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उनकी अपील है कि उन्हें हम मदद करें, चाकू की पसलियों से गुजारिश तो देखिए
31-Mar-2024 4:38 PM
उनकी अपील है कि उन्हें हम मदद करें, चाकू की पसलियों से गुजारिश तो देखिए

पश्चिमी मीडिया की खबरें इस बात से पटी हुई हैं कि किस तरह अमरीका इजराइली हमले के शिकार फिलीस्तीन के गाजा पर पैराशूट से खाना गिरा रहा है। अमरीकी एयरफोर्स की ली गई ऐसी तस्वीरें फैलाई जा रही हैं, और यह भी बताया जा रहा है कि गाजा के किनारे अस्थाई बंदरगाह बनाकर अमरीका वहां से भी मानवीय मदद भेजने की कोशिश कर रहा है। पिछले दो हफ्ते ऐसी खबरों से भरे हुए हैं कि अमरीका इजराइल से इस बात को लेकर खफा है कि वह फिलीस्तीन में मानवीय मदद जाने नहीं दे रहा है, और संयुक्त राष्ट्र संघ की एजेंसियों का कहना है कि फिलीस्तीन में लोग अब भूख से मरने की कगार पर हैं, और कई अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं का कहना है कि अनगिनत फिलीस्तीनी बच्चे गाजा में भूख से मर चुके हैं। ऐसे में इजराइल रफा नाम के उस सरहदी शहर पर फौजी कार्रवाई करने पर अड़ा हुआ है जहां पर गाजा के दस लाख से अधिक लोग शरणार्थी बनकर तम्बुओं में पड़े हुए हैं। 

अमरीका एक तरफ तो इजराइल के साथ अपनी नाराजगी दिखा रहा है, उससे असहमति दिखा रहा है, और ये खबरें आ रही हैं कि गाजा से हजार मील दूर कतार के एयरफोर्स अड्डे पर अमरीकी वायुसेना के मालवाहक विमानों में भूखे गाजा पर बरसाने के लिए खाने को लादा जा रहा है जिसके बक्से पैराशूट से वहां गिराए जा रहे हैं। इसे कुछ दूसरे पश्चिमी देशों के साथ मिलकर एक बहुराष्ट्रीय वायुसेना-अभियान की तरह चलाया जा रहा है, और अमरीका यह भी गिना रहा है कि वह गाजा के मलबे पर 40 हजार लोगों के लिए खाने को तैयार पैकेट गिरा रहा है। भूख का हाल यह है कि इसी हफ्ते पानी में गिर गए खाने के बक्सों को निकालते हुए गाजा में 12 लोग डूबकर मर गए, और 6 लोग खाने पर झपटती हुई भीड़ के पैरोंतले कुचलकर मारे गए। ऐसे में इजराइल रफा के शरणार्थी शिविर पर फौजी कार्रवाई के लिए अड़ा हुआ है, जबकि अमरीका इसे गलत करार दे रहा है। 

अब तक की इन बातों से लोगों को ऐसा धोखा हो सकता है कि अमरीका में एकाएक तथाकथित इंसानियत आ गई है, और अब वह समंदर के रास्ते, हवाई जहाजों से फिलीस्तीन में खाना भेज रहा है। लेकिन इस गलतफहमी या खुशफहमी को खत्म होने में अधिक वक्ता नहीं लगा। दो दिन पहले 29 मार्च को यह खबर आई कि अमरीका ने इजराइल को नई फौजी मदद मंजूर की है, और दो-दो हजार पौंड के 18 सौ बम, और पांच सौ पौंड के 5 सौ बम इजराइल के लिए और मंजूर किए हैं। इजराइल की सारी गुंडागर्दी सिर्फ अमरीकी मदद पर चलती है, और एक तरफ अमरीका भूख से मरते गाजा पर खाना बरसाने का नाटक कर रहा है, और दूसरी तरफ फिलीस्तीन पर बरसाने के लिए इजराइल को और बम दिए जा रहा है। मतलब यह कि दो-दो हजार पौंड के 18 सौ बम गाजा का जो हाल करेंगे, उसके बाद अमरीका को वहां खाना बरसाने की जरूरत भी नहीं रहेगी, क्योंकि वहां इंसान भी नहीं बचेंगे। 

