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उद्धव ठाकरे को कांग्रेस-एनसीपी ने 5 साल के लिए मुख्यमंत्री पद देने का वादा किया था?
16-Jun-2021 7:22 PM
उद्धव ठाकरे को कांग्रेस-एनसीपी ने 5 साल के लिए मुख्यमंत्री पद देने का वादा किया था?

-मयूरेश कोण्णूर

शिवसेना के सांसद संजय राउत ने एक नए विवाद को जन्म दे दिया है. पार्टी के मुखपत्र 'सामना' में अपने साप्ताहिक स्तंभ में उन्होंने दावा किया कि महा विकास अघाड़ी के पूरे पांच साल के कार्यकाल के लिए मुख्यमंत्री का पद शिवसेना के पास रहेगा.

हालांकि कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने अभी तक संजय राउत के बयान पर सार्वजनिक तौर पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है.

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लेकिन महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ राजनीतिक गठबंधन 'महा विकास अघाड़ी' के गठन के बाद से ऐसा पहली बार हुआ है कि मुख्यमंत्री पद के बारे में इतने साफ़ शब्दों में कोई घोषणा की गई है.

इस बयान के बाद अब ये कहा जा रहा है कि महाराष्ट्र के सत्तारूढ़ गठबंधन पर इसका गंभीर असर पड़ सकता है.

पिछले हफ़्ते जब संजय राउत उत्तरी महाराष्ट्र के दौरे पर थे तो रविवार को नासिक में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान उनसे इस बारे में पूछा गया. राउत ने अपने बयान को और साफ़ तरीके से दोहराया.

संजय राउत ने कहा, "मैंने अपने कॉलम में कहा है कि शिवसेना का मुख्यमंत्री ही महा विकास अगाड़ी की सरकार का पूरे पांच सालों के लिए नेतृत्व करेगा. इस बारे में कोई बातचीत नहीं होने वाली है. ये एक प्रतिबद्धता है. शुरुआत में ही ये प्रतिबद्धता जताई गई थी कि मुख्यमंत्री का पद शिवसेना के पास ही रहेगा. मुझे लगता है कि आदरणीय शरद पवार साहेब ने भी अतीत में ये बयान दिया है."

लेकिन मुख्यमंत्री पद और उसके कार्यकाल के बारे में अभी कोई चर्चा ही नहीं है और न ही गठबंधन के किसी साझेदार दल ने ही मुख्यमंत्री पद पर कोई दावा किया है तो ऐसी सूरत में संजय राउत ने इस वक्त इसके बारे में लेख क्यों लिखा?

इस सवाल पर संजय राउत ने जवाब दिया, "मैंने ये इसलिए लिखा ताकि किसी तरह का कोई भ्रम न रहे."

संजय राउत ने स्पष्ट किया, "हम मीडिया में बहुत बातें करते हैं. इसलिए लोगों के बीच बहुत भ्रम नहीं होना चाहिए. हमारे मन में कोई भ्रम नहीं है. मैं इस प्रक्रिया का शुरू से हिस्सा रहा हूं. पूरी बातचीत मेरे सामने हुई है. मैं इसका गवाह रहा हूं. इसलिए मैं ये निश्चित रूप से कह सकता हूं कि महराष्ट्र में मुख्यमंत्री का पद पूरे कार्यकाल के लिए शिवसेना के पास रहेगा. इस बारे में कोई बातचीत नहीं होने जा रही है."

'प्रतिबद्धता' की याद क्यों दिलाई गई?
भले ही संजय राउत ने ये बात 'कन्फ्यूजन से बचने' के लिए कही हो लेकिन इतना तय है कि इस बयान की टाइमिंग से कुछ लोगों की भौहें चढ़ गई हैं. ये सवाल पूछा जा रहा है कि क्या इस सरकार में ख़ासकर शिवसेना और एनसीपी के बीच मुख्यमंत्री पद को लेकर कुछ गड़बड़ है.

मुख्यमंत्री पद के मुद्दे पर ही शिवसेना और भारतीय जनता पार्टी का गठबंधन टूट गया था. शिवसेना ने ये आरोप लगाया था कि बीजेपी ने मुख्यमंत्री पद के बंटवारे का वायदा किया था लेकिन चुनाव जीतने के बाद इससे मुकर गई.

महा विकास अघाड़ी की सरकार के सत्ता में आने के बाद मुख्यमंत्री पद के कार्यकाल के सवाल को बाद के लिए छोड़ दिया गया था. गठबंधन के भीतर इस मुद्दे पर कोई चर्चा हुई है या नहीं, उद्धव ठाकरे, शरद पवार, सोनिया गांधी या कांग्रेस की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष ने इस बारे में सार्वजनिक तौर पर कुछ नहीं कहा है.

