राजपथ - जनपथ
भोले बाबा सब देख रहे हैं...
रायगढ़ तहसील ऑफिस से भगवान शिव को नोटिस जारी होने की चर्चा बीते कई दिनों से है। तहसील के अधिकारियों का कहना था कि चूंकि हाईकोर्ट के आदेश पर अवैध कब्जा हटाने के लिये सीमांकन कराया गया, तो 10 लोगों का नाम सामने आया। इनमें एक शिव मंदिर भी है। चूंकि मंदिर के रखवाले या पुजारी के नाम पर कोई सामने नहीं आया, इसलिये सीधे भगवान को नोटिस जारी कर दिया गया। पेशी में हाजिर नहीं होने पर 10 हजार रुपये का जुर्माना लगाने की चेतावनी दी। घबराये भक्तों ने शुक्रवार को शिवलिंग को ही उखाड़ लिया और उनको ठेले में बिठाकर तहसील दफ्तर पहुंच गये। राजस्व अधिकारी कठघरे में बुलाकर पूछें शिवलिंग से, क्या पूछना है।
मगर, बात यहां खत्म नहीं हुई। तहसीलदार साहब, चैंबर पर नहीं थे, बाहर नोटिस लगी थी कि दूसरे विभागीय काम में गये हैं, अगली पेशी अब 10 अप्रैल को। भक्त निराश हुए, प्रतिमा लेकर लौट गये।
कल ही प्रदेशभर के वकीलों ने राजधानी रायपुर में प्रदेशभर के वकीलों ने प्रदर्शन किया। खास तौर पर यह रायगढ़ के ही तहसीलदारों व राजस्व अधिकारियों के खिलाफ था, जिन पर वे भ्रष्टाचार और सुनवाई लटकाने का आरोप वे लगा रहे हैं। भोले बाबा सब देख रहे हैं। राजस्व के अफसरों को भी वकीलों को भी। न्याय सबको मिलेगा।
रेडी टू ईट पॉलिसी के खिलाफ
बस्तर में एक और आंदोलन शुरू हो गया है। पहले यह राज्य के अलग-अलग जिलों में हो चुका है। फिर हाईकोर्ट में याचिका भी लगाई गई है, जिस पर फैसला आना बाकी है। रेडी-टू-ईट बनाने का काम महिला स्व-सहायता समूहों से छीनकर राज्य बीज विकास निगम को दे दिया गया है। बीज निगम इसमें सिर्फ 25 फीसदी निवेश करेगा, बाकी 75 फीसदी एक प्राइवेट फर्म का होगा। फरवरी माह के बाद नई योजना लागू की जानी थी, तो अब धीरे-धीरे हो रही है। कांकेर जिले में करीब एक हजार महिलाएं 72 स्व-सहायता समूहों को चला रही हैं। इनके साथ सरकार का तीन साल का करार था। पर एक साल बाद ही काम से हटा दिया गया। आहार बनाने के लिये उन्होंने मशीन और कच्चे माल के लिये कर्ज भी ले रखा है। अब उन्हें डिफाल्टर हो जाने का डर है। हाईकोर्ट ने अब तक की सुनवाई में सरकार के कदम पर कोई रोक नहीं लगाई है। कांकेर में महिलाओं ने कल प्रदर्शन किया। फिलहाल तो उन्हें हाईकोर्ट के फैसले का ही इंतजार करना होगा। इन सबके बीच, यह गौर करने की बात है कि इन समूहों में से ज्यादातर का गठन भाजपा के शासनकाल में हुआ। कई समूह 2008-09 से काम कर रही हैं। तब सरकार की सभाओं में भीड़ पहुंचे, इसकी जिम्मेदारी भी उनको सौंप दी जाती थी। कांग्रेस शायद भीड़ के लिये उन पर निर्भर नहीं हो।
हाथी वापस, लौटी एटीआर की रौनक
अचानकमार टाइगर रिजर्व में बीते एक माह से डेरा जमाये जंगली हाथियों का झुंड वापस लौट गया। टाइगर रिजर्व का इस मौसम में भ्रमण करने वाले बड़ी संख्या में आते हैं, पर हाथियों किस ओर से कब यहां पर्यटकों को नुकसान पहुंचा दे, कोई अनहोनी न हो जाये, इस आशंका से जंगल सफारी का काम रोक दिया गया था। अब यह शुक्रवार से फिर शुरू हो गया। इससे जंगल सफारी जिप्सी में काम करने वाले गार्ड, ड्राइवर आदि के चेहरे पर मुस्कान लौटी है। छोटे-छोटे चाय-पानी की दुकानों में भी चहल-पहल दिखने लगी है। करीब डेढ़ दर्जन हाथी अचानकमार में विचरण कर रहे थे। इसके चलते हर कोई जंगल के भीतर घुसने से घबरा रहा था। यहां पहले से पालतू बनाकर रखे गये हाथियों पर भी आक्रमण का खतरा था। हाथियों के जाने के बाद वनभैंसा भी सडक़ों के आसपास दिखने लगे हैं। पर हमेशा की तरह इस टाइगर रिजर्व में किसी को टाइगर नहीं दिख रहा है।
हिंदी के साथ की दिक्कतें
कंप्यूटर पर हिंदी के फॉन्ट कई तरह की दिक्कतें खड़ी करते हैं। अंग्रेजी में काम करने वालों को जब थोड़ा बहुत काम हिंदी की देवनागरी लिपि में करना पड़ता है तो उसका नजारा कुछ इस तरह का भी बन सकता है। यह दुनिया की एक सबसे बड़ी समाचार एजेंसी रायटर्स के एक कोर्स की बात है। इसके पोस्टर को देखें, इसमें हिंदी के शब्द किस तरह से बन रहे हैं !