राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : महंत के तीखे तेवर
23-Mar-2022 6:31 PM
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : महंत के तीखे तेवर

महंत के तीखे तेवर

छत्तीसगढ़ विधानसभा के बजट सत्र में अध्यक्ष डॉ चरणदास महंत के तीखे तेवरों ने सभी का ध्यान आकृष्ट किया। कई ऐसे मौके आए, जब उनकी टिप्पणियां से सरकार के माथे पर बल पड़ते दिखे। पलायन के मुद्दे पर उन्होंने यहां तक कह दिया कि यह छत्तीसगढ़ के लिए कलंक है। भ्रष्टाचार के मामले में अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई पर विभागीय मंत्री के असमर्थता व्यक्त करने पर उन्होंने आसंदी से व्यवस्था दे दी और सदन से ही थोक में अफसरों के निलंबन की घोषणा हो गई। एक अन्य मामले में उनके दबाब के चलते ही सदन की समिति से जांच की घोषणा की गई। कुल मिलाकर अध्यक्ष ने इस सत्र में तीखे तेवर दिखाए, जिसकी जमकर चर्चा रही।

तीन साल से अधिक के अध्यक्षीय कार्यकाल में डॉ महंत इतने कडक़ शायद ही कभी दिखे। सत्तापक्ष के सदस्य तो यहां तक कहने लग गए थे कि अध्यक्ष के तेवर को देखकर लगता है मानों उन्हें विपक्ष ने चुना हो। खैर, विधानसभा का बजट सत्र तीन दिन पहले निपटने से सत्तापक्ष ने जरूर राहत की सांस ली होगी। संभव था कि अध्यक्ष सरकार के लिए और कोई समस्या खड़ी कर देते। वैसे भी डॉ महंत का राज्य की राजनीति से मोह भंग हो चुका है। वे राज्यसभा के जरिए केन्द्रीय राजनीति में लौटना चाहते हैं। ऐसे में वे जाते-जाते विधानसभा में छाप छोडऩा चाहते हों, हालांकि अभी उनका राज्यसभा में जाना तय नहीं है। संभव है कि यह उसी की रणनीति का हिस्सा हो।

फिलहाल तो सब कुछ अटकलों में है, लेकिन सियासत में कुछ भी हो सकता है। बहरहाल, समय आने पर स्थिति साफ हो ही जाएगी, लेकिन उनके तेवर और राज्यसभा जाने की इच्छा दोनों को एक-दूसरे से जोडक़र देखा जा रहा है। दूसरी तरफ अगर वे राज्यसभा में चले जाते हैं तो राज्य मंत्रिमंडल में भी फेरबदल की स्थिति बन सकती है।

बॉडी बिल्डर कलेक्टर मुश्किल में

छत्तीसगढ़ विधानसभा का बजट सत्र समाप्त होने के बाद प्रशासनिक फेरबदल की सुगबुगाहट तेज हो गई है। संभावना है कि कई जिलों के कलेक्टर बदले जा सकते हैं। सत्र की समाप्ति के दिन सुकुमा कलेक्टर के खिलाफ आदिवासियों के आक्रोश के बाद उनकी रवानगी तय मानी जा रही है। उन्हें सुकमा में कलेक्टरी करते हुए करीब दो साल का समय भी हो चुका है। वे बस्तर संभाग के ही रहने वाले हैं। साल 2013 बैच के इस बॉडी बिल्डर अधिकारी के बारे में कहा जाता है कि उन्होंने आदिवासी हितों और नक्सल मोर्चा पर अच्छा काम किया है, लेकिन कल की घटना ने उनके सब किए धरे में पानी फेरने के लिए पर्याप्त माना जा रहा है।

इसी तरह कोरबा कलेक्टर और मंत्री के बीच तनातनी के कारण नई पोस्टिंग की अटकलें लगाई जा रही है। कुछ और अफ़सर भी राजधानी में बैठे हुए इसमें दिलचस्पी ले रहे हैं। इसी तरह दो साल से ज्यादा समय तक एक ही जिले में जमे अफसरों को भी बदला जा सकता है। छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव के लिए लगभग डेढ़ साल का समय बचा है। ऐसे में सरकार परफार्मेंस देने वाले अफसरों की नए सिरे से नियुक्ति कर सकती है। इसमें राज्य प्रशासनिक सेवा से आईएएस बने अफसरों को ज्यादा मौका मिलने की संभावना जताई जा रही है।

इसमें पैर फंसेगा तो?

