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विशेष रिपोर्ट

शांति नगर समेत रायपुर की तीन बड़ी निर्माण परियोजनाओं पर चुनावी ब्रेक

   कैबिनेट उपसमिति ने दी थी सहमति   

‘छत्तीसगढ़’ विशेष रिपोर्ट
रायपुर, 12 जून (‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता)।
राजधानी रायपुर की तीन बड़ी परियोजना शांति नगर, नूतन राइस मिल, और बीटीआई परिसर में आवासीय व व्यावसायिक कॉम्पलेक्स निर्माण की योजना पर ब्रेक लग गया है। इन परियोजनाओं पर कैबिनेट उपसमिति में मंथन चल रहा था। कहा जा रहा है कि विवादों की वजह से फिलहाल परियोजना का क्रियान्वयन रोक दिया गया है। इन योजनाओं पर अब विधानसभा चुनाव के बाद ही फैसला होगा। 

हाऊसिंग बोर्ड के चेयरमैन कुलदीप जुनेजा ने ‘छत्तीसगढ़’ से चर्चा में कहा कि शांति नगर योजना पर कैबिनेट उपसमिति में फैसला लिया जाना है। उपसमिति की मंजूरी के बाद ही आगे की कार्रवाई हो सकती है। 

बोर्ड के एक अफसर ने ‘छत्तीसगढ़’ से चर्चा में कहा कि कुछ स्थानीय विरोध को देखते हुए फिलहाल योजना पर आगे कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। परियोजना के क्रियान्वयन के लिए सलाहकार कंपनी नियुक्त भी किया गया था, लेकिन इसका डीपीआर तक तैयार नहीं हो पाया है। उन्होंने संकेत दिए कि चुनाव के बाद ही परियोजना पर काम आगे बढ़ेगा। 

बताया गया कि शांति नगर में आवासीय-व्यावसायिक निर्माण का प्रस्ताव है। इस पर कार्रवाई 3 साल पहले शुरू हुई थी। इसके लिए सौ साल पुरानी सिंचाई कॉलोनी को हटाई जा चुकी है। कुल मिलाकर 19 एकड़ जमीन पर निर्माण होना है। इसके लिए गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू, और आवास-पर्यावरण मंत्री मोहम्मद अकबर व नगरीय प्रशासन मंत्री डॉ. शिवकुमार डहरिया की तीन सदस्यीय उपसमिति में कई बार चर्चा हो चुकी है। मगर अब आगे की कार्रवाई रूक गई है। 

इसी तरह नूतन राइस मिल को हटाकर 11 एकड़ जमीन आरडीए को देने का फैसला लिया गया था। आरडीए ने इसके लिए ऑफर भी बुलाए थे। बंद मिल मार्कफेड की है, और शहर के बीचों-बीच रेलवे स्टेशन के काफी नजदीक होने के कारण बेशकीमती भी है। इसके लिए मार्कफेड प्रबंधन ने बदले में राशि देने की मांग भी की थी। सरकार के हस्तक्षेप के बाद जमीन से जुड़ा विवाद कुछ हद तक सुलझा लिया गया, मगर अब आगे की कार्रवाई पर ब्रेक लग गई है। 

हालांकि आरडीए प्रबंधन ने मिल में अवैध कब्जा रोकने के लिए बाउंड्रीवाल का निर्माण कर रही है। इस पूरी योजना का क्रियान्वयन बीओटी के आधार पर होना है। इस पूरे मामले पर आरडीए के एक पदाधिकारी ने ‘छत्तीसगढ़’ से चर्चा में कहा कि नूतन राइस मिल योजना से आरडीए को कोई ज्यादा फायदा नहीं होगा। वजह यह है कि 90 फीसदी राशि उस विभाग को दे दी जाएगी, जिसकी जमीन है। ऐसे में आरडीए को अधिकतम 10 करोड़ ही मिल पाएगा। उन्होंने यह भी बताया कि चूंकि आरडीए इस परियोजना में काफी कुछ खर्च कर चुकी है। इसलिए अब इससे पीछे नहीं हटा जा सकता। बावजूद इसके योजना पर ब्रेक लगता दिख रहा है। इस पर काम अब बारिश के बाद ही शुरू होने की उम्मीद है। तब तक विधानसभा चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। ऐसे में माना जा रहा है कि आगे का काम नई सरकार के आने के बाद ही शुरू होने की उम्मीद है। 

इसी तरह शंकरनगर बीआईटी आवासीय परिसर को हटाकर आवासीय, और व्यावसायिक निर्माण के लिए कैबिनेट उपसमिति में चर्चा हुई थी, लेकिन अब आगे की कार्रवाई रोक दी गई है। इस पर भी फैसला जल्द होने के आसार नहीं दिख रहे हैं। 

जानकारों का मानना है कि परियोजनाओं पर पहले विवाद हो चुका है। इसलिए कैबिनेट उपसमिति तुरंत कोई फैसला लेने से बच रही है। अब सारा फैसला नई सरकार में होने की उम्मीद है। 

विचार/लेख

भोपाल में आज पूर्व मुख्यमंत्रियों की प्रतिमाओं का अनावरण, अकेले आदिवासी सीएम, छत्तीसगढ़ के राजा नरेशचन्द्र की भी

-गौरव गिरिजा शुक्ला 

मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में 26 सितंबर को पूर्व मुख्यमंत्रियों की मूर्तियों का अनावरण समारोह आयोजित किया जा रहा है। सभी मुख्यमंत्रियों की मूर्तियों के बीच एक मूर्ति छत्तीसगढ़ के गोंड आदिवासी नेता राजा नरेशचंद्र की भी होगी।

क्या आप जानते हैं कि मध्यप्रदेश के राजनीतिक इतिहास में एकमात्र आदिवासी मुख्यमंत्री बने हैं, जो कि छत्तीसगढ़ से ताल्लुक रखते थे?

