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एमपी के विधायक के लिए वेटिकन से आयी निराशा
31-Oct-2021 4:55 PM
 एमपी के विधायक के लिए वेटिकन से आयी निराशा

मध्य प्रदेश के भाजपा विधायक रामेश्वर शर्मा आज बड़े निराश होंगे। कल से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वेटिकन जाकर पोप से मुलाकात की तस्वीरें चारों तरफ छाई हुई हैं, और खुद प्रधानमंत्री के ट्विटर और फेसबुक जैसे पेज लगातार इन तस्वीरों को पोस्ट कर रहे हैं। वे पोप से गले मिल रहे हैं, उनके गाल से गाल सटा रहे हैं, और बाइबल को उठाकर सिर पर रख रहे हैं। यह एक अलग बात है कि हिंदुस्तान में गोवा में चुनाव होने जा रहे हैं जहां ईसाई बहुतायत है, लेकिन रामेश्वर शर्मा को इस वजह से भी राहत मिलने वाली नहीं है। अभी कुछ ही समय तो हुआ है जब उन्होंने एक कार्यक्रम में वीडियो कैमरे के सामने कहा था कि हिंदुओं को फादर और चादर से दूर रहना चाहिए। फादर तो जाहिर है ईसाई के लिए कहा जाता है, और चादर जाहिर है कि मुस्लिम महिलाओं के ओढ़ने के कपड़े को कहा जाता है। उन्होंने दशहरा के कार्यक्रम में मंच से भाषण देते हुए कहा था कि फादर और चादर तुम्हें बर्बाद कर देंगे, यह पीर बाबा तुम्हारे मंदिर जाने में बाधा हैं, पीरों को पूजने वालों को कह दो कि तुम जमीन में दफन करने में भरोसा रखते हो, और हम दुनिया को जलाने वालों पर भरोसा रखते हैं, जो बजरंगबली हैं. इस तरह की बहुत सी बातें वह हिंदुत्व को लेकर अपनी हमलावर सोच के तहत करते रहते हैं, इसलिए उनका यह हक भी बनता है कि पोप से इस तरह गले मिलते, लिपटते नरेंद्र मोदी को देखकर वह निराश हो जाएं।

लेकिन ऐसे विधायक की ऐसी बातों को छोड़ भी दें तो भी लोगों का धर्म से जुड़े लोगों के बारे में तजुर्बा बड़ा गड़बड़ रहता है। अभी जाने-माने फिल्म निर्देशक प्रकाश झा की एक वेब सीरीज 'आश्रम' की शूटिंग के दौरान मध्यप्रदेश में बजरंग दल ने प्रकाश झा पर हमला किया, क्योंकि यह वेब सीरीज 'आश्रम' नाम वाली है, और इसमें किसी बाबा के कुकर्मों का जिक्र है। जब इस हमले की खबर चारों तरफ फैली तो लोगों ने सोशल मीडिया पर बजरंग दल से पूछा कि अगर हमला ही करना था तो आसाराम और राम रहीम जैसे बाबाओं के आश्रम पर क्यों नहीं किया जो कि बलात्कार ही कर रहे थे, और आश्रम में ही कर रहे थे। अब अगर ऐसे आश्रमों वाले देश में आश्रम पर एक वेब सीरीज बन रही है तो उस पर हमले से क्या सुधरेगा? खैर धर्म के कुकर्मों की बात कोई नई नहीं है, और आज इस मुद्दे पर यहां लिखने का एक मकसद यही है कि टेक्नोलॉजी दुनिया में एक ऐसा काम करने जा रही है जिससे कि हो सकता है धर्म के कुछ कुकर्म कम हो जाएं।

जर्मनी में अभी कुछ ईसाई चर्चों में एक रोबो पादरी का इस्तेमाल शुरु हुआ है जो कि अलग-अलग 5 भाषाओं में बाइबल के प्रवचन पढ़ सकता है, नसीहत में दे सकता है, आशीर्वाद दे सकता है, और धार्मिक संस्कार करवा सकता है। आज से 500 बरस पहले ईसाई धर्म में यूरोप भर में मार्टिन लूथर ने एक सुधारवादी आंदोलन शुरू किया था, और उसके 500 बरस पूरे होने के मौके पर यह रोबो प्रयोग के तौर पर कई चर्चों में इस्तेमाल किया जा रहा है। जाहिर है कि चर्च जाने वाले लोगों की प्रतिक्रिया इस पर मिली-जुली हो सकती है, लेकिन चर्च के ढांचे के भीतर काम करने वाले पादरियों में इसे लेकर बेचैनी है। उन्हें लग रहा है कि उनके पेट पर लात पड़ने वाली है और उनका रोजगार छिनने वाला है। हालांकि हकीकत यह है कि पूरे यूरोप में पादरियों की कमी चल रही है, और चर्चों में धार्मिक संस्कार कराने को वे कम पड़ रहे हैं। ऐसे में यह पादरी रोबो 5 भाषाओं में संस्कार भी करवा सकता है, और जब हाथ उठाकर आशीर्वाद देता है तो उससे प्रकाश की किरण भी निकलकर श्रद्धालुओं पर पड़ती है। हालांकि यह पूरी तरह मौलिक प्रयोग नहीं है क्योंकि कुछ बरस पहले चीन के एक बौद्ध मंदिर में एक रोबो भिक्षु का उपयोग शुरू किया गया था, जो कि मंत्र पढ़ता था, और धर्म की बुनियादी बातों को बोलता था।