दो-तीन हफ्ते पहले ही मैंने फेसबुक पर लिखा था कि अमरीका एक तरफ इजराइल को 10 लाख छुरे भेज रहा है, और फिलीस्तीन को मरहम की एक हजार ट्यूब। और पिछले हफ्ते-दस दिन में यह बात सही साबित हुई कि भूखों के लिए खाना पहुंचाने के नाटक से अपने लिए शोहरत और हमदर्दी, साख और वाहवाही जुटाने वाले अमरीका ने इजराइल के हाथ इतने मजबूत कर दिए हैं कि वह गाजा की बाकी बची तमाम इमारतों को जमीन से मिला सकता है। आज अमरीका की हालत यह है कि राष्ट्रपति जो बाइडन के इस फैसले का विरोध अमरीका के बहुत से इंसाफपसंद लोग कर रहे हैं, और तो और खुद बाइडन की डेमोक्रेटिक पार्टी के बहुत से नेता और सांसद इसके खिलाफ हैं कि अमरीका इस दर्जे की जारी इजराइली गुंडागर्दी में उसके हाथ मजबूत करने के लिए बम भेजे। दरअसल अमरीका के साथ-साथ बाकी दुनिया में भी अमनपसंद लोग इस बात पर हक्का-बक्का हैं कि पिछले बरस 7 अक्टूबर को एक फिलीस्तीनी आतंकी संगठन हमास के फौजी हमले में सैकड़ों इजराइलियों के कत्ल के बाद जवाब में इजराइल ने अब तक गाजा में 32 हजार से अधिक लोगों को मार डाला है, और पूरे गाजा शहर को मलबे में तब्दील कर दिया है। आधी से अधिक आबादी शरणार्थी शिविरों में पड़ी हुई है, और संयुक्त राष्ट्र संघ की युद्धविराम की दर्जन भर अपील भी इजराइल के खूनी हमलों को धीमा भी नहीं कर पा रही है। 

अमरीका इन दिनों दो अलग-अलग मोर्चों पर उजागर हो रहा है। फिलीस्तीन पर इजराइली फौजी हमले में वह इजराइल को बम और फिलीस्तीनियों को फूड पैकेट देकर दुनिया में जाने किसको बेवकूफ बनाने की कोशिश कर रहा है। दूसरी तरफ रूस और यूक्रेन के मोर्चे को देखें, तो अमरीकी अगुवाई में पश्चिमी देशों के फौजी संगठन, नाटो की तरफ से जितनी फौजी और बाकी किस्म की रसद यूक्रेन को दी जा रही है, वह उसे रूस के हमलों के सामने डटाए रखने के ही काम आ रही है, बचाए रखने के काम नहीं आ रही। अमरीका और योरप के बाकी देश जिस अंदाज में यूक्रेन का साथ दे रहे हैं, उससे एक बात जाहिर है कि वे यूक्रेन को बचाना नहीं चाह रहे, वे रूस को खोखला करना चाह रहे हैं, और अपने इस मकसद के लिए वे कितने भी यूक्रेनी सैनिकों और नागरिकों की मौत देख रहे हैं, पूरे यूक्रेन को मलबे में तब्दील होते देख रहे हैं, और एक गैरबराबरी की जंग में नापतौल कर यूक्रेन की उतनी ही मदद कर रहे हैं जितने से वह मोर्चे पर डटे रहे। नतीजा यह है कि यूक्रेन के कंधों पर बंदूक रखकर पश्चिमी देश रूस पर हमला कर रहे हैं, और रूसी हमले को झेलने के लिए यूक्रेनी सीनों को सामने कर दे रहे हैं। 

इस खतरनाक खेल को समझना चाहिए। अमरीका जिस तरह जानलेवा जख्म देने के लिए छुरे सप्लाई कर रहा है, और उसके बाद दुनिया के दिखावे के लिए मरहम भी भेज रहा है, उससे दुनिया के इतिहास में अच्छी तरह दर्ज इजराइल-समर्थक अमरीकी-वीटो मिट नहीं जाएगा। यह भी लगता है कि अमरीका के पास कुछ ऐसा खाना बचा हुआ होगा, जो सडऩे वाला होगा, और उसे गाजा पर बरसाकर अमरीका अपने घूरों का बोझ बढ़ाने से बच रहा होगा। अमरीका की सारी हमदर्दी को, चाहे वह गाजा हो, चाहे यूक्रेन, इस हिसाब से ही समझने की जरूरत है। इजराइल की सारी गुंडागर्दी दुनिया के नक्शे पर बाकी देशों के बीच उसकी मौजूदगी की वजह से मिलने वाली अमरीकी मदद और उकसावे से चलती है, और उसमें ताजा इजाफा करने के लिए अमरीका ने बमों के साथ-साथ फाइटर जेट भी दिए हैं। अभी-अभी का यह ताजा फैसला बमों के साथ-साथ फाइटर जेट भी इजराइल भेज रहा है, और अमरीका को तो चाहिए कि बेघर हो चुके, मां-बाप खो चुके फिलीस्तीनी बच्चों के लिए वह खिलौने के फाइटर प्लेन भी भेज दे, ताकि वह दुनिया के इतिहास में गिना सके कि उसने इजराइल को कम, और फिलीस्तीन को अधिक फाइटर प्लेन दिए थे। इस पूंजीवादी, विस्तारवादी, फौजी-आतंकी साजिश को न समझने वाले अमरीका को मदर टेरेसा भी मान सकते हैं जो कि बिना मां-बाप के रह गए, हाथ-पैर खो चुके फिलीस्तीनी बच्चों की सेवा के लिए फूड पैकेट लेकर गाजा में है। 
(शीर्षक: दुष्यंत कुमार का लिखा हुआ)

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