छत्तीसगढ़ के गोंड आदिवासी नेता राजा नरेशचंद्र सिंह आजादी के बाद क़रीब दो दशक तक मध्यप्रदेश में मंत्री पद संभालने वाले, सारंगढ़ रियासत के राजा थे। भारत की आज़ादी के साथ ही उन्होंने अपनी रियासत का विलय भारतीय संघ में कर दिया।
अपना पूरा जीवन रियासत और सियासत में बिताने वाले राजा नरेशचंद्र ने मुख्यमंत्री पद की शपथ भी ली और आख़िर में राजनीतिक उठापटक से त्रस्त होकर राजनीति से ले लिया संन्यास।

-मध्यप्रदेश के पहले मंत्रिमंडल के सदस्य, जिन्होंने आदिवासी कल्याण, बिजली विभाग समेत अनेक महत्वपूर्ण पदों की ज़िम्मेदारी सँभाली।

- राजा नरेशचन्द्र सिंह जी सारंगढ़ रियासत के राजा थे ।

- उनका जन्‍म 21 नवम्‍बर, 1908 को हुआ था उन्होंने राजकुमार कॉलेज, रायपुर से शिक्षा हासिल की थी।

- उन्होंने शिक्षा पूरी होने के पश्चात रायपुर में मजिस्ट्रेट के रूप में कार्य कर प्रशासनिक दक्षता हासिल की। इसके बाद अपने पिता स्‍वर्गीय राजाबहादुर जवाहर सिंह, सी.आई.ई. के राज्‍यकाल में शिक्षा मंत्री के पद पर भी कार्य किया।

- 1936-37 में महानदी की भयंकर बाढ़ के समय सहायता-कार्य में सक्रिय भागीदारी निभाई तथा बाढ़ पीड़ितों को अन्‍न, वस्‍त्र व आवास संबंधी सहायता की और हैजा महामारी फैलने पर जनता की मदद की।

 -  उन्होंने 1942 में फुलझर राजा (सराईपाली-बसना) की बेटी ललिता देवी से विवाह किया।

-  1948 में उन्होंने अपने राज्‍य को नये आज़ाद भारत में विलीन कर दिया।
 
- सितम्बर 1949 में छत्तीसगढ़ की विलय हुई रियासतों के प्रतिनिधि के रूप में सारंगढ़ के राजा नरेशचन्द्र सिंह को विधानसभा में मनोनीत किया गया और फिर मंत्रिमंडल में शामिल किया गया।


- 1951 में जब देश में प्रथम आमचुनाव हुआ तब कांग्रेस पार्टी की ओर से राजा नरेशचन्द्र सिंह ने सारंगढ़ सीट से ऐतिहासिक जीत हासिल की। इस चुनाव के बाद विद्युत के साथ साथ लोकनिर्माण तथा आदिवासी कल्याण विभाग का दायित्व भी उन्हें दिया गया।

-  13 मार्च 1969 को नरेशचंद्र सिंह जी मुख्यमंत्री बने लेकिन उसके 13वें दिन ही यानि 25 मार्च 1969 को  राजनीतिक तिकड़म और दांव-पेचों से त्रस्त हो कर उन्होंने मुख्यमंत्री के पद के साथ साथ विधानसभा से इस्तीफ़ा दे कर राजनीति से संन्यास की घोषणा कर दी ।

-1969 में उनके इस्तीफे के चलते पुसौर विधानसभा खाली हुई। यहां उपचुनाव में उनकी पत्नी रानी ललिता देवी निर्विरोध चुनी गईं।

- राजा नरेशचन्द्र सिंह के हाथों से मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में आदिवासियों के हित में सरकारी विभाग और कार्यक्रमों की नींव पड़ी।

- लोकनिर्माण मंत्री के रूप रायपुर के पास आरंग में दो वर्ष की अवधि में महानदी पर बने पुल का पूरा श्रेय राजा नरेशचन्द्र सिंह को दिया जा सकता है।
 
- राजा नरेशचन्द्र सिंह के विद्युत मंत्री रहने के दौरान मध्यप्रदेश विद्युत मंडल का गठन किया गया और उनके नेतृत्व में प्रदेशभर में विद्युत सुविधाओं का विस्तार हुआ।
 
वर्तमान में सारंगढ़ राजपरिवार के सदस्य सारंगढ़ स्थित गिरिविलास पैलेस में निवास करते हैं। स्व. राजा नरेशचंद्र सिंह की नातिन कुलिशा मिश्रा इस वक्त राजनैतिक रूप से सक्रिय हैं।

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