आजकल

इजराइल पर फिलीस्तीनी आतंकी संगठन हमास के हमले से उठे खतरे, और सबक
08-Oct-2023 3:45 PM
इजराइल पर फिलीस्तीनी आतंकी संगठन हमास के हमले से उठे खतरे, और सबक

शनिवार सुबह फिलीस्तीन की गाजापट्टी से इजराइल पर अचानक एक बड़ा और अभूतपूर्व हमला हुआ। फिलीस्तीन अलग-अलग टुकड़ों में बंटा हुआ देश है जो देशकों से इजराइली हमलों का शिकार है। वहां के लोगों को बेदखल करके इजराइल वहां फौजी ताकत से अपने लोगों को जबर्दस्ती बसा रहा है। संयुक्त राष्ट्र संघ दर्जन भर बार इजराइली फौजी कार्रवाईयों के खिलाफ प्रस्ताव देख चुका है लेकिन इजराइली गुंडागर्दी के पक्के साथी अमरीका सरीखे देश के वीटो के चलते संयुक्त राष्ट्र कभी भी फिलीस्तीनियों को कोई इंसाफ नहीं दे पाया। बल्कि अमरीका के अंतरराष्ट्रीय दबदबे के चलते फिलीस्तीन-इजराइल के आसपास के दूसरे देश भी कमजोर फिलीस्तीनियों की मदद नहीं कर पाते, और इजराइल उन्हें बंदूक की नोंक पर बेदखल करते हुए अपने लोगों को वहां बसाते चल रहा है। इस बरस अब तक दो सौ से ज्यादा फिलीस्तीनियों को इजराइल मार चुका है, और यहां यह गिनाना भी जरूरी है कि जवाबी हमलों में 30 इजराइली भी मारे गए हैं। दुनिया को समझने के लिए यह जरूरी है कि यह लड़ाई दिए और तूफान की है, अमरीकी गिरोहबंदी के साथ इजराइल की ताकत दुनिया के एक सबसे बड़े हमलावर की है, और कल फिलीस्तीनी जमीन से वहां पर काबिज एक आतंकी संगठन हमास ने इजराइल पर जो हमला किया है, वह एक किस्म से आत्मघाती है क्योंकि इसके जवाब में कुछ घंटों के भीतर इजराइल ने जिस तरह से हवाई हमले किए हैं, उससे बचाव का कोई जरिया गाजापट्टी के बेकसूर लोगों के पास नहीं है, और वहां फिलीस्तीनी सरकार का नहीं, हमास नाम के आतंकी संगठन का राज है। 

कल का हमला किसी ताजा घटना को लेकर नहीं था, दशकों से फिलीस्तीनियों पर जो इजराइली जुल्म किया जा रहा है, और जिससे उन्हें बचाने के लिए पूरी दुनिया में किसी के पास न कोई ताकत है, न कोई दिलचस्पी है। इस तरह लगातार पीढ़ी-दर-पीढ़ी बेमौत मरते हुए फिलीस्तीनियों को अब यह समझ आ चुका है कि वे सिर पर कफन बांधे बिना, और मौत की परवाह किए बिना अगर कोई हमला कर सकते हैं, तो इजराइल का नुकसान करने का वही एक जरिया है। फिलीस्तीन के अमन-पसंद लोगों से लेकर वहां के हमास सरीखे आतंकी संगठनों तक सबने यह मान लिया है कि दुनिया की कोई ताकत उन्हें इंसाफ नहीं दिला सकती क्योंकि अमरीका नाम का दुनिया का सबसे बड़ा गुंडा इजराइल के पीठ पर हाथ रखे खड़े रहता है। इसलिए अब निराश और हताश, हर किस्म के फिलीस्तीनी उम्मीदें छोड़ चुके हैं, और उनमें से अधिकतर लोग इजराइली फौजी ज्यादतियां झेलते रहते हैं, जिनकी रोज की जिंदगी भी इजराइली बंदूकों की नोंक पर है, जो अपने ही घर में बेघर कर दिए गए हैं। ऐसे में उनमें से एक तबका अगर आतंकी हमले को इंसाफ पाने का अकेला जरिया मान बैठा है, तो कल का हमला उन्हीं का किया हुआ, और उसी निराशा से उपजा हुआ हमला है। हमास ने इस हमले के साथ यह कहा कि अब बहुत हो चुका है, और अब और बर्दाश्त करने का कोई मतलब नहीं है। यहां पर यह लिखना भी प्रासंगिक होगा कि हमास ने इस हमले के बाद कहा है कि उसे ईरान का समर्थन हासिल है। और ईरान में जिस तरह जश्न मनाया जा रहा है, उससे लग रहा है कि ईरान खुलकर फिलीस्तीन और हमास का साथ दे रहा है। ईरान ने कहा है कि यह उत्पीडऩ झेल रहे फिलीस्तीनियों की मुहिम है जो उन्होंने अपने हक के लिए छेड़ी है। और ईरान ने इसे आत्मरक्षा बताते हुए मुस्लिम देशों से अपील की है कि वो फिलीस्तीनियों के हक का साथ दें। इस हमले के बाद फिलीस्तीन के राष्ट्रपति महमूद अब्बास, जो कि हमास के खिलाफ हैं, उन्होंने कहा है कि फिलीस्तीनियों को यह हक है कि वे उनकी जमीन पर कब्जा करने वालों के खिलाफ अपना बचाव करें। हमास ने भी यही कहा है कि इस हमले का मकसद इजराइली कब्जे को रोकना है। हमास ने कहा कि वे लोग हमारे इलाकों पर रोज अपनी बस्तियां बना रहे हैं, हमारी जमीनें ले रहे हैं, हमारे लोगों को मार रहे हैं, लेकिन मिश्र, कतर, या संयुक्त राष्ट्र संघ की मध्यस्थता फिलीस्तीनियों के किसी काम नहीं आ रही है, और इजराइल को संदेश देने के लिए हमास ने यह हमला किया है। इजराइल जो कि पूरी दुनिया में जासूसी, खुफिया तकनीक, और हथियारों के लिए एक सबसे ताकतवर देश माना जाता है, जिसे आतंकविरोधी खुफिया कार्रवाई के लिए बदनाम देश समझा जाता है, उसे कल फिलीस्तीनी जमीन से हमास के लड़ाकों ने जिस तरह हाथ से बनाए रॉकेट चलाकर हवाई हमले से घेरा, और इजराइली चौकसी और सरहद को पार करते हुए जिस तरह समंदर और जमीन के रास्ते हमास के लड़ाके इजराइल में घुसे, वहां लोगों को मारा, हमले किए, और शायद दर्जनों लोगों का अपहरण करके लौटे हैं, वह इजराइल के लिए एक शर्मनाक कामयाबी भी है कि उसकी सारी विख्यात ताकत धरी रह गई। लेकिन जैसी कि उससे उम्मीद की जाती थी, अपने सैकड़ों लोगों को खोने के बाद उसने गाजापट्टी पर बड़े पैमाने पर हवाई हमले किए, और हमास को खत्म करने के नाम पर रिहायशी इलाकों को निशाना बनाया, और अभी तक के आंकड़े बतलाते हैं कि दोनों तरफ सैकड़ों लोग मारे गए हैं। इजराइल ने इसे अपने देश पर एक जंग करार दिया है, और उसका उसी तरह जवाब देने की बात कही है। दूसरी तरफ अमरीका और हिन्दुस्तान ने खुलकर इजराइल का साथ दिया है, और इसका एक मतलब यह भी है कि हमास के खिलाफ कार्रवाई के नाम पर इजराइल अगर आज फिलीस्तीनी रिहायशी बस्तियों पर बम गिरा रहा है, तो इजराइल के हिमायती तमाम देश बेकसूर नागरिकों की ऐसी मौतों को जायज मानकर उसकी अनदेखी करने वाले हैं। 

