सामान्य ज्ञान
ईसरो नेवीगेशन सेंटर (आईएनसी) बेंगलूरू के ब्यालालू में स्थित इंडियन डीप स्पेस नेटवर्क (आईएसडीएन) परिसर में स्थापित किया गया। 28 मई को ही इसका उद्घाटन किया गया है।
ईसरो नेवीगेशन सेंटर, इंडियन रीजनल नेवीगेशन प्रणाली (आई आर एन एस एस), जो कि भारत में ही विकसित एक स्वतंत्र नेवीगेशन उपग्रह प्रणाली है, की एक प्रमुख इकाई है। ईसरो नेवीगेशन सेंटर आई आर एन एस एस के प्रचालन का प्रमुख केंद्र के रूप में कार्य करेगा। आईएनसी समय सम्बंधित सूचनाएं, नेवीगेशन संदेशों के सृजन एवं निगरानी और भू-सुविधाओं, जिनमें आई आर एन एस एस के प्रसार स्टेशन शामिल हैं, के प्रति जवाबदेह है। आईएनसी विभिन्न नेवीगेशन सम्बंधी कार्यों के लिए आवश्यक तकनीकी सहयोग उपलब्ध कराएगा।
आई आर एन एस एस को सात उपग्रह नेटवर्क लांच करने हैं। इनके माध्यम से उपयोगकर्ता को किसी वस्तु या स्थिति की सटीक जानकारी उपलब्ध हो पाएगी। इन सभी उपग्रहों को पृथ्वी की सतह से 36 हजार किमी की ऊंचाई पर स्थापित किया जाना है। आई आर एन एस एस का प्रभाव क्षेत्र समूचे भारत एवं आस-पास तक विस्तार किया जाना है।
आई आर एन एस एस के अधीन देश भर में स्थापित प्रसार स्टेशन होंगे। ये सभी स्टेशन आई आर एन एस एस के उपग्रहों के कक्षा निर्धारण एवं नेवीगेशन संकेतों की निगरानी करेंगे।
मुण्डकोपनिषद
मुण्डकोपनिषद, एक उपनिषद है, जो अथर्ववेदीय शौनकीय शाखा से सम्बन्धित है। इसमें अक्षर-ब्रह्म का विशद विवेचन किया गया है। इसे मन्त्रोपनिषद नाम से भी पुकारा जाता है। इसमें तीन मुण्डक हैं और प्रत्येक मुण्डक के दो-दो खण्ड हैं तथा कुल चौंसठ मन्त्र हैं।
मुण्डक का अर्थ है- मस्तिष्क को अत्यधिक शक्ति प्रदान करने वाला और उसे अविद्या-रूपी अन्धकार से मुक्त करने वाला। इस उपनिषद में महर्षि अंगिरा ने शौनक को परा-अपरा विद्या का ज्ञान कराया है।