सामान्य ज्ञान
चिकित्सा की सोवा-रिगपा प्रणाली विश्व की ऐसी परंपरागत बहुत पुरानी कार्यरत स्वास्थ्य प्रणाली है जिसे हाल ही में मान्यता प्रदान की गई है और इसका इतिहास 2500 वर्षों से अधिक का रहा है। इसका प्रचलन और इसकी उपयोग हिमालय क्षेत्र में खासकर, लेह और लद्दाख (जम्मू और कश्मीर), हिमालच प्रदेश, अरूणाचल प्रदेश, सिक्किम, दार्जिलिंग आदि में किया जाता रहा है।
सोवा-रिगपा प्रणाली अस्थमा, ब्रोंकिटिस, अर्थराइटिस जैसी क्रॉनिक बीमारियों के लिए प्रभावशाली मानी गई है।
सोवा-रिगपा का मूल सिद्धांत का खुलासा इस प्रकार किया गया है (1) इलाज के लिए शरीर और मन का विशेष महत्व है (2) एन्टीडॉट, अर्थात इलाज (3) इलाज की पद्धति यद्यपि एन्टीडॉट (4) बीमारी को ठीक करने वाली दवाईयां ; और (5) फार्माकॉलॉजी। सोवा-रिगपा मानव शरीर के निर्माण में पांच भौतिक तत्वों, विकारों की प्रकृति तथा इनके समाधान के उपायों के महत्व पर बल देता है। । उत्तर प्रदेश और कर्नाटक में सोवा-रिगपा के कुछ शैक्षणिक संस्थान हैं।