सामान्य ज्ञान
भारत में, स्वास्थ्य देखभाल के लिए कई प्रणाली अपनाई जा रही हैं। सरकार प्रत्येक मान्यता प्राप्त चिकित्सा पद्धति का विकास करने एवं प्रेक्टिस करने के अवसर प्रदान करती है। इसलिए एलोपेथी के साथ-साथ आयुर्वेद एवं सिद्धा का शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व बना हुआ है जो कि चिकित्सा की परंपरागत एवं देशी प्रणालियां हैं, इनमें यूनानी का मूल स्थान पर्शिया एवं होम्योपैथी का जर्मनी है।
आयुष आयुर्वेद, योग एवं नेचोरेपेथी, यूनानी, सिद्धा एंव सोवा-रिगपा और होम्योपैथी का संक्षिप्त रूप है। चिकित्सा की आयुष प्रणाली में चिकित्सा की भारतीय प्रणालियों एवं होम्योपैथी का एक समूह शामिल है। आयुर्वेद बहुत पुरानी प्रणाली है और इसका उपयोग 5 हजार वर्षों से अधिक समय से किया जा रहा है, जबकि होम्योपैथी का उपयोग पिछले 100 वर्षों से किया जा रहा है। देश में इन प्रणालियों का उपयोग बुनियादी सुविधाओं सहित विभिन्न लोगों पर किया जाता रहा है। केरल, महाराष्ट्र, हिमाचल प्रदेश, गुजरात, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, उत्तराखंड, गोवा एवं ओडिशा में आयुर्वेद अधिक प्रचलन में है। यूनानी प्रणाली का इस्तेमाल आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, जम्मू एवं कश्मीर, बिहार, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, दिल्ली और राजस्थान के कुछ भागों में देखा जा सकता है। होम्योपैथी का उपयोग उत्तर प्रदेश, केरल, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, पंजाब, तमिलनाडु, बिहार, गुजरात एवं पूर्वोत्तर राज्यों में काफी सीमा तक किया जाता है। तमिलनाडु, पुदुचेरी एवं केरल के क्षेत्रों में सिद्धा प्रणाली का उपयोग किया जाता रहा है।
आयुष सेवाएं निजी, सार्वजनिक और स्वयंसेवी क्षेत्र के संगठनों द्वारा मुहैया की जाती है। इन सभी चिकित्सा पद्धतियों का उपयोग राष्ट्र में स्वास्थ्य की देखभाल के लिए किया जाता रहा है जो देश के विभिन्न भागों में इनकी क्षमता और उपलब्धता पर निर्भर करता है।