दुनिया का यह छोटा सा हिस्सा बड़ी-बड़ी ताकतों की फौजी रणनीतियों का खिलौना भी बना हुआ है, और दुनिया के दो कट्टर धर्मों के लोगों के धार्मिक टकराव का मैदान भी। फिलीस्तीन पर महात्मा गांधी भी अपने वक्त काफी कुछ लिख गए थे, और उन्होंने बार-बार फिलीस्तीनियों के हक की वकालत की थी। हिन्दुस्तान में उदारीकरण के पहले तक सरकारें फिलीस्तीनियों के हक के साथ रहती थीं, और मनमोहन सिंह की सरकार के वक्त से भारत और इजराइल के कारोबारी रिश्तों ने भारत की विदेश नीति तय की थी। और मोदी सरकार के आने के बाद तो जाहिर है कि यह सरकार पूरी तरह इजराइल के साथ है। 

आज जब इन दोनों देशों में संघर्ष चल ही रहा है, हजारों जख्मियों का इलाज या तो चल रहा है, या इलाज उन्हें नसीब नहीं है, ऐसे में दुनिया को एक बार यह भी सोचना है कि संयुक्त राष्ट्र संघ के बार-बार के फैसले भी अगर फिलीस्तीनियों को हक नहीं दिला पा रहे हैं, और इजराइलियों की गुंडागर्दी को नहीं रोक पा रहे हैं, तो फिर क्या दुनिया का यह हिस्सा इजराइल के खिलाफ मुस्लिम देशों की कोई अभूतपूर्व एकजुटता देखेगा, या ईरान और इजराइल को एक-दूसरे के खिलाफ खड़ा कर देगा? जो भी हो आज संयुक्त राष्ट्र चिकित्सा विज्ञान में पेनेसिलिन की तरह बेअसर हो चुका है, और यह दुनिया के लिए एक खतरनाक नौबत है। लाठी के दम पर ही जर, जोरू, जमीन, को कब्जाने की वह पुरानी व्यवस्था अगर 21वीं सदी में जारी रहना है, तो फिर देशों को लोकतांत्रिक होने की खुशफहमी नहीं पालनी चाहिए। देशों को यह भी समझना चाहिए कि किसी एक देश, बिरादरी, या तबके को लगातार जुल्म का शिकार बनाने पर वह एक दिन दुनिया के सबसे अधिक लैस फौजी गुंडे पर भी हमला कर सकता है, और उसकी सारी ताकत को नाकामयाब साबित कर सकता है। इस बात से दुनिया के बाकी देशों और तबकों को भी सबक लेना चाहिए। 
(क्लिक करें : सुनील कुमार के ब्लॉग का हॉट लिंक)

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news