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की-रिंग या बैग तलाशने को बना एयरटैग बन गया कत्ल का सामान
19-Jun-2022 1:29 PM
की-रिंग या बैग तलाशने को बना एयरटैग बन गया कत्ल का सामान

टेक्नालॉजी ने दुनिया से निजता छीन ली है। अब बहुत कम प्राइवेट रह गया है, और प्राइवेसी शब्द सिर्फ शब्द के रूप में ही मायने रखता है, बाकी कोई प्राइवेसी रह नहीं गई। जो लोग मोबाइल फोन, इंटरनेट, कम्प्यूटर, और दूसरे तरह के हार्डवेयर-सॉफ्टवेयर इस्तेमाल करते हैं, वे कदम-कदम पर अपने पदचिन्ह छोड़ते जाते हैं, जिनकी मदद से सरकारी एजेंसियां तो उन तक पहुंचती ही हैं, अब हत्यारे और जीवनसाथी भी लोगों पर नजर रखने में इन सबका इस्तेमाल करने लगे हैं।

अभी अमरीका से यह खबर आई कि एप्पल कंपनी के एक सबसे छोटे सामान, एयरटैग से एक महिला ने अपने प्रेमी का पीछा कर लिया, उसे एक दूसरी महिला के साथ रंगे हाथों पकड़ लिया, और फिर प्रेमी को उसने अपनी कार के नीचे कुचलकर मार डाला। यह एयरटैग एक छोटी सी की-रिंग सरीखा होता है जिसे किसी सामान के साथ जोडक़र रखा जा सकता है, और बाद में वह सामान न मिलने पर अपने एप्पल फोन के मार्फत उस एयरटैग तक पहुंचा जा सकता है। इस महिला ने अपनी प्रेमी की कार में ऐसा एक एयरटैग रख दिया था, और फिर अपने फोन पर उसकी लोकेशन देखते हुए वह उस शराबखाने तक पहुंच गई जहां प्रेमी एक दूसरी महिला के साथ था।

यह काम तो बाजार में कानूनी रूप से मिलने वाले छोटे से मासूम, की-रिंग या बैग तलाशने के उपकरण की तरह मौजूद है, जिसे बनाने वालों ने इसके मार्फत कत्ल की कल्पना शायद नहीं की होगी। लेकिन आज महज कुछ हजार रूपयों के ऐसे एयरटैग का इस्तेमाल करके दुनिया में कहीं भी लोग अपने भागीदारों, जीवनसाथियों, या प्रेमियों पर नजर रख सकते हैं। दो दिन पहले की इस खबर और उसके बाद आज उस पर लिखी गई इस बात के बाद सभी लोगों को कुछ अधिक सावधानी बरतनी चाहिए, क्योंकि एक जूठा सेब भी आज जासूसी कर रहा है।

यह खतरा कत्ल तक तो अभी पहुंचा है, लेकिन पिछले कुछ महीनों से एप्पल पर निजता भंग करने का उपकरण बनाने की तोहमतें लग ही रही थीं। जो लोग किसी के साथ कोई जुर्म करना चाहते हैं वे लोग भी किसी के सामान में, या गाड़ी में एयरटैग डालकर उन पर निगरानी रख रहे हैं। अब ऐसी जासूसी कर रहे एयरटैग को पकडऩे के लिए इंटरनेट पर ट्रैकर डिटेक्ट नाम का एप्लीकेशन आ गया है, और मुफ्त का यह एप्लीकेशन डाउनलोड करके लोग यह पता लगा सकते हैं कि उनके अगल-बगल में ऐसे कोई एयरटैग काम कर रहे हैं क्या जो कि अपने मालिक से कुछ देर से अलग हैं। इसके बाद ऐसे एयरटैग का बीपर शुरू करके उस तक अपना हाथ भी पहुंचाया जा सकता है, और उसकी बैटरी निकालकर फेंककर उसे बंद भी किया जा सकता है। इससे लोग अपनी की जा रही जासूसी को बंद कर सकते हैं।

