रायपुर के रविशंकर विश्वविद्यालय के अहाते में वैसे तो हजारों पेड़ लगे हुए हैं, लेकिन वहां पंछियों के पीने को पानी की कमी दिखती है। ऐसे में अपने एक स्कूटर पर कई पीपे और कई जरीकेन बांधकर एक आदमी वहां रोज सुबह दिखता है जो अलग-अलग कई जगहों पर अपनी रखी हुई सीमेंट की छोटी-छोटी टंकियों को साथ लाए हुए झाड़ू से अच्छी तरह धोकर उनमें पानी भरता है। पानी के अलावा वह साथ लाया हुआ जौ आसपास बिखेरता है, ताकि पंछी खा भी सकें। साथ में लाई हुई डबलरोटी उस अहाते में घूमने वाले कुत्तों को देते चलता है।
राजधानी रायपुर के गोलबाजार में एक किराना दुकान चलाने वाले गणेश प्रसाद साहू बरसों से यह काम करते आ रहे हैं, और लॉकडाऊन के पूरे दौर में भी उन्होंने यह काम बंद नहीं किया। वे दो थानों के इलाकों को पार करके आते थे, और पुलिस भी उन्हें जानने लगी थी कि वे पंछियों और कुत्तों के लिए खाना-दाना-पानी लेकर जा रहे हैं, तो उन्हें कोई रोकता नहीं था। किसी भी तरह के प्रचार से पूरी तरह दूर वे हर सुबह दो घंटे इस काम में लगाते हैं, और पूछने पर उन्होंने बताया कि इस काम इतनी तसल्ली मिलती है कि पूरा दिन अच्छा गुजरता है। अपने पैसों से तो कई लोग दान-पुण्य या समाजसेवा कर सकते हैं, लेकिन खुद रोज दो घंटे लगाकर, पानी से लेकर झाड़ू तक ढोकर इस काम को करना देखने लायक है।