राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : यह आंदोलन असरदार होगा?
25-Mar-2022 6:41 PM
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : यह आंदोलन असरदार होगा?

यह आंदोलन असरदार होगा?

आंदोलनों के बहुत सारे तरीके होते हैं। कुछ तरीके असरदार होते हैं, और कुछ तरीके बेअसर भी रहते हैं। मध्यप्रदेश में नर्मदा सरोवर के आंदोलन में कई महिलाओं ने पानी में डूबकर कई दिनों तक लगातार प्रदर्शन किया, और पानी से उनके पैरों पर पड़ी झुर्रियों की तस्वीरें दुनिया भर में लोगों का दिल दहलाने वाली थीं. जल सत्याग्रह कई जगहों पर असरदार प्रदर्शन साबित हुआ है। अभी छत्तीसगढ़ में वन कर्मचारियों का आंदोलन चल रहा है। ऐसी खबरें भी गांव-गांव से आ रही हैं कि गर्मी के इस मौसम में जंगलों में आग लगने का खतरा रहता है और ऐसे में वन कर्मचारियों के आंदोलन से यह खतरा बढ़ जाता है। कोरबा की एक खबर है कि वहां आंदोलन पर बैठी हुई महिला वन कर्मचारियों ने हाथों में मेहंदी लगा कर प्रदर्शन किया।

सरकार के नजरिए से देखें तो यह प्रदर्शन सबसे अधिक सहूलियत का है क्योंकि जब तक हाथों में मेहंदी लगी हुई है तब तक तो न वे हाथ पत्थर चला सकते, न ही पुलिस का कोई बैरियर तोड़ सकते, और न ही पुलिस की लाठियों को थाम कर पीछे धकेल सकते। स्थानीय पुलिस से पूछा जाए तो वह तो हर आंदोलनकारी के हाथों के लायक मेहंदी का जुगाड़ करके उसे भिजवाने भी तैयार हो जाएगी, और हो सकता है कि किसी मेहंदी लगाने वाले को भी भेज दे अब कर्मचारियों को यह सोचना चाहिए कि प्रदर्शन के इस तरीके से क्या सचमुच ही सरकार पर कोई दबाव पड़ सकता है?

फिल्म अच्छी न लगी हो तो चुप, वरना...

अलवर, राजस्थान के एक बैंक मैनेजर ने ‘द कश्मीर फाइल्स’ फिल्म देखने के बाद चुप्पी के बजाय सोशल मीडिया पर अपनी राय रख दी। सवाल उठाया कि दलितों पर इतने अत्याचार होते हैं, उन पर फिल्में क्यों नहीं बनती। ’जय भीम’, दलितों को न्याय दिलाने की एक सच्ची घटना पर बनी है, उस फिल्म को टैक्स फ्री क्यों नहीं किया गया था? फिल्म के समर्थकों ने इस आलोचना के जवाब में कुछ लिख दिया। दलित बैंक मैनेजर खुद पर काबू नहीं रख पाया। जवाब में देवी-देवताओं के बारे में भी लिख मारा। आस्था को पहुंची चोट, प्रतिक्रिया तेज हो गई। बात बिगड़ते देख मैनेजर ने माफी मांग ली। पर लोग माने नहीं। उनको तो मैनेजर की औकात दिखानी थी। मंदिर में बुलाकर उससे चौखट पर नाक रगड़वाई गई और वीडियो बनाकर उसे वायरल भी किया गया। 

छत्तीसगढ़ में तो सीएम ने फिल्म खुद ही पहले देख ली, विपक्षी नेता आमंत्रित करने के बावजूद नहीं पहुंचे। टैक्स फ्री करने के सवाल पर भी उन्होंने फिल्म पर केंद्र की जीएसटी हटाने की सलाह दे दी।