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि शिवसेना और एनसीपी ने आधे कार्यकाल के लिए मुख्यमंत्री पद को साझा करने का फैसला किया है, इस पर कभी-कभार सुगबुगाहटें ज़रूर सुनी गईं, लेकिन किसी ने सार्वजनिक रूप से इस पर कभी कुछ नहीं कहा.

महा विकास अघाड़ी की राजनीति
इसलिए अब जबकि शरद पवार ने सार्वजनिक रूप से शिवसेना को बालासाहेब की 'प्रतिबद्धता' की याद दिला दी है, ये महज़ संयोग नहीं लगता कि संजय राउत ने तुरंत ही शिवसेना को पांच साल के लिए मुख्यमंत्री पद देने की 'प्रतिबद्धता' पर बयान दे दिया.

महा विकास अघाड़ी की राजनीति पर क़रीबी नज़र रखने वरिष्ठ पत्रकार सुधीर सूर्यवंशी कहते हैं, "राजनीति में दिखावे की भी अपनी अहमियत होती है. इसके ज़रिए संदेश दिए जाते हैं. अगर हम हाल के दिनों में हुई मुलाक़ातों को देखेंगे, जैसे उद्धव ठाकरे का नरेंद्र मोदी से मिलना और शरद पवार की देवेंद्र फडणवीस से मुलाकात. हम उन संदेशों को पढ़ सकते हैं जो इन मुलाकातों के ज़रिए दिए जा रहे हैं."

"मुझे लगता है कि 'सामना' में संजय राउत के लेख और मुख्यमंत्री पद को लेकर दिए गए उनके बयान के पीछे भी यही मक़सद है. संजय राउत ने ये भी कहा है कि ठाकरे और मोदी की मुलाक़ात दोस्तों और दुश्मनों दोनों के लिए संदेश है."

सुधीर सूर्यवंशी का कहना है, "चुनावों से पहले जब शिवसेना और भारतीय जनता पार्टी की बातचीत चल रही थी तो उन्होंने ढाई साल के लिए मुख्यमंत्री का पद और सरकार में आधी हिस्सेदारी की मांग की थी. बाद में जब महा विकास अघाड़ी के लिए शुरुआती बातचीत चल रही थी तो एनसीपी ने ढाई साल के लिए मुख्यमंत्री पद की मांग की थी."

"लेकिन उस वक्त अजीत पवार के अचानक बाग़ी तेवर अपना लेने के कारण वो बातचीत बीच में ही अधूरी रह गई थी. इसीलिए अभी तक किसी ने भी इस बारे में स्पष्ट रूप से कुछ नहीं कहा है. मुझे लगता है कि शिवसेना इस भ्रम की स्थिति का फ़ायदा उठाना चाहती है. इसलिए अब वो कह रहे हैं कि मुख्यमंत्री का पद पूरे कार्यकाल के लिए उनके पास रहेगा. ये उनकी रणनीति है."

पिछले कुछ दिनों में महाराष्ट्र की राजनीति तूफान के पहले के सन्नाटे वाली स्थिति से गुज़र रही थी. पहली बार लोगों को हैरत तब हुई जब देवेंद्र फडणवीस शरद पवार से मिलने उनके घर गए.

फडणवीस ने ये साफ़ किया कि वे पवार की सेहत का हालचाल लेने के लिए उनके घर गए थे. इसके बाद देवेंद्र फडणवीस ने एकनाथ खडसे के घर जलगांव जाकर उनकी बहू रक्षा खडसे से मुलाकात की. इसके अगले दिन एकनाथ खडसे मुंबई में शरद पवार और सुप्रिया सुले से मिले.

इन मुलाकातों से चर्चा का माहौल गर्म ही हुआ था कि उद्धव ठाकरे, अजीत पवार और अशोक चह्वाण ने महाराष्ट्र से जुड़े मुद्दों पर चर्चा के लिए दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की. आधिकारिक मुलाकात के बाद मोदी और ठाकरे की निजी मुलाकात भी हुई.

उद्धव ठाकरे ने इस मुलाकात पर कहा कि ऐसी मुलाकातें होती रहती हैं और राजनीति के इतर भी संबंध होते हैं.

