राजपथ - जनपथ
रिश्तों में खटास
शहर जिला भाजपा अध्यक्ष श्रीचंद सुंदरानी, और पूर्व मंत्री राजेश मूणत के बीच सब-कुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा है। चर्चा तो यह भी है कि मूणत के करीबी लोग श्रीचंद की जगह किसी और को जिला संगठन की कमान सौंपने के पक्षधर हैं।
सुनते हैं कि श्रीचंद की नाराजगी के चलते ही मूणत पिछले दिनों जिला कार्यकारिणी की बैठक से दूर रहे। दोनों के बीच दूरियां उस वक्त बढ़ गईं, जब केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के प्रवास के दौरान मूणत का कांग्रेस के लोगों से विवाद हुआ था। इस पूरे एपिसोड में श्रीचंद ज्यादा सक्रिय नहीं थे। चर्चा है कि वो बड़े प्रदर्शन के पक्ष में नहीं थे। बात मूणत तक पहुंच गई। फिर क्या था दोनों के रिश्तों में खटास आ गई है। संगठन में मूणत का दबदबा जगजाहिर है। ऐसे में श्रीचंद के लिए आगे की राह आसान नहीं होगी।
इस बार क्या होता है...
खैरागढ़ में भाजपा ने कांग्रेस को तगड़ी टक्कर देने के लिए व्यूह रचना तैयार की है। पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल खैरागढ़ शहर में अपना पूरा समय देंगे। उन्होंने एक कार्यकर्ता का मकान भी किराए से ले लिया है। फंड में कमी न हो इसके इंतजाम में खुद पूर्व सीएम डॉ. रमन सिंह, और गौरीशंकर अग्रवाल लगे हैं।
सुनते हैं कि प्रदेश के सभी पदाधिकारियों को खैरागढ़ भेजा जा रहा है, और ढाई सौ से अधिक बूथों में प्रदेश के एक-एक नेता की ड्यूटी लगाई जा रही है। पार्टी ने छुईखदान ब्लॉक पर विशेष रूप से ध्यान केंद्रित किया गया है। यहां मतदाताओं की संख्या सबसे ज्यादा है, और पार्टी के लिए अच्छी बात यह है कि खुद भाजपा प्रत्याशी कोमल जंघेल इसी ब्लॉक के रहने वाले हैं। कुल मिलाकर भाजपा अपना सब कुछ दांव पर लगा रही है। पिछले चुनाव में भाजपा मात्र 8 सौ मतों से पीछे रह गई थी। इस बार क्या होता है, यह देखने वाली बात होगी।
बस, महिलाओं का पीना बुरी बात है?
नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे की पांचवी रिपोर्ट आने के बाद से छत्तीसगढ़ में फिर एक बार सियासत तेज हो रही है। रिपोर्ट में बताया गया है कि प्रदेश की पांच प्रतिशत महिलाएं शराब पीती हैं। पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह यह कहकर घेर रहे हैं कि भूपेश सरकार घर-घर शराब पहुंचाने की नीति बनाकर महिलाओं को भी नशे के दलदल में ढकेल रही है। कांग्रेस ने सर्वे रिपोर्ट को खारिज किया है।
इस बात का कोई सर्वे नहीं है कि घर मंगाने की हैसियत रखने वाली महिलाओं की वजह से प्रतिशत पांच तक जा पहुंचा। ये घरेलू महिला, अकेली महिला, सीमेंट की बोरियां उठाने वाली, पत्थर तोडऩे वाली, नाली साफ करने वाली, कोई भी हो सकती है। जब 38 प्रतिशत पुरुषों पर सवाल नहीं तो महिलाओं पर क्यों? दूसरी बात यह यदि अनैतिक है तो परिवार का मुखिया ही संस्कारवान हो जाये तो सब ठीक हो, महिला ही क्यों ठेका ले?
दरअसल, शराबबंदी का वादा छत्तीसगढ़ सरकार के गले की फांस तो बन चुकी है। चुनाव नजदीक आते-आते कोई फैसला ले लेने का दबाव बढ़ता जा रहा है। पब्लिक की ओर से आवाज उठे न उठे, भाजपा तो पीछे पड़ ही चुकी है। यह बात अलग है कि उसकी अपनी नीति भी शराब बिक्री की ही है। इधर मंत्री कवासी लखमा शराब बिक्री की तरफदारी करते हुए कहते हैं कि इसकी आमदनी से राज्य का विकास होता है। पर रोजाना शराब की वजह से होने वाले जघन्य अपराधों में पुलिस और स्वास्थ्य विभाग पर कितना अतिरिक्त खर्च हो रहा है, इसकी बात भी करनी चाहिये। एक शराबी ने अपने पांच साल के बच्चे को दो दिन पहले पटक-पटक कर मार डाला। विकास के अलावा समाज में और क्या हो रहा है?
कानून से परे करारनामा
स्वास्थ्य विभाग ने प्रदेश में एम्बुलेंस सेवा उपलब्ध कराने के लिये जिन कंपनियों के साथ अनुबंध किया है उसमें यह शर्त भी जोड़ी गई है कि दोनों के बीच जो एमओयू हुआ है उसकी जानकारी किसी तीसरे पक्ष को नहीं दी जाए। यह बात तब बताई गई जब कुछ आरटीआई कार्यकर्ताओं ने सरकार के साथ एंबुलेंस कंपनियों के करार की जानकारी मांगी। सरकारी धन का इस्तेमाल करने के लिये कोई अनुबंध हो और उसे आरटीआई से बाहर रखने का समझौता कर लिया जाये, यह कैसे हो सकता है? आरटीआई के दायरे से कौन सी जानकारी बाहर है यह तो अधिनियम में साफ लिखा गया है। उसमें एम्बुलेंस सेवा का जिक्र ही नहीं है। कल को बिल्डिंग सडक़ बनाने वाले भी कहेंगे कि कितना सीमेंट, छड़ इस्तेमाल कर रहे हैं तीसरे को नहीं बताना। ठेकेदार और अफसर आपस में समझ लेंगे। बहरहाल, एंबुलेंस मामले की शिकायत मुख्य सूचना आयुक्त से की गई है।
यह सरकारी धोखाधड़ी वाला मैसेज है..
मध्यप्रदेश की भाजपा सरकार का भेजा गया राशन का एक मैसेज छत्तीसगढ़ के एक अखबारनवीस के फोन पर आया है जिसमें दुकान के नंबर सहित यह लिखा हुआ है कि प्रधानमंत्री की राशन योजना के तहत मार्च का 8 किलो गेहूं, और 2 किलो चावल उसे दिया गया है। इसके साथ ही दुकान का नंबर भी दिया गया है। अब चूंकि छत्तीसगढ़ के एक पत्रकार के नंबर पर यह संदेश आ रहा है, इसलिए इस बात का खतरा दिखता है कि यह राशन कहीं इधर-उधर किया गया हो। जिस तरह आजकल मोबाइल पर कई दूसरे किस्म की जालसाजी के मैसेज आते रहते हैं, यह भी एक सरकारी जालसाजी या लापरवाही का मैसेज है।