राजपथ - जनपथ
लुका-छिपी का खेल
खैरागढ़ उपचुनाव में मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए शराब, और साडिय़ां बांटने की खूब शिकायतें हुई। कई जगह साडिय़ां और अन्य सामग्री पकड़ाई है। एक जगह कथित तौर पर कांग्रेस के लोगों द्वारा साड़ी बांटने की खबर आई, तो भाजपा के महामंत्री (संगठन) पवन साय अपना आपा खो बैठे। उन्होंने तुरंत चुनाव आयोग द्वारा तैनात प्रेक्षक को फोन मिलाया, और जमकर खरी-खोटी सुनाई।
ऐसा नहीं है कि कांग्रेस के लोगों के खिलाफ ही शिकायतें आई थी। चर्चा है कि भाजपा के लोगों ने मतदाताओं को लुभाने में कोई कसर बाकी नहीं रखी। गंडई थाना क्षेत्र में नर्मदा रोड पर रैमड़वा के पास कमल छाप वाली साडिय़ों का बंडल बरामद किया है। इस पर कांग्रेस के लोगों ने जमकर हंगामा किया। हल्ला तो यह भी है कि नामांकन दाखिले के पहले ही बालाघाट जिले से शराब की 6 हजार पेटी भाजपा के लोगों के पास पहुंच गई थी। कांग्रेस के लोगों ने खोजबीन भी करवाई, लेकिन पता नहीं चला। यानी कांग्रेस, और भाजपा के बीच मतदान के पहले तक लुका-छिपी का खेल चलता रहा।
चुनाव प्रचार और मंत्री
तपती धूप में कांग्रेस, और भाजपा के लोगों ने चुनाव में खूब पसीना बहाया। लेकिन दोनों ही दलों के कई नेता ऐसे थे जो कि अपेक्षाकृत ज्यादा सक्रिय नहीं दिखे। इसकी राजनीतिक हल्कों में जमकर चर्चा रही। मसलन, कांग्रेस के सभी मंत्रियों को प्रचार के लिए जाना ही था। इनमें से मुख्य संचालकों में से एक अमरजीत भगत चुनाव के बीच में बीमार पड़ गए। इसी तरह उमेश पटेल भी एक दिन प्रचार के लिए गए, और अगले दिन उनकी भी तबीयत बिगड़ गई। इसके बाद वे रायगढ़ निकल गए।
जयसिंह अग्रवाल ने मरवाही में अपनी ताकत दिखा चुके थे, लिहाजा यहां उनके लिए ज्यादा कुछ काम नहीं था। वे एक दिन सुबह खैरागढ़ गए, और शाम को वापस रायपुर आ गए। इसी तरह रूद्र कुमार गुरू ने भी एक-दो दिन घूमकर औपचारिकता पूरी की। लेकिन सरकार के तीन मंत्री कवासी लखमा, डॉ. शिवकुमार डहरिया, और अनिला भेडिय़ा ने खूब मेहनत की है। इसकी पार्टी हल्कों में जमकर चर्चा है। रविन्द्र चौबे, और मोहम्मद अकबर के पास चुनाव संचालन का जिम्मा था। और कहा जा रहा है कि उन्होंने अपनी जिम्मेदारी बेहतर ढंग से निभाई।
खैरागढ़ में रायपुर का पसीना
भाजपा में रायपुर के नेताओं ने खूब मेहनत की है। पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने तो अपने समर्थकों के साथ एक अप्रैल से ही एक फार्म हाऊस में डेरा डाल दिया था। इससे पहले पूर्व मंत्री राजेश मूणत ने अपने प्रभार वाले खैरागढ़ ग्रामीण इलाके में जमकर पसीना बहाया। वो सुबह से देर रात तक प्रचार में जुटे रहे। उनके समर्थकों ने एक-दो जगह मतदाताओं को बांटी जा रही साडिय़ां और अन्य सामग्री भी पकड़वाई।
दूसरी तरफ, पूर्व सीएम डॉ. रमन सिंह, और उनके पुत्र अभिषेक सिंह की अपेक्षाकृत कम सक्रियता पार्टी हल्कों में चर्चा का विषय रही। रमन सिंह और अभिषेक सिंह बाकी नेताओं की तरह राजनांदगांव, या फिर खैरागढ़ में रूकने के बजाए रायपुर से आना-जाना करते थे। जबकि खैरागढ़ उनका अपना क्षेत्र रहा है, और इस चुनाव को उनकी प्रतिष्ठा से जोडक़र देखा जा रहा है। पूर्व मंत्री अमर अग्रवाल की भी ड्यूटी लगाई गई थी, लेकिन वो प्रचार में कहीं नजर नहीं आए। पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर को तो बीरगांव निकाय चुनाव में उटपटांग बयानबाजी को देखते हुए इस चुनाव में उन्हें कोई जिम्मेदारी देने से परहेज किया, क्योंकि बीरगांव में पार्टी का बुरी हार का सामना करना पड़ा था। यही वजह है कि उन्हें प्रचार के लिए बुलाया तक नहीं गया। पार्टी के भीतर ऐसी चर्चा रही कि अजय के प्रचार से नुकसान उठाना पड़ सकता है।
माचिस पर बा
एक समय था जब हिन्दुस्तान में साबुन से लेकर माचिस तक बेचने के लिए देवी-देवताओं की तस्वीरों के कैलेंडर बनते थे, और गांधी से लेकर तमाम दूसरे महान लोगों की तस्वीरों का भी धड़ल्ले से इस्तेमाल होता था। ऐसे ही वक्त पर एक माचिस की डिबिया पर कस्तूरबा गांधी एक संग्राहक के कलेक्शन में है। अब प्रचार सामग्री पर महान लोगों या देवी-देवताओं की तस्वीरों पर तरह-तरह के प्रतिबंध लग गए हैं, इसलिए अब यह कुछ मुश्किल हो गया है। फिर भी जिन लोगों के पास ऐसे पुराने कैलेंडर या ताश या माचिस हैं, उनकी आज खासी कीमत हो चुकी है।
80 पैसे का खौफ
पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के बाद पेट्रोलियम कंपनियों ने डीजल-पेट्रोल के दाम में जो बढ़ोतरी शुरू की, वह बीच के एक दो दिनों को छोडक़र लगातार 14 दिनों तक चली। पेट्रोल की कीमत रोज 80 पैसे बढ़ी, डीजल की बढ़ोतरी कुछ कम अधिक होती रही। ऐसे लोग जिनका काम धंधा बाइक से ट्रैवलिंग करने पर ही टिका हुआ है, हर सुबह पेट्रोल पंप पर 80 पैसे दाम बढ़ा देखकर खौफ खा रहे थे। गुस्सा भी फूटता जा रहा था। पर अब बीते एक सप्ताह से दाम नहीं के बराबर बढ़ा। रायपुर में पेट्रोल 4 अप्रैल को 109.82 पैसे दाम था तो 12 अप्रैल को 111.60 रुपये है। डीजल 4 अप्रैल को 101.18 पैसे था तो आज 102.99 पैसे है। जिस तरह इस बीच 9 पैसे, 10 पैसे दाम बढ़ाए गए हैं, उससे लगता है कि पेट्रोलियम कंपनियां ग्राहकों के एक-एक पैसे का दर्द समझती है। इसके बावजूद भी लोग नाराज हुए जा रहे थे। अब कीमत में ठीक-ठाक उछाल तभी आएगी