सामान्य ज्ञान

क्या है डीआईसीसीआई-एसएमई फंड?
10-Jun-2021 12:31 PM
क्या है डीआईसीसीआई-एसएमई फंड?

केंद्रीय वित्तमंत्री पी चिदम्बरम ने देश का पहला सामाजिक प्रभाव वाला डीआईसीसीआई-एसएमई फंड यानी दलित इंडियन चैंबर्स ऑफ़ कामर्स एण्ड इंडस्ट्रीज-छोटा और मध्यम उद्योग फंड, 6 जून 2013 को जारी किया है। इस फंड का उद्देश्य दस वर्ष में पांच अरब रुपये जुटाना और इससे दलित उद्यमियों को वित्त उपलब्ध कराया जाना है।
वित्तमंत्रालय के अनुसार दलित उद्यमियों को वित्त उपलब्ध कराए जाने से समाज में समानता का भाव पैदा होगा। इसे दलित इंडियन चैंबर्स ऑफ़ कामर्स एण्ड इंडस्ट्रीज ने शुरू किया है और इसे भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड ने पंजीकृत किया है।  केंद्र सरकार ने बैंकों से कहा  है कि प्रत्येक शाखा अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति के एक उद्यमी को सहारा दे, जिससे देश में एक साथ ऐसे एक लाख से ज्यादा उद्यमी बन जाएंगे। साथ ही बैंकों और एल आईसी से भी डीआईसीसीआई एसएम ई फंड में निवेश करने को कहा जाएगा। 
सरकार द्वारा जारी नई सार्वजनिक खरीद नीति में सभी प्रकार की सरकारी और सार्वजनिक खरीद का बीस प्रतिशत छोटे, बहुत छोटे और मध्यम उद्योगों से खरीदना अनिवार्य कर दिया गया है। इस नीति के तहत प्रावधान है कि चार प्रतिशत खरीद अनुसूचित जातियों तथा अनुसूचित जनजातियों द्वारा चलाए जा रहे उद्यमों से की जानी चाहिए। ऐसे में डीआईसीसीआई-एसएमई फंड के माध्यम से अनुसूचित जातियों तथा अनुसूचित जनजातियों द्वारा चलाए जा रहे उद्यमों को वित्त मुहैया कराए जाने के साथ उनकी विपणन संबंधी समस्या को दूर करने में आसानी होगी।
 

रहस्यवाद
रहस्यवाद हिंदी या समस्त भारतीय साहित्य का एक साहित्यिक आंदोलन है जिसका समय 1950 के आसपास समझा जाता है। इसका जन्म छायावाद के बाद हुआ। कुछ लोग इसको छायावाद की ही एक शाखा मानते हैं। यह भी कहा जा सकता है कि रहस्यवाद और छायावाद आपस में मिले-जुले हैं। रहस्यवाद के अंतर्गत प्रेम के कई स्तर होते हैं।
प्रथम स्तर है अलौकिक सत्ता के प्रति आकर्षण। 
द्वितीय स्तर है- उस अलौकिक सत्ता के प्रति दृढ अनुराग। 
तृतीय स्तर है विरहानुभूति। 
चौथा स्तर है- मिलन का मधुर आनंद। 
महादेवी और निराला में आध्यात्मिक प्रेम का मार्मिक अंकन मिलता है। यद्यपि छायावाद और रहस्यवाद में विषय की दृष्टि से अंतर है। जहाँ रहस्यवाद का विषय - आलंबन अमूर्त, निराकार ब्रह्म है, जो सर्व व्यापक है, वहां छायावाद का विषय लौकिक ही होता है।
 

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