संपादकीय

‘छत्तीसगढ़’ का संपादकीय : बिना देर किए हिंदुस्तान में पेगासस से की गई जासूसी की सर्वोच्च जांच शुरू हो
22-Jul-2021 5:16 PM
‘छत्तीसगढ़’ का संपादकीय : बिना देर किए हिंदुस्तान में पेगासस से की गई जासूसी की सर्वोच्च जांच शुरू हो

दुनिया के कई देशों में लोगों के मोबाइल फोन पर घुसपैठ करके जासूसी करने वाले इजराइली सॉफ्टवेयर पेगासस का मामला जल्दी ठंडा होते नहीं दिख रहा है क्योंकि कई विकसित और सभ्य लोकतंत्र इसके शिकार हुए हैं। फ्रांस और ब्रिटेन जैसे देशों ने इसकी औपचारिक जांच की घोषणा की है। हिंदुस्तान में लोकतंत्र तो पुराना है और हिंदुस्तान दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र होने का दंभ भी भरता है, लेकिन यहां पर सरकार अभी तक इस बात पर साफ-साफ जवाब देने से भी कतरा रही है कि उसने पेगासस सॉफ्टवेयर खरीदा था या नहीं, और इससे देश के लोगों पर हुई जासूसी की खबर उसे है या नहीं। यहां पर समझने की बात यह है कि हिंदुस्तान में डाटा प्राइवेसी कानून देश के हर नागरिक और संस्थान को उसके डेटा की सुरक्षा देने के लिए बनाया गया है और जब लोगों के टेलीफोन पर घुसपैठ करके इस तरह से डाटा चोरी किया गया, तो उसकी जांच और उस पर कार्रवाई भी केंद्र सरकार की जिम्मेदारी बनती है। लेकिन केंद्र सरकार ने अभी तक इस मामले की जांच के बारे में कुछ भी नहीं कहा है। सरकार का संसद के भीतर और संसद के बाहर बयान बहुत ही अमूर्त किस्म का, गोलमाल शब्दों का बयान है, जिसमें सरकार न तो इस सॉफ्टवेयर के इस्तेमाल की बात मंजूर कर रही है और ना इसे इस्तेमाल करने का खंडन कर रही है।

निजता पर आए ऐसे गंभीर खतरे के बीच सुप्रीम कोर्ट में एक पिटीशन लगाई गई है कि सुप्रीम कोर्ट इस जासूसी सॉफ्टवेयर की खरीदी पर रोक लगाए। जैसा कि यह कंपनी कहती है वह इसे केवल सरकारों को बेचती है, ऐसे में हिंदुस्तान में सिर्फ सरकार ही इसे कानूनी रूप से खरीद सकती है, तो सुप्रीम कोर्ट से इस पर रोक लगाने की मांग सीधे-सीधे सरकार पर यह रोक लगाने की मांग है कि वह इस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल न करे। अभी इस याचिका पर अदालत में कोई सुनवाई नहीं हुई है लेकिन देश के लोगों को इस जासूसी घुसपैठ के मामले से खत्म होने वाली निजता का मामला बहुत ही भयानक लग रहा है, और हो सकता है कि इसकी गंभीरता को देखकर सुप्रीम कोर्ट इस पर कोई आदेश भी करें। सुप्रीम कोर्ट शायद याचिका को इस नाते भी गंभीरता से देखेगा कि सुप्रीम कोर्ट के एक पिछले मुख्य न्यायाधीश के खिलाफ उनकी मातहत कर्मचारी द्वारा लगाए गए सेक्स शोषण के आरोपों की जांच के चलते समय बताया जा रहा है कि उस जज का फोन भी पेगासस के रास्ते हैक किया गया था, और शिकायतकर्ता महिला के परिवार के तो 8 मोबाइल फोन नंबर हैक किए गए थे, अब इनमें से कोई बात अभी तक साबित इसलिए नहीं हो रही है कि यदि सरकार ही हर बात की मनाही कर रही है।

