सामान्य ज्ञान
म्यूचुअल फंड्स में डायरेक्ट प्लान कस्टमर्स को सीधे फंड में इन्वेस्ट करने की सुविधा देता है। इसमें किसी तरह की इंसिडेंटल कॉस्ट नहीं होती है और एक्सपेंस रेशियो बहुत कम होता है। ये रेगुलर फंड से सस्ते हो सकते हैं और इनका एनएवी अलग होता है। सेबी के मुताबिक 1 जनवरी से हर फंड/स्कीम का डायरेक्ट प्लान होना जरूरी है। यह उन इन्वेस्टर्स के लिए होगा, जो डिस्ट्रिब्यूटर सपोर्ट नहीं चाहते।
डायरेक्ट प्लान से डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट रूट का विस्तार होगा और रीटेल पार्टिसिपेशन में बढ़ोतरी होगी। इसमें एक्सपेंस रेशियो कम है, जिससे इन्वेस्टमेंट आधा से एक फीसदी सस्ता हो गया है। इससे इसकी नेट एसेट वैल्यू (एनएवी) बढ़ जाएगी। डायरेक्ट प्लान में रेगुलर प्लान से ज्यादा रिटर्न मिलेगा।
डिस्ट्रिब्यूटर्स डायरेक्ट प्लान का विरोध कर रहे थे, क्योंकि डिस्ट्रिब्यूटर्स को डर था कि उनके कई मौजूदा इन्वेस्टर्स जिसमें ज्यादा पैसे वाले इन्वेस्टर्स भी शामिल हैं, वे डायरेक्ट प्लान में शिफ्ट हो जाएंगे। उनका मानना है कि इन्वेस्टर्स लोअर एक्सपेंस रेशियो और ज्यादा रिटर्न से अट्रैक्ट होंगे। उनकी दूसरी बड़ी फिक्रयह थी कि इंस्टिटयूशनल इन्वेस्टर्स फंड एलोकेशन डायरेक्ट प्लान में शिफ्ट करेंगे, क्योंकि उन्हें अपना सरप्लस बहुत ही मिनिमम कॉस्ट पर इन्वेस्ट करने के लिए बोर्ड से राइट्स मिला हुआ है।