दरअसल, कोशिश यह हो रही है कि ‘द कश्मीर फाइल्स’ से पहली बार कश्मीरी पंडितों की 32 साल से दबी हुई सच्चाई सामने आई, ऐसी आम धारणा बन जाये। इस फिल्म में क्या छिप गया, उसके बारे में लोग खामोश रहें। देश के प्रधानमंत्री जिस फिल्म की तारीफ कर रहे हों और भाजपा की सरकारों ने जहां लोगों के लिये यह फिल्म देखने का आह्वान और खास इंतजाम किया हो, उस फिल्म के बारे में कोई टिप्पणी क्यों किसी को करनी चाहिये? मगर नहीं, लोग मान नहीं रहे, उनको नाक रगड़वाकर मनवा लेने का तरीका ढूंढ लिया गया है। 

बंद मु_ी लाख की, खुल गई तो?

पंजाब के नतीजों के बाद छत्तीसगढ़ में आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ता बेहद जोश में आ गए हैं। पर, पार्टी ने इस गर्माहट को खैरागढ़ विधानसभा उप-चुनाव में नापने से हाथ खींच लिया है। किसी भी नये राज्य में पैर जमाने के लिये जब अवसर मिले, चुनाव लडक़र अपनी ताकत का अंदाजा लेना लगाना चाहिये। आम आदमी पार्टी को यदि लगता है कि पंजाब की प्रचंड जीत से पूरे देश में एक बड़ा संदेश गया है तो इस नई-नई जीत को भुनाया क्यों नहीं जाता?

वजह यह बताई जा रही है कि सन् 2023 की तैयारी पर उन्होंने फोकस कर रखा है। पर, अनेक राजनीतिक विश्लेषक यह मान रहे हैं कि खैरागढ़ में मुकाबला कांग्रेस और बीजेपी के बीच ही होना है। त्रिकोणीय स्थिति बनाने की कोशिश एक सीमा तक जेसीसी (जे) जरूर कर सकती है। आम आदमी पार्टी को सम्मानजनक वोट हासिल करने के भी लाले पड़ सकते हैं। इसलिये पंजाब नतीजे का असर, जिसके सहारे वे संगठन का विस्तार कर रहे हैं, उसमें खैरागढ़ के परिणाम के बाद पानी फिर सकता है। लोग पंजाब भूल जायेंगे, खैरागढ़ याद करने लगेंगे। 

खतरे में जंगल, जीव व ग्रामीण

प्रदेशभर में जंगल विभाग के मैदानी कर्मचारी हड़ताल पर हैं। जब से आंदोलन चल रहा है जंगल और वहां रहने वाले ग्रामीण, दोनों की सुरक्षा खतरे में पड़ गई है। हाथियों की आमद का पता नहीं चल रहा है और महुआ बीनने गये लोगों पर उनका हमला हो रहा है। कई मौतें हो चुकी हैं, अनेक घायल हैं।

अफसर जंगल में रहते नहीं। वे शहर के एसी दफ्तरों से राज चलाते हैं। जिनको वे अपना हाथ-पैर मानते हैं, उन्हीं ने काम बंद कर दिया है। गर्मी के दिनों में शिकार की घटनायें बढ़ जाती है। पानी की तलाश में जानवर दूर-दूर भटकते हैं। कई बार आबादी के नजदीक आ जाते हैं। इसी मौसम में जंगलों में जगह-जगह आग लग रही है। रायगढ़, मरवाही, सरगुजा सब तरफ से खबरें हैं। मरवाही वन मंडल के खोडरी परिक्षेत्र में आग लगने की खबर मिलने पर मीडिया के कुछ लोग कैमरा पकडक़र दौड़े। वहां आग की लपटें हरे पेड़ों को भी जला रही थी। उन्होंने डीएफओ सहित जंगल के कई अधिकारियों को फोन लगाया। किसी न नहीं उठाया। तब वे खुद आग बुझाने की कोशिश करने लगे। कुछ हद तक इसमें सफलता मिली। काफी देर बाद स्थानीय ग्रामीणों की मदद से आग बुझाई जा सकी।

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