उस दिन तुरंत मुंबई में महाराष्ट्र बीजेपी की अहम बैठक बुलाई गई. बैठक के बाद शिवसेना-बीजेपी के बीच संभावित तालमेल को लेकर काफी चर्चा हुई. इसके फौरन बाद एनसीपी की वर्षगांठ समारोह में शरद पवार ने याद दिलाया कि बाला साहेब ठाकरे ने इंदिरा गांधी से वादा किया था और उसे निभाया. शरद पवार ने ये भी कहा कि सरकार पांच साल तक चलेगी.

लेकिन कई लोगों को इस पर हैरत हो रही थी कि आख़िर पवार इस 'प्रतिबद्धता' का ज़िक्र क्यों कर रहे थे. और अब संजय राउत ने ये कहकर हलचल मचा दी है कि शरद पवार 'शिवसेना के मुख्यमंत्री के पांच साल के वादे' के बारे में बात कर रहे होंगे.

क्या संजय राउत का बयान इन सभी हालिया घटनाओं की पृष्ठभूमि में किसी नए संभावित घटनाक्रम का कोई सुराग देता है?

'तीनों दलों के नेता जानते हैं'
ये बात कई बार कही गई है कि एनसीपी ने ढाई साल के लिए मुख्यमंत्री पद पर अपना दावा किया था. उसके पास शिवसेना से दो ही सीटें कम हैं.

ऐसी चर्चाएं भी चलीं कि एनसीपी की तरफ़ से मुख्यमंत्री पद के दावेदार अजीत पवार होंगे या सुप्रिया सुले को तरजीह दी जाएगी. लेकिन न तो एनसीपी ने और न ही महा विकास अघाड़ी ने आधिकारिक रूप से इस पर कुछ कहा है.

संजय राउत के बयान पर एनसीपी की तरफ़ से किसी ने भी प्रतिक्रिया नहीं दी है और न ही किसी ने इसके समर्थन में कुछ कहा है.

मुख्यमंत्री पद के लिए 'महा विकास अघाड़ी' की क्या प्रतिबद्धता थी?

एनसीपी के प्रवक्ता महेश कापसे ने बीबीसी मराठी को बताया, "तीनों पार्टियों के वरिष्ठ नेता मुख्यमंत्री पद को लेकर किए गए फ़ैसले के बारे में जानते हैं. इसलिए सही वक्त आने पर चीज़ें अपने आप हो जाएंगी. लेकिन एक चीज़ निश्चित है कि महा विकास अघाड़ी की सरकार को कोई ख़तरा नहीं है और ये सरकार अपना कार्यकाल पूरा करेगी."

इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया देने में कांग्रेस भी सावधानी बरत रही है. कांग्रेस के प्रवक्ता सचिन सावंत ने कहा, "मैं इस विवाद में नहीं जाना चाहता. लेकिन एक बात तय है कि राज्य सरकार को कोई ख़तरा नहीं है. तीन पार्टियों का गठबंधन बीजेपी के ख़िलाफ़ ताक़त के साथ खड़ा है."

वरिष्ठ पत्रकार सुधीर सूर्यवंशी कहते हैं, "हालांकि संजय राउत के एलान से माहौल गर्म ज़रूर हो गया है लेकिन फिलहाल इसका कोई असर नहीं पड़ने वाला है. लेकिन भविष्य में जो कुछ होने वाला है, हमें उस पर नज़र बनाए रखनी होगी."

"इस सरकार का बने रहना तीनों ही राजनीतिक दलों के ज़रूरी है. लेकिन एनसीपी के भीतर कुछ न कुछ चल रहा है. वर्षगांठ कार्यक्रम में एनसीपी नेता जयन पाटिल ने कहा कि जब अवसर था तो एनसीपी को मुख्यमंत्री पद पर दावा करना चाहिए था."

"जयन पाटिल ने ये बात उस समय क्यों उठाई? शरद पवार ने शिवसेना को बाला साहेब के वादे की याद क्यों दिलाई. जब ये सरकार अपना ढाई साल का कार्यकाल पूरा करेगी तो एनसीपी अपना अगला कदम उठाएगी."

"पार्टी का एक तबका सुप्रिया सुले को मुख्यमंत्री बनते हुए देखना चाहता है. जब तक किसी नेता को इतना बड़ा पद नहीं मिलता है, उसके नेतृत्व को लंबे समय तक लोग नहीं मानते हैं. ये बात भी ध्यान रखनी चाहिए कि कुछ समय पहले भाजपा के आशीष शेलार ने मराठा महिला मुख्यमंत्री बनने के बारे में एक बयान दिया था." (bbc.com)

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