संपादकीय

‘छत्तीसगढ़’ का संपादकीय : ऐसे बददिमाग और हिंसक अफसर की जगह सरकार नहीं, जेल में होनी चाहिए
30-Aug-2021 5:19 PM
‘छत्तीसगढ़’ का संपादकीय :  ऐसे बददिमाग और हिंसक अफसर की जगह सरकार नहीं, जेल में होनी चाहिए

हरियाणा के एक शांतिपूर्ण किसान प्रदर्शन पर पुलिस की लाठियों से एक बुजुर्ग किसान का सिर फोड़ दिया गया और लहूलुहान कपड़ों में उसकी तस्वीरें देश के लोगों को दहला रही हैं। इस बुजुर्ग ने अपने कुर्ते पर सामने भगत सिंह का एक बिल्ला लगा रखा था, और लिखने वाले उसे भी देखकर उसका भी जिक्र कर रहे हैं। पुलिस के तो बहुत से ऐसे मामलों में लोग जख्मी होते हैं, उनकी तस्वीरें भी आती हैं, लेकिन यह मामला थोड़ा सा अलग इसलिए है कि हरियाणा के उस इलाके में एक नौजवान आईएएस अफसर एसडीएम था और उसने पुलिस को प्रदर्शनकारियों का सिर तोडऩे का निर्देश दिया था। इसके बाद भी अगर वीडियो कैमरे से इस अफसर की हिंसक बकवास रिकॉर्ड नहीं हुई होती तो भी यह मुद्दा नहीं बनता, क्योंकि पुलिस लाठियों से तो जख्मी होना और कभी-कभी मरना भी होते ही रहता है। लेकिन एक खासे पढ़े-लिखे और आईएएस अधिकारी की ऐसी जुबान को लेकर लोग बहुत विचलित हैं और उसकी बर्खास्तगी की मांग कर रहे हैं। इस सिलसिले में सबसे गंभीर बात तृणमूल कांग्रेस की लोकसभा सांसद महुआ मोइत्रा ने लिखी है उन्होंने कहां है कि जूते चाटने वाले ऐसे अफसर का नाम लेकर उन्हें धिक्कारना चाहिए क्योंकि ये लोग अगर ड्यूटी की बात कर रहे हैं, तो यह याद रखने की जरूरत है कि हिटलर के यहूदी जनसंहार शिविर पर जो नाज़ी सुरक्षा गार्ड तैनात थे, वे भी यह दावा करते थे कि वे अपनी ड्यूटी कर रहे हैं। देश में बहुत से अफसरों ने, राजनीतिक दलों के नेताओं ने, और खुद हरियाणा के डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला ने इस अफसर की ऐसी हिंसक बात की निंदा की है, और चौटाला ने इसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की घोषणा की है। अफसर ने वीडियो रिकॉर्डिंग में यह साफ-साफ कहा है कि अगर प्रदर्शनकारी आएं तो उनका सिर फूटा हुआ होना चाहिए, पुलिस को इसकी छूट है।

देश में सरकारी अफसरों की सोच का जो हाल है उसे लेकर हम बार-बार लिखते हैं लेकिन जिस दिन लिखते हैं उसके अगले ही दिन फिर ऐसी कोई बात सामने आती है, और दिल दहला जाती है। अदालतों तक ऐसे मामले जब पहुंचते हैं तो यह समझ पड़ता है कि इस देश की अदालत, इस देश की सरकार से ही लड़ रही है, या प्रदेश के हाई कोर्ट उस प्रदेश की सरकार से ही लड़ते रह जाते हैं। सरकारें कानून तोड़ते चलती है कानून कुचलते चलती हैं, तरह-तरह की हिंसा और बदमाशी करते चलती हैं, और अदालतों का शायद आधा वक्त सरकार की ज्यादतियों से जूझने में ही निकल जाता है। हर दिन हर एक राज्य के हाई कोर्ट से वहां की सरकारों के खिलाफ ढेर सारे नोटिस निकलते हैं, ढेर सारे आदेश निकलते हैं, और हर कुछ दिनों में कोई न कोई कड़ा फैसला सरकार के खिलाफ आता है। कुछ ऐसा ही सुप्रीम कोर्ट में अगर जज ईमानदार हैं, जैसा कि आज दिखाई पड़ता है, तो आए दिन सरकार कटघरे में खड़ी दिखती है, सरकार से जवाब देते नहीं बनता है। यह पूरा सिलसिला सरकार में बैठे हुए अफसरों और मंत्रियों की मनमानी की वजह से है जिनमें से भी जुल्मों के ऐसे सैकड़ों मामलों में से कोई एक-दो ही अदालत तक पहुंच पाते हैं, और निजी कार्रवाई तो शायद ही किसी मंत्री या अफसर पर होती हो।

