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ये तस्वीर बताती है कि इंसान अब कोरोना के साथ जीना नहीं, कोरोना के साथ मरना चाहते हैं। कोरोनाकाल में इंसान कितना बिंदास और बेबाक है, आप देखकर खुश हो सकते हैं। देश और कुछ राज्य किस हालत से गुजर रहे हैं, किसी से छिपा नहीं है। छत्तीसगढ़ समेत देश में लगातार बढ़ते कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या, रोज होती मौत यकींनन इन्हें डराती नहीं है। कोरोनाकाल में सरकार और प्रशासन के तमाम निर्देशों, बातों-दावों के बीच ये तस्वीर निश्चित तौर पर खतरे का संकेत है। इस तस्वीर को देखकर आप न तो मास्क पर कोई टीका-टिप्पणी कर सकते हैं न ही देह-दूरी के नियमों को लागू किया जा सकता है। दरअसल इन मजदूरों, या ऐसे छोटे सरकारी कर्मचारियों से लेकर ऐसी गाडिय़ों के मालिकों तक के सामने जिंदा रहने की मजबूरी है। महीनों के लॉकडाऊन के बाद अब काम शुरू हुआ है, तो पिछले बड़े नुकसान की भरपाई तो करना ही है। अब जब तक मजदूरों को संपन्न तबका मदद नहीं करता, तब तक गरीबों की मजबूरी दुनिया को असुरक्षित तो बनाएगी ही।
बिलासपुर के कोटा नगर से ली गई ये तस्वीर इंसानी चूक को दर्शाती है, साथ ही लॉकडाउन खत्म होने के बाद सरकार और प्रशासन की बेफिक्री भी साफ-साफ दिखाई पड़ती है। ऑटो, मेटाडोर, टैक्सी या दूसरे मालवाहक के मालिक या फिर चालक मनमानी रकम के लालच में खुलेआम कोरोना के खतरे को एक जगह से दूसरी जगह फैलाने में मददगार बनते जा रहे हैं। (तस्वीर / सत्यप्रकाश पांडेय)