राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : ज्यादा सुख-सुविधाओं की उम्मीद नहीं
27-Apr-2022 6:36 PM
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : ज्यादा सुख-सुविधाओं की उम्मीद नहीं

ज्यादा सुख-सुविधाओं की उम्मीद नहीं

प्रदेश कांग्रेस के पदाधिकारी चाहते हैं कि राजीव भवन का कायाकल्प भाजपा दफ्तर कुशाभाऊ ठाकरे परिसर की तर्ज पर किया जाए। कुशाभाऊ ठाकरे परिसर तो फाइव स्टार होटल की तरह नजर आता है। पिछले दिनों कुछ कांग्रेस पदाधिकारियों  ने दाऊजी के सामने अपने दिल की बात कह दी।

कांग्रेस प्रवक्ता सुरेंद्र शर्मा ने भूमिका बांधते हुए अलग ही अंदाज में अपनी बातें रखी। उन्होंने कहा कि दोपहर में टीवी चैनल संग लाइव जुड़े रहेव, मोर पसीना चुचवात रहीस। दाऊजी ने पूछा, का होगे। तभी मीडिया चेयरमैन सुशील आनंद शुक्ला बीच में बोल पड़े कि  काफी गर्मी पड़ रही है। भईया, मीडिया विभाग के कक्ष में दो एसी लगवा देते तो अच्छा रहता।

खैरागढ़ के नतीजे से दाऊजी खुश थे। इस उम्मीद से कांग्रेस प्रवक्ता आरपी सिंह, और एक-दो अन्य ने भी राजीव भवन में सुविधाएं बढ़ाने के लिए बातें रखी, लेकिन दाऊजी गंभीर हो गए। उन्होंने कहा कि सरकार, नहीं रहीई तब कैसे होही। बिजली बिल कोन पटाही। इसके बाद सभी खामोश हो गए। दाऊजी की मंशा है कि कांग्रेस गांधीवादी विचारधारा को मानने वाली पार्टी है। इसलिए कार्यकर्ताओं को ज्यादा सुख-सुविधाओं की उम्मीद नहीं पालनी चाहिए।

टीका-टिप्पणी की कोई गुंजाइश नहीं

यूपी चुनाव के बाद पार्टी संगठन में बड़े बदलाव की उम्मीद पालने वाले भाजपा नेता अब निराश दिख रहे हैं। हाल यह है कि खैरागढ़ में बुरी हार की भी समीक्षा नहीं हो पाई है। दर्जनभर से अधिक केंद्रीय मंत्री यहां आ चुके हैं, लेकिन राज्य सरकार के खिलाफ सीधी कोई टिप्पणी से बच रहे हैं।

पिछले दिनों केंद्रीय मंत्री महेंद्र नाथ पांडेय रायपुर आए, उनका नारायणपुर जाने का प्रोग्राम था। यहां आने के बाद सडक़ मार्ग से नारायणपुर जाने के बजाए हेलीकॉप्टर से वहां जाने की इच्छा जताई। राज्य सरकार ने हेलीकॉप्टर मांगा, तो सरकार ने तुरंत उन्हें हेलिकॉप्टर उपलब्ध करा दिया। इतना सब होने के बाद अब राज्य सरकार के खिलाफ  टीका-टिप्पणी की कोई गुंजाइश नहीं रह जाती है।

सब कुछ समय पर ही होगा

अरण्य भवन में बड़ा फेरबदल होते-होते रह गया। लघु वनोपज संघ के एमडी संजय शुक्ला को राकेश चतुर्वेदी की जगह पीसीसीएफ (प्रशासन) बनाने की तैयारी थी। सब कुछ तय हो चुका था। चतुर्वेदी के रिटायरमेंट में चार माह बाकी हैं, इसलिए उन्हें भी परहेज नहीं था। उन्हें कुछ न कुछ दायित्व मिल ही जाता। मगर बात मीडिया में लीक हो गई, और इसके चलते फेरबदल की फाइल ही नहीं बन पाई।

भूपेश सरकार में बड़ा प्रशासनिक फेरबदल इतनी तेजी से होता आया है कि इससे प्रभावित अफसरों को ऑर्डर निकलने के बाद पता चलता है। मसलन, अजय सिंह की जगह सुनील कुजूर के सीएस, और फिर एएन उपाध्याय की जगह डीएम अवस्थी के डीजीपी बनाने का ऑर्डर इतनी तेजी से निकला कि किसी को कानो-कान खबर नहीं हो पाई। और तो और जीपी सिंह को ईओडब्ल्यू-एसीबी से हटाया गया तो इसकी जानकारी जीपी सिंह को तब हुई, जब आरिफ शेख ईओडब्ल्यू-एसीबी का चार्ज लेने वहां पहुंचे। अब लगता है अरण्य भवन में फेरबदल तो तय है, लेकिन सब कुछ समय पर ही होगा।

कटहल के पेड़ की नियति

एकबारगी इस तस्वीर को देखने से यह लगता है कि किसी ने इस पेड़ की डालियों को निर्ममता से काट दिया। पेड़ सूख गया लेकिन उसने अपने फल देने की प्रकृति को नहीं छोड़ा। झारखंड के एक प्रशासनिक अधिकारी ने सोशल मीडिया पर यह तस्वीर शेयर की तो दिलचस्प प्रतिक्रियाएं मिलीं। एक ने कहा कि सर, यदि किसी को पेड़ काटना ही होता तो जड़ से काटता। हो सकता है कि किसी बीमारी को फैलने से रोकने के लिए डालियों को काटा गया हो। या फिर तूफान में सिर्फ तना बच गया हो। दूसरे ने लिखा है- जिस तरह से पेड़ उजाड़ हुआ है वह टूटा ही दिखाई देता है, काटा हुआ नहीं। कटहल के पेड़ कई बार तने में भी लग जाते हैं।

एक और यूजर ने ज्यादा ध्यान खींचने वाली बात लिखी है- यदि पेड़ों के प्रति इतनी ही हमदर्दी है तो हसदेव अरण्य क्षेत्र में हजारों पेड़ काटे जाने का सिलसिला शुरू हो गया है, उसका भी विरोध करिये।

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