अब यह रोबो जब तक किसी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से लैस ना हो जाए, और जब तक जिंदा पादरियों से यह कुछ बुरी बातें सीख न ले, तब तक तो यह भक्त जनों के लिए अच्छा साबित हो सकता है, क्योंकि आज दुनिया भर के चर्चों में पादरियों को बच्चों के यौन शोषण के आरोप झेलने पड़ रहे हैं. यूरोप के विकसित लोकतंत्रों में ऐसी घटनाएं लाखों में हुई हैं, यह बात खुद चर्च द्वारा करवाई गई जांच में सामने आई है न कि किसी चर्च विरोधी के लगाए गए आरोपों में। इसलिए फिलहाल तो ऐसे रोबो पादरियों से यह खतरा नहीं है कि वे बच्चों का यौन शोषण भी करेंगे लेकिन हो सकता है कि कभी इन्हें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस दिया जाए, और उसके बाद ये असल पादरियों से सभी तरह की बातों को सीखें, और तब जाकर ये बच्चों के लिए खतरनाक भी साबित हो सकते हैं। लेकिन फिलहाल इससे चर्च के भक्तों के बच्चों को एक सुरक्षित धार्मिक माहौल मिल सकता है।

अभी चर्च से जुड़े हुए पहलुओं में यह बहस चल रही है कि क्या धार्मिक संस्कारों का इस तरह मशीनीकरण करना ठीक है? अब हिंदुस्तान में अगर देखें तो यहां बहुत से हिंदू मंदिरों में बिजली की मशीनों से चलने वाले नगाड़े और ढोल मंजीरे इस्तेमाल होने लगे हैं, जो कि बिना भक्तों के भी अकेले पुजारी शुरू कर लेते हैं, और माहौल बन जाता है। हालांकि अभी पुजारी का विकल्प किसी रोबो में सामने नहीं आया है, लेकिन ढोल-मंजीरा बजाने वाले भक्तों का विकल्प तो मशीन में आ गया है। अब धीरे-धीरे यह भी हो सकता है कि जिस तरह किसी कॉमेडी शो में टीवी प्रसारण के पहले हंसने की आवाज, खिलखिलाने की, और तालियों की आवाज जोड़ दी जाती है, उसी तरह धर्म स्थलों में भी भक्तों की आवाजें जोड़ दी जाएं ताकि कम रहने पर भी वह बाहर से भक्तों की अधिक संख्या का झांसा दे सके। इसमें बुराई कुछ नहीं है क्योंकि धर्म कुल मिलाकर बहुत से लोगों को वैसे ही झांसा देता है, और अगर यह एक और झांसा देकर अधिक भीड़ का नजारा पेश करने लगे तो भी वह कोई पहला झांसा नहीं रहेगा।

अब वेटिकन गए हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पोप को भारत आने का न्योता दिया है, और ऐसी कोई वजह नहीं है कि पोप भारत ना आएं क्योंकि यहां बड़ी संख्या में ईसाई आबादी है, और बड़ी संख्या में और लोगों को भी ईसाई बनाया जा सकता है, या कि वह बन सकते हैं, क्योंकि आज के उनके धर्म में उन्हें पावों का दर्जा देकर रखा गया है, और हो सकता है कि चर्च में उन्हें चर्च में थोड़ी बराबरी का मौका मिल जाए। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि प्रधानमंत्री की पार्टी पूरे देश में जगह जगह हिंदुओं के धर्मांतरण का जो आरोप लगाती है और जो जाहिर तौर पर चर्च पर लगाया जाता है, उसके मुखिया पोप का हिंदुस्तान आना कैसा माना जाएगा? खैर अगले कुछ बरस तो पोप को बुढ़ापे में भी दुनिया भर का दौरा करना पड़ेगा, और उसके बाद एक विकसित हो रही नई तकनीक मेटावर्स की मेहरबानी से लोग होलोग्राम की शक्ल में दुनिया में कहीं भी पहुंच सकेंगे, और वहां पर लोगों के बीच बैठकर किसी कार्यक्रम में शामिल भी हो सकेंगे। उस दिन हो सकता है कि पोप को हिंदुस्तान न आना पड़े, और उनके होलोग्राम से गले मिलकर मोदी उसका स्वागत कर सकें, या फिर यह भी हो सकता है कि मोदी का होलोग्राम जाकर पोप के होलोग्राम का गले लगकर स्वागत कर सके। और होलोग्राम आकर, जाकर स्वागत करेगा, तो उससे फादर से दूर रहने का मध्य प्रदेश के भाजपा विधायक का फतवा भी निभा जाएगा क्योंकि मोदी को पोप से सीधे गले नहीं मिलना पड़ेगा। फिलहाल तो धर्म में टेक्नोलॉजी के उपयोग को लेकर लोगों के बीच उत्सुकता से भरी जो बहस है जर्मनी से शुरू हुई है, उसे देखना चाहिए। (क्लिक करें : सुनील कुमार के ब्लॉग का हॉट लिंक)

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