सामान्य ज्ञान

हर्षचरित
14-Jun-2021 12:36 PM
हर्षचरित

हर्षचरित बाणभट्ट का ऐतिहासिक महाकाव्य है। बाण ने इसे आख्यायिका कहा है। आठ उच्छवासों में विभक्त इस आख्यायिका में बाणभट्ट ने स्थाण्वीश्वर के महाराज हर्षवर्धन के जीवन-चरित का वर्णन किया है।
आरंभिक तीन उच्छवासों में बाण ने अपने वंश तथा अपने जीवनवृत्त सविस्तार वर्णित किया है।  हर्षचरित की वास्तविक कथा चतुर्थ उच्छवास से आरम्भ होती है।   इसमें हर्षवर्धन के वंश प्रवर्तक पुष्पभूति से लेकर सम्राट हर्षवर्धन के ऊर्जस्व चरित्र का उदात्त वर्णन किया गया है। हर्षचरित  में ऐतिहासिक विषय पर गद्यकाव्य लिखने का प्रथम प्रयास है। इस ऐतिहासिक काव्य की भाषा पूर्णत: कवित्वमय है।
हर्षचरित  शुष्क घटना प्रधान इतिहास नहीं, प्रत्युत विशुद्ध काव्यशैली में उपन्यस्त वर्णनप्रधान काव्य है।  बाण ने ओज गुण और अलंकारों का सन्निवेश कर एक प्रौढ़ गद्यकाव्य का स्वरूप प्रदान किया है। इसमें वीररस ही प्रधान है। करुणरस का भी यथास्थान सन्निवेश किया गया है। हर्षचरित  तत्कालीन राजनैतिक परिस्थितियों, सांस्कृतिक परिवेशों और धार्मिक मान्यताओं पर प्रकाश डालता है।

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