अब सवाल यह है कि यह तो बात एक पूरी तरह से कानूनी उपकरण की हुई है जो कि बड़ी आसानी से दुकानों में उपलब्ध है, या ऑनलाईन ऑर्डर करके किसी आईफोन की तरह ही खरीदा जा सकता है। लेकिन गैरकानूनी तौर पर बिकने वाली ऐसी बहुत सी अघोषित चीजें बाजार में हैं जिनसे लोग दूसरों पर नजर रख सकते हैं। अभी दुनिया भर से आने वाली रिपोर्ट बताती हैं कि जब बड़ी-बड़ी कंपनियों को अपने कर्मचारियों से घरों से ही काम करवाना पड़ा, तो उन्होंने कम्प्यूटर और ऑनलाईन पर उनके कंपनी के काम पर नजर रखने के लिए दुनिया के ऑनलाईन जासूसों का सहारा लिया, और यह निगरानी रखी कि लोग किस जगह से काम कर रहे हैं, कितने घंटे काम कर रहे हैं, और ऑफिस के काम के अलावा क्या-क्या कर रहे हैं। ऐसी निगरानी रखने वाली, और अपने को साइबर-सुरक्षा कंपनी बताने वाली एजेंसियों ने इसी दौरान अपना कारोबार बहुत बढ़ा लिया है।

लेकिन कंपनियों से परे, जैसा कि अमरीका के इस ताजा कत्ल में हुआ है, लोग अपने करीबी लोगों के मोबाइल फोन से भी उन पर तरह-तरह की नजर रख सकते हैं। कुछ पल के लिए किसी से उनका फोन मांगकर गूगल मैप की हिस्ट्री देखकर यह जाना जा सकता है कि पिछले दिनों में वे किस वक्त कहां-कहां गए हैं। लोगों के फोन और लैपटॉप पर दर्ज वाईफाई पासवर्ड देखकर भी वे जगहें तलाशी जा सकती हैं जहां वह वाईफाई काम करता है। किसी के फोन पर लोकेशन शेयर करने में कुछ पल ही लगते हैं, और उसके बाद आप बैठकर अपने फोन पर दूसरों की लोकेशन देख सकते हैं।

जुर्म के ये तरीके जानना और समझना इसलिए जरूरी नहीं है कि जुर्म कैसे किया जाए। इन तरीकों से वाकिफ लोग ऐसे जुर्म के शिकार होने से भी बच सकते हैं, और अनजान रहकर वे ऐसे जाल में फंस सकते हैं। ट्रैकिंग डिवाइसों का यह सिलसिला एप्पल ने शुरू नहीं किया है, बरसों पहले से जापान में बच्चों के स्कूल बैग में ट्रैकिंग डिवाइस लगाने का काम चल रहा है ताकि मां-बाप अपने फोन पर देख सकें कि किसी वक्त पर उनके बच्चे कहां हैं। अब तो एप्पल की मामूली सी घड़ी ऐसी आ गई है जिसे पहनने वाले अगर अचानक कहीं गिर जाएं, तो पहले से तय किए हुए नंबरों पर उनके गिरने का एसएमएस चले जाए, और शायद लोकेशन भी।

बहुत से उपकरण लोगों की जिंदगियों को बचाने वाले हैं, लेकिन बहुत से उपकरण निगरानी रखने वाले, और जुर्म में मददगार भी हैं। टेक्नालॉजी अच्छी नीयत से बनाई जाती है, लेकिन वह आगे जाकर किन हाथों में पहुंचेगी, इसकी नियति तय नहीं की जा सकती है। आत्मरक्षा के नाम पर खरीदी गईं बंदूकें अमरीका में आज सामूहिक हत्याओं के काम आ रही हैं। इसलिए कारोबारी भागीदार हो, या पारिवारिक जीवनसाथी, प्रेमी हो या सरकार हो, सबसे सावधान रहने की जरूरत है क्योंकि जिनकी पहुंच आपकी गाड़ी, आपके घर-दफ्तर तक और आपके फोन-कम्प्यूटर तक है, वे आप पर नजर रखने की सबसे अधिक ताकत भी रखते हैं। जब तक आप फोन, इंटरनेट, और उपकरणों से परे हैं, तब तक आप बेफिक्र रह सकते हैं, लेकिन उसके बाद टेक्नालॉजी के साथ बढ़ाया हुआ आपका हर कदम आपको अधिक खतरे में डालने वाला रहता है।

(क्लिक करें : सुनील कुमार के ब्लॉग का हॉट लिंक)

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