आज दिल्ली में सबसे बड़े अस्पतालों में से एक, सर गंगाराम हॉस्पिटल बनवाने वाले गंगाराम की कहानी बड़ी दिलचस्प है। वे आजादी के पहले अविभाजित भारत के आज के पाकिस्तान वाले हिस्से के सबसे बड़े दानदाता थे। वे बहुत ही कामयाब कारोबारी थे, और समाज सेवा के अनगिनत काम उन्होंने किए। उन्हीं के ट्रस्ट का बनवाया हुआ दिल्ली का सर गंगाराम अस्पताल आज हर बरस लाखों मरीजों का इलाज करता है।
विभाजन के बहुत पहले उन्होंने लाहौर में एक अस्पताल बनवाया था। और जब विभाजन के तनाव में एक हिन्दू दानदाता की प्रतिमा को वहां नुकसान पहुंचाया जा रहा था, और पुलिस को गोलियां चलानी पड़ी तो भीड़ में से जख्मी लोगों को अस्पताल ले जाने के लिए लोग तुरंत चिल्लाए- इन्हें सर गंगाराम हॉस्पिटल ले चलो।
और सर गंगाराम की ही प्रतिमा लोग तोड़ रहे थे।
विभाजन के बाद उनका अधिकतर परिवार हिन्दुस्तान चले आया लेकिन आज भी उनका नाम दूसरे बड़े-बड़े दान के अलावा एक दिलचस्प काम के लिए दुनिया भर में मशहूर हुआ। उन्होंने पाकिस्तान के पंजाब में अपने गांव से कुछ दूर एक रेलवे स्टेशन से गांव पहुंचने तक के लिए एक घोड़ा ट्रेन शुरू की थी। उन्होंने पटरियां बिछवाईं, और खुली गाड़ी को उन पटरियों पर घोड़ा खींचते हुए दौड़ता था। यह अपने किस्म का एक अनोखा प्रयोग था, और उसका वीडियो बरसों से सर गंगाराम या सेठ गंगाराम के हवाले से चारों तरफ फैलता है। यह काम उनके किए हुए समाज सेवा के कामों में शायद सबसे छोटा है, लेकिन सबसे दिलचस्प है।