है। बहुत से लोग इसे एक किस्म का धान ही समझते हैं, पर इसके गुण बिल्कुल विपरीत है। चावल खाने से मधुमेह के रोगियों को रोका जाता है, जबकि कोदो खाने की सिफारिश की जाती है। स्वाद भी बुरा नहीं।
इधर कोदो के बारे में सोच बदल भी रही है। वैज्ञानिक नाम तो बड़ा कठिन है-पास्पालम-स्क्रोबिक्यूलैटम। इसलिये बाजार में यह कोदो चावल या कोदो आटा के नाम से प्राय: मिलता है। पोषण, ग्लूटन एनर्जी, डायबिटीज के बढ़ते मामलों को देखते हुए इलिट क्लास में इसकी मांग बढ़ती जा रही है। नाश्ते में ही नहीं, भोजन में भी कोदो को शामिल किया जा रहा है। यह तस्वीर कोदो से बनी इडली की है। सांभर, चटनी तो परंपरागत है।
कोरोना काल के अवसर
कोरोना काल में खरीदी और दूसरे मदों में खर्च करने के नियमों में काफी शिथिलता बरती गई थी। इसका जमकर फायदा अफसरों और कई कांग्रेस नेताओं ने उठाया। जांजगीर-चांपा जिले में डीएमएफ की राशि से हुए अनाप-शनाप खर्च पर पहले भी आवाज उठाई गई थी। अब यह मामला विधानसभा में भी ले जाया गया है। विधायक सौरभ सिंह ने सवाल उठाया कि स्वास्थ्य कर्मचारियों को किस तरह का प्रशिक्षण आखिर दिया गया कि उसमें 16 करोड़ रुपये खर्च हो गये। किसी को नहीं पता कि क्या प्रशिक्षण मिला, प्रशिक्षित कौन हुआ? उनका आरोप है कि प्रशिक्षण के नाम पर कांग्रेस नेताओं की फर्म के नाम पर चेक काट दिये गये। एक सवाल और किया गया कि करोड़ों रुपये से कोविड अस्पताल के लिये 28 वेंटिलेटर की खरीदी की गई, लेकिन उनमें से सिर्फ 5 मौजूद हैं, बाकी 23 गायब हैं। नियम क्या इसीलिये बदले गये कि आपदा को अवसर बना लिया जाये?
बहरहाल, मंत्री निरुत्तर तो थे। पर इस कथित भ्रष्टाचार के लिये कोई जांच कराने, कार्रवाई करने पर कोई जवाब नहीं मिला।
महुआ बीनती विधायक पत्नी
महुआ बीन रही इन महिलाओं में एक प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष व कोंडागांव विधायक मोहन मरकाम की पत्नी हैं। साथ में उनके बच्चे भी हैं। भाजपा शासनकाल के दौरान गृह मंत्री ननकीराम खेत में काम करते हुए दिखे थे। सांसद फुलो देवी नेताम को भी धान बोते हुए पिछले साल देखा जा चुका है। इन तस्वीरों के सामने आने से एक निष्कर्ष तो निकाला जा सकता है कि जमीन से जुड़े होने का एहसास दिलाना मतदाताओं से जुड़े रहने के लिहाज से बहुत जरूरी होता है। भले ही सांसद, विधायक, मंत्री और उनके परिवार को ऐसा करने की जरूरत न हो।