हमें ऐसा लगता है कि आज देश में किसान आंदोलन जिस तरह खबरों में हैं और जिस तरह एक अफसर की वीडियो रिकॉर्डिंग सामने आई है तो यह मामला पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट के लिए एक माकूल मामला है जिसमें हरियाणा सरकार को कटघरे में खड़ा किया जाए कि इस अफसर को बर्खास्त क्यों न किया जाए? जिस अफसर की सोच इस तरह हिंसक है कि लोगों का सिर तोड़ दिया जाए और जिसके उकसावे पर पुलिस ने सचमुच ही एक बूढ़े किसान का सिर तोड़ दिया, तो ऐसे अफसर को बर्खास्त से कम कुछ नहीं करना चाहिए। हिंदुस्तान में बेरोजगारी बहुत है पढ़े-लिखे लोग भी बहुत हैं, और ऐसे अफसरों की बर्खास्तगी एक बार शुरू होगी तो उनकी जगह तो दूसरे लोग मिल जाएंगे, लेकिन तमाम लोगों को हिंसा से दूर रहने की नसीहत भी मिल जाएगी। बड़ी अदालतों को अपने इलाकों में होने वाली ऐसी हिंसा को अनदेखा नहीं करना चाहिए। किसी राज्य के हाईकोर्ट की यह संवैधानिक जिम्मेदारी होती है कि उसके सामने अगर ऐसा कोई मामला कोई लेकर ना भी आए, तो भी उसे खुद होकर जनहित में उसकी जानकारी में आये ऐसे मामले दर्ज करना चाहिए और सरकार को नोटिस देना चाहिए।

सरकार में बैठे हुए लोग अपनी राजनीतिक पसंद और नापसंद के मुताबिक प्रशासन और पुलिस का लगातार बेजा इस्तेमाल करते हैं, और उनकी चापलूसी करने वाले अफसर उन्हें खुश करने के लिए इस तरह की हिंसा करते हैं, कहीं बेकसूरों को फंसाते हैं, तो कहीं मुजरिमों को छोड़ते हैं। कल ही हमने इसी पेज पर इस बात को लिखा था कि सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस और सत्ता के बीच के गठजोड़ को लेकर किस तरह की फिक्र जाहिर की है। जिस वक्त हम इस बात को लिख रहे थे, उसी वक्त यह बुजुर्ग किसान अपने जख्मों को लेकर लहूलुहान बैठा हुआ था। यह खून बेकार नहीं जाना चाहिए और जिस बुजुर्ग किसान का सिर फोडक़र उसका खून बहाया गया है, और जो बहते हुए भगत सिंह की तस्वीर वाले बिल्ले पर भी गया है, तो इस मामले को एक नमूना मानकर, एक मिसाल मानकर, अदालत से इस अफसर की बर्खास्तगी करवानी चाहिए ताकि बाकी अफसरों को भी एक सबक मिल सके। आमतौर पर अखिल भारतीय सेवाओं से आए हुए अफसरों को कोई छूने की भी जुर्रत नहीं करते हैं लेकिन यह सिलसिला खत्म होना चाहिए। इसी मामले से शुरुआत हो जाए। इसे बर्खास्त करके जेल भेजना चाहिए।
(क्लिक करें : सुनील कुमार के ब्लॉग का हॉट लिंक)

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news