राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : छत्तीसगढ़ में राष्ट्रपति भवन
28-Mar-2022 5:56 PM
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : छत्तीसगढ़ में राष्ट्रपति भवन

छत्तीसगढ़ में राष्ट्रपति भवन

देश के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद सन् 1952 में सरगुजा के दौरे पर आये तो यहां के पंडो आदिवासियों के बीच जिस भवन पर रुके थे, उसे राष्ट्रपति भवन का नाम दिया गया है। प्रथम राष्ट्रपति ने पंडो आदिवासियों को अपना दत्तक पुत्र माना था। तब से इस भवन को यहां के निवासियों ने सजा-संवारकर रखा है। हाल ही में जब राज्यपाल अनुसुईया उइके यहां पहुंचीं तो उन्हें यह जानकर ताज्जुब हुआ कि इन 70 सालों के भीतर राष्ट्रपति भवन पहुंचने वाली वह पहली राज्यपाल हैं। उन्होंने अपने भाषण में बिना झिझके स्वीकार किया कि सरकारों ने पंडो और दूसरे आदिवासी समुदायों को ऊपर उठाने के लिये करोड़ों रुपये दिये पर आज भी उनका जीवन स्तर नहीं बदला, जरूरी स्वास्थ्य शिक्षा की सुविधा नहीं मिलीं। 

डुप्लीकेट का कार्यक्रम स्थगित

पिछले कुछ समय से अलग-अलग फोरम में स्थानीय, और बाहरी के मुद्दे पर चर्चा होते रहती है। इस पर सोशल मीडिया में कई लोग आग भी उगलते रहते हैं। कुछ दिन पहले शहर के मुख्य मार्केट में छापा पड़ा। इसमें कुछ दुकानदारों के यहां ब्रांडेड कंपनी के नकली सामान भी जब्त हुए। फिर क्या था, छत्तीसगढिय़ा का झंडा थामे एक-दो लोगों ने अनर्गल प्रलाप शुरू कर दिया। सोशल मीडिया में यह लिखा गया कि बाहर से आए लोग छत्तीसगढ़ में नकली सामान बेचकर माल बना रहे हैं। इसके बाद व्यापारी संगठनों के लोगों के बीच आपस में काफी बहस भी हुई। इसका प्रतिफल यह हुआ कि कुछ दिनों बाद होने वाले कार्यक्रम में डुप्लीकेट अमिताभ बच्चन, शाहरूख खान, ऋ षि कपूर को बुलाना तय हुआ था, लेकिन विघ्न संतोषी लोगों को मौका न मिल जाए, इसलिए डुप्लीकेट अभिनेताओं का कार्यक्रम स्थगित कर दिया गया।

नतीजे पक्ष में नहीं आए तो... 

खैरागढ़ उपचुनाव पर भाजपा हाईकमान की नजर है। प्रदेश भाजपा के सह प्रभारी नितिन नबीन दो दिन पहले रायपुर पहुंचे, और उन्होंने कुछ नेताओं से खैरागढ़ में पार्टी का हाल जाना। नेताओं ने उन्हें बताया कि चूंकि कांग्रेस की सरकार है, इसलिए खूब मेहनत करनी पड़ेगी। नितिन नबीन ने नेताओं को साफ-साफ कहा कि चुनाव हर हाल में जीतना होगा। यदि ऐसा नहीं हुआ, तो काफी गड़बड़ हो जाएगी। संकेत साफ है कि यदि नतीजे पक्ष में नहीं आए, तो हाईकमान बड़े पदों पर बैठे नेताओं को बदल सकता है। देखना है आगे क्या होता है।

शादी पूरी तरह सरकारी

मंडप सरकार की, खर्चे सरकारी, परिधान, आर्नामेंट, उपहार, नगद प्रोत्साहन सब सरकारी मद से। और तो और जिस जोड़े की शादी हो गई वह भी सरकारी। मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना तो दरअसल निर्धन कन्याओं के विवाह में मदद करने के लिये है, पर सरकारी कर्मचारी मिल-जुलकर इसमें भी अपना हिस्सा बंटवारा कर लेते हैं। महिला बाल विकास ने दंतेवाड़ा में रविवार को 351 जोड़ों का सामूहिक विवाह किया। इनमें कृष्णा कुंजाम और संजना भी दिखे। उन्हें कुछ लोगों ने पहचान लिया, क्योंकि ये दोनों सरकारी कर्मचारी हैं। कृष्णा वन विभाग में तो संजना स्वास्थ्य विभाग में काम करती है। लोगों ने कहा कि ये तो पहले से ही विवाह कर चुके हैं। फिर यहां दोबारा कैसे रचा रहे हैं। दूसरी बात यह योजना तो निर्धन कन्याओं के लिये है। सरकारी कर्मचारियों के लिये तो है नहीं इस एक मामले में पोल तो खुल गई पर कोई दावा नहीं कि यही एक ऐसी शादी हुई हो। कई और जोड़े हो सकते हैं, जिनकी पहले शादियां हो चुकी होती हैं, पर महिला बाल विकास विभाग के अधिकारी कर्मचारी सरकारी योजना का फायदा उठाने के लिये उन्हें मंडप पर बिठा देते हैं। बहरहाल, इस एक मामले के पकड़ में आने के बाद कलेक्टर ने जांच तो बिठा दी है।

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