राजपथ - जनपथ
जनता की जरूरतों से कटी सरकार
सरकार में बैठे फैसला लेने वाले लोग जब जमीन से पूरी तरह कट जाते हैं, तो उसका नुकसान सत्तारूढ़ पार्टी को झेलना पड़ता है, और चूंकि हर कुछ महीनों में तो चुनाव होते नहीं हैं, इसलिए अगले किसी चुनाव में ही जनता का दर्द पोलिंग बूथ पर निकलता है।
अब अभी छत्तीसगढ़ में एक मई से पन्द्रह जून तक स्कूलों की छुट्टी चल रही है। सोलह जून से स्कूलें शुरू होंगी, और पन्द्रह जून से कॉलेजों की छुट्टी शुरू होगी। जिन परिवारों में स्कूल और कॉलेज दोनों में पढऩे वाले बच्चे हैं, वे परिवार बच्चों को लेकर कहीं छुट्टी मनाने न चले जाएं, इस नीयत से ये छुट्टियां तय की गई लगती हैं। क्या सरकार के ही एक विभाग को यह नहीं मालूम रहता कि उसका दूसरा विभाग कब छुट्टियां घोषित कर रहा है, या कर चुका है? स्कूल और कॉलेज में पढ़ाने वाले लोग भी दसियों हजार हैं, और वे लोग अगर अपनी छुट्टी के साथ अपने पढऩे वाले बच्चों की छुट्टी जोडक़र देखें, तो भी उन लोगों का कहीं निकलना मुश्किल है।
स्कूल-कॉलेज के दाखिले अप्रैल-मई में खत्म हो चुके रहते हैं, और सरकार जून, जुलाई, अगस्त में तबादले करती रहती है। सरकार मानो यह मानकर चलती है कि सरकारी अधिकारी-कर्मचारी अपने बच्चों का दो-दो शहरों में दाखिला करवा सकते हैं, दो तरह की यूनिफॉर्म बनवा सकते हैं, दो तरह की किताबें खरीद सकते हैं। जब पढ़ाई का सत्र चलते रहता है, तब तबादले होते हैं, और लोग दो-दो शहरों में घर रखने को मजबूर हो जाते हैं। इन दो-तीन बुनियादी बातों को सोचने की फुर्सत भी सरकार को नहीं रहती है, क्योंकि सरकार की किसी के प्रति जवाबदेही नहीं रहती है। सत्तारूढ़ संगठन को ताकत के दूसरे इस्तेमाल से फुर्सत नहीं रहती कि वह जनभावनाओं की फिक्र कर सके।
सत्तर हजार या पाँच हजार?
भाजपा का जेल भरो आंदोलन अपेक्षाकृत कमजोर रहा। पुलिस प्रशासन ने ऐसी चाल चली कि भाजपा नेताओं को प्रदर्शन करना भारी पड़ गया। हुआ यूं कि आंदोलन की घोषणा होते ही पुलिस ने भाजपाईयों को रोकने के लिए अलग तरह की रणनीति पर काम किया। जगह-जगह बेरिकेड्स लगाए गए।
रायपुर शहर में 4 प्रमुख जगहों से भाजपा का आंदोलन शुरू होना था। आंदोलन स्थल कालीबाड़ी, आजाद चौक, तेलीबांधा, और फाफाडीह चौक के पास बेरीकेड्स लगा दिए गए थे। भाजपाईयों को उम्मीद थी कि पुलिस आंदोलन स्थल से ही गिरफ्तार कर ले जाएगी। मगर भाजपाईयों के आने से पहले ही बेरिकेड्स हटा दिए गए। इसके बाद पुलिस ने भीषण गर्मी में कार्यकर्ताओं को सेंट्रल जेल तक पैदल चलनेे के लिए मजबूर कर दिया। इसका नतीजा यह हुआ कि गर्मी से बेहाल कई भाजपा कार्यकर्ता रास्ते से ही वापस हो गए। गिनती के लोग ही जेल तक पहुंच पाए, और अपनी गिरफ्तारी दी।
कुछ ने तो पुलिस गाड़ी पर चढकऱ फोटो खिंचवाया, और फिर भीड़ से गायब हो गए। सुनते हैं कि जो लोग किसी तरह जेल पहुंच गए थे, वो बाद में डिहाईडे्रशन की चपेट में आ गए। कुल मिलाकर रायपुर में जेल भरो आंदोलन कार्यकर्ताओं के लिए तकलीफ़देह रहा। वैसे तो भाजपा ने प्रदेश भर से 70 हजार कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी का दावा किया है, लेकिन कांग्रेेस ने जिलेवार सूची जारी कर बता दिया कि 5 हजार से ज्यादा लोग नहीं जुट पाए थे। भाजपा के सह प्रभारी नितिन नबीन ने पार्टी नेताओं से कहा था कि जब तक बेरिकेड्स टूट नहीं जाते, और 2-4 लोग घायल नहीं हो जाते, आंदोलन को सफल नहीं माना जाता है। मगर तेज गर्मी के चलते ऐसी नौबत नहीं आ पाई।
दिल्ली जाएँगे ?