राजधानी रायपुर के बगीचों में कसरत करने के लिए मशीनें तो लगा दी गई हैं, लेकिन कुछ हफ्तों में ही उनमें टूट-फूट शुरू हो जाती है, और कुछ महीनों में उनमें से कुछ काम करना बंद कर देती हैं, लेकिन रख-रखाव करवाने में किसी को कोई पैसा बचता नहीं, इसलिए एक बार लगवाने तक तो ठीक है, उसके बाद किसी को फिक्र नहीं रहती। अब म्युनिसिपल के एक बड़े बगीचे में जहां रोज सैकड़ों बच्चे खेलते हैं वहां की फिसलनी का यह हाल है कि फिसले हुए किसी बच्चे का पैर इसमें फंस जाए, तो वह कटकर अलग हो सकता है। अनुपम उद्यान इलाके के पार्षद कौन हैं?

कलेक्टर के खिलाफ आक्रोश

कांग्रेस और भाजपा की सरकारों ने अपने-अपने समय में दूरस्थ इलाकों में छोटे-छोटे जिले यह सोचकर ही बनाये कि आम लोगों की जिले के अधिकारी तक सहज पहुंच सके। पर, यदि दूर के जिलों में तैनात अफसर यदि यह सोचने लगें कि राजधानी तक लोग कहां शिकायत करने जाएंगे, जिनको वे सुनना चाहते हैं, सिर्फ उनको सुनेंगे, तब पीडि़त अपनी समस्या किसे बताएंगे।

सुकमा में कलेक्ट्रेट का गेट तोडक़र आदिवासी समाज के सैकड़ों लोगों का भीतर घुसना बताता है कि लोग जिला प्रशासन के तौर-तरीके से किस तरह से नाराज हैं। जिले के विभिन्न स्थानों से पहुंचे आदिवासी कलेक्टर से मुलाकात करना चाहते थे लेकिन घंटों इंतजार करने के बाद भी उनको मिलने के लिए नहीं बुलाया गया।

यह जरूर है कि उनकी कई मांगें, जैसे बेरोजगारी भत्ता देना, कुछ नगर पंचायतों को फिर से ग्राम पंचायत का दर्जा देना, तेंदूपत्ता पॉलिसी बदलना, नक्सल आरोप में जेल में बंद लोगों को रिहा करना, राज्य शासन के स्तर पर सुलझने वाली मांगें हो सकती हैं, पर इस वजह से ग्रामीणों की बात को सुनने से ही मना करना कहां जायज है? अब आदिवासी समाज के लोग कलेक्टर को हटाने की मांग भी कर रहे हैं।

बस्तर पर एक खास वीडियो

वैसे बस्तर की नैसर्गिंक सुंदरता, जल प्रपात, त्यौहारों आदि के बारे में देश ही नहीं दुनिया भर में लोग जानते हैं। बस्तर की संस्कृति को सामने लाने वाले कई वीडियो अब सोशल मीडिया पर मिल जाते हैं। हाल ही में यू ट्यूब पर रिलीज हुई बस्तर चो गीत इस मायने में खास है कि पहले दिन में ही इसे एक लाख से अधिक लोग देख चुके थे और सैकड़ों लोग शेयर कर चुके। आज सुबह तक विवर्स की संख्या दोगुनी पहुंच चुकी है।

दरअसल, गीत-संगीत के साथ ही इसके फिल्मांकन में भी काफी मेहनत की गई है। देश के किसी हिस्से की युवतियां आपस में चैट करती हैं कि इस बार छुट्टियों में कहां जाएं। किसी का सुझाव गोवा, तो किसी का और दूसरी जगह के लिए। पर बस्तर के नाम पर सब उत्साहित हो जाते हैं। इस बहाने बस्तर के अनेक स्थानों को फिल्माया गया है। बस्तर, जिसके बारे में देश के कई भागों में नक्सल समस्या को लेकर ही अकेले पहचान है। इस तरह के वीडियो से लोगों को इसके दूसरे आकर्षक पहलू का भी पता चलेगा। वीडियो जिला प्रशासन और एनएमडीसी के सहयोग से बनाया गया है।

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