फिलहाल हम यह देख रहे हैं कि दुनिया के कई देशों में इस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करके इतने तरह के काम किए गए कि उससे लोगों के बुनियादी अधिकार बुरी तरह कुचले गए। मेक्सिको में एक ऐसे पत्रकार की हत्या कर दी गई जिस पर पेगासस के माध्यम से नजर रखी जा रही थी, और यह सॉफ्टवेयर जिस फोन में घुसपैठ कर लेता है उसका लोकेशन भी बतला देता है, और उसके कैमरे और माइक्रोफोन से आसपास की बातों को सुन भी लेता है, आसपास की तस्वीरें भी देख लेता है। इसलिए एक बड़ा शक हो रहा है कि मेक्सिको में इस पत्रकार की हत्या के पीछे इस सॉफ्टवेयर के इस्तेमाल का हाथ रहा है। ऐसा ही दुनिया के कुछ दूसरे देशों में कुछ पत्रकारों की गिरफ्तारी के लिए तो किसी के बेडरूम में घुसकर अनैतिक संबंधों की तोहमत लगाने के लिए भी इसका इस्तेमाल किया गया है। पूरी दुनिया में पेगासस के ग्राहकों ने अपनी दिलचस्पी के जो टेलीफोन नंबर इस कंपनी में दर्ज करवाए थे, ऐसे करीब 50 हज़ार नंबर बताए जा रहे हैं, और हिंदुस्तान में ही ऐसे 300 से अधिक नंबर बताए जा रहे हैं, जिनकी निगरानी करना बताया जा रहा है।
 एक दिलचस्प बात यह है कि खुद इजराइल की सरकार ने अपने देश की इस कंपनी के इस सॉफ्टवेयर के रास्ते दुनिया भर में हुई जासूसी की जांच करवाने की घोषणा की है। लोगों को यह भी याद रखने की जरूरत है कि सऊदी अरब ने दुसरे देश में अपने दूतावास में बुलाकर एक वरिष्ठ पत्रकार की हत्या की थी, उस पत्रकार और उसके आसपास के लोगों के फोन भी इसी पेगासस सॉफ्टवेयर से निगरानी में रखे गए थे, उनमें घुसपैठ की गई थी।

अब दुनिया भर के साइबर विशेषज्ञ यह मान कर रहे हैं कि दुनिया की सरकारों के बीच इस बात को लेकर एक आम सहमति बनना चाहिए की जासूसी के नाम पर किस-किस तरह के अनैतिक काम न किए जाएं। इस तरह की सहमति कुछ दूसरे मामलों में सरकारों के बीच बनी हुई है जैसे मानव क्लोनिंग को लेकर दुनिया की सरकारों के बीच यह सहमति बनी हुई है कि इस पर काम नहीं होना चाहिए। यहां तक कि चीन जैसा दुस्साहसी प्रयोग करने वाला देश अभी कुछ समय पहले अपने देश के तीन वैज्ञानिकों को कैद सुना चुका है जिन्होंने एक बच्चे के जन्म के पहले उसके डीएनए में एडिटिंग करके उसे एचआईवी जैसी बीमारी के खिलाफ एक प्रतिरोधक शक्ति देने का काम किया था। चीन में ऐसी जेनेटिक एडिटिंग के बाद 3 बच्चे पैदा हुए और ऐसा प्रयोग करने वाले तीन वैज्ञानिकों को चीनी अदालत ने अभी कैद सुनाई है।

दुनिया में लोकतंत्र के हिमायती साइबर विशेषज्ञ यह मान कर रहे हैं कि पेगासस जैसे घुसपैठ करने वाले सॉफ्टवेयर बनाने और उसके इस्तेमाल पर रोक के लिए पूरी दुनिया में एक सहमति बननी चाहिए क्योंकि यह कंपनी चाहे जैसे दावे करती रहे कि यह सॉफ्टवेयर सिर्फ आतंक रोकने के लिए और ड्रग माफिया को रोकने के लिए इस्तेमाल किया जाता है, यह जाहिर है कि इसका इस्तेमाल सरकारों ने अपने विरोधियों के खिलाफ किया है, और ऐसी ताकत रखने वाला घुसपैठिया सॉफ्टवेयर दुनिया के लोकतंत्र को खत्म करके रख सकता है। इसलिए हिंदुस्तान की सरकार को तो इस बारे में बिना देर किए एक जांच की घोषणा करनी चाहिए जिससे वह अपनी खुद की साख भी बचा सकती है, और दुनिया के सभी जिम्मेदार लोकतंत्रों को एक पहल करनी चाहिए कि इस किस्म के घुसपैठिए सॉफ्टवेयर पर रोक लगाई जाए जो कि लोगों की आजादी, लोगों की निजता को इस हद तक खत्म कर सकते हैं। सरकार नहीं करेगी तो सुप्रीम कोर्ट अपनी निगरानी में जांच का हुक्म दे सकता है जिसमें सरकार को हलफनामे पर सब कुछ बताना होगा। (क्लिक करें : सुनील कुमार के ब्लॉग का हॉट लिंक)

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news