आईएएस के 89, और 90 बैच के अफसरों के सचिव पद के लिए इम्पैनल करने के प्रस्ताव को केंद्र सरकार ने मंजूरी दे दी है। कहा जा रहा है कि दोनों बैच के सचिव, और समकक्ष पद के लिए जून माह में इम्पैनल होगा, और सूची जारी होगी। यह तय है कि 89 बैच के अफसर, और सीएस अमिताभ जैन का सचिव पद के लिए इम्पैनल हो जाएगा। वजह यह है कि अमिताभ केंद्र सरकार में संयुक्त सचिव के पद पर 7 साल काम कर चुके हैं। ऐसे में अमिताभ के पास केंद्र सरकार में जाने का विकल्प रहेगा। अमिताभ जैन का वर्ष-2025 में रिटायरमेंट में हैं। यानी अमिताभ के पास 3 साल बाकी है। कुल मिलाकर अमिताभ के पास केंद्र सरकार में भी काम करने का भरपूर समय है। कुछ लोगों का अंदाजा है कि अमिताभ विधानसभा चुनाव निपटाकर केंद्र की ओर रूख कर सकते हैं।
फिर किसने मारा था मीना खलको को?
बलरामपुर के लोंगरटोला, चांदो की 16 साल की मीना खलको की 11 साल पहले कथित रूप से पुलिस की गोली से मौत हुई थी। उसे नक्सली बताकर मारा गया था। ग्रामीणों का कहना था कि मीना का नक्सलियों से कोई संबंध नहीं था। पुलिस ने उसकी हत्या की है। अपराध अनुसंधान विभाग ने सन् 2017 में चांदो के थाना प्रभारी निकोदिन खेस को गिरफ्तार किया था। बाद में दो और पुलिसकर्मी गिरफ्तार किए गए। मुठभेड़ के दौरान 25 पुलिसकर्मियों के मोजूद होने की बात आई थी। कांग्रेस ने इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाया था। तब भाजपा सरकार ने सेवानिवृत्त जिला जज अनीता झा को न्यायिक जांच की जिम्मेदारी दी। उनकी जांच रिपोर्ट में कहा गया कि मीना खलको की मौत पुलिस की गोली से हुई। आयोग ने सरकार से पूरे मामले की फिर से जांच कराने की सिफारिश की थी।
अब रायपुर की अदालत में सबूतों के अभाव में हत्या के आरोपी तीनों पुलिसकर्मियों को बरी कर दिया है।
यह तो सच है कि मीना खलको मारी गई। पर कोर्ट के फैसले के बाद यह सवाल अनुत्तरित है कि उसकी हत्या कैसे हुई और किसने की। क्या इस फैसले के खिलाफ सरकार अपील में जाएगी?
इंडियन ऑयल की वाल पेंटिंग
एक रिपोर्ट आई है कि तेल कंपनियां भरपूर मुनाफा कमा रही हैं। सबसे बड़ी कंपनी इंडियन ऑयल है, जिसने बीते वित्तीय वर्ष में 24 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का लाभ अर्जित किया। पिछले सारे रिकॉर्ड टूट गए हैं। अब ये कमाई कैसे हुई, हमारे आपके जेब को तो पता है ही। इधऱ, रायपुर मंडल के दफ्तर में इंडियन ऑयल ने भित्ति चित्र उकेरे हैं। इसे छत्तीसगढ़ की संस्कृति और कला के संरक्षण की दिशा में किया गया प्रयास बताया गया है।