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अंधविश्वासों के साये में बच्चियों की नग्नता
09-Sep-2021 12:20 PM
 अंधविश्वासों के साये में बच्चियों की नग्नता

-सुसंस्कृति परिहार

पिछले दिनों दमोह से तकरीबन 65 किमी दूर जबेरा के ग्राम बनिया में कई सालों बाद एक भूली-बिसरी रस्म को दोहराया गया जिसने यह साबित कर दिया कि जिले में अभी भी अंधविश्वास और प्राचीन रस्मों में भरोसा कायम है। ज्ञातव्य हो दमोह जिला इस साल अब तक हुई कम वर्षा की वजह से सूखे की चपेट में है। खेतों में खड़ी धान और सोयाबीन की लहलहाती फसलें सूखने लगीं हैं। जिले का जबेरा क्षेत्र सबसे ज्यादा प्रभावित है।

कहते हैं जब आसमान बारिश के बादलों से ढंका रहता है किन्तु पानी नहीं गिरता। इस अजीबोगरीब हालात में लोग  कहते हैं कि किसी ने नमक गाड़कर टोटका किया है ताकि पानी न गिरे। यह इल्जाम व्यापारियों के नाम जाता है क्योंकि उसकी तमन्ना होती है पानी न बरसेगा तो वह अपने यहां रखा अनाज ऊंचे दाम में बेच देगा। आदिवासी अंचलों में ओला, पानी बांधने वाले भी मिलते हैं जो आकर मंत्र-तंत्र से जमीन बांध देते हैं। वे कहते हैं बांधी हुई जमीन पर ओला नहीं गिरता। वे फसल कटने पर दक्षिणा अनाज के रूप में लेते हैं। ये प्रथाएं लोगों के विश्वास के कारण बराबर चल रही है।

मध्यप्रदेश के कई गांवों में ऐसा माना जाता है कि शिवलिंग को पूरी तरह से पानी में डुबोकर रखे जाने से अच्छी बारिश होती है। मालवा से छूते निमाड़ क्षेत्रों में अच्छी बारिश के लिए जीवित व्यक्ति की शवयात्रा निकाली जाती है। बारिश को बुलाने के लिए 'बेड़' नाम का एक टोटका  भी आजमाया जाता है। विदिशा के एक पठारी कस्बे की मान्यता के मुताबिक गाजे-बाजे के साथ ग्रामीण महिलाएं किसी खेत पर अचानक हमला बोल देती हैं। वो खेत पर काम कर रहे किसान को बंधक बना लेती हैं। किसान को गांव में लाकर दुल्हन की तरह सजाया जाता है और किसान की पैसे देकर विदाई की जाती है। मान्यता है कि ऐसा करने से इंद्र देव प्रसन्न होते हंै। खंडवा जिले के बीड़ में गांव के लोग मंदिर के कैंपस में खाली मटके जमीन में गाड़ देते हैं और अच्छे मानसून की कामना करते हैं। उज्जैन की बडऩगर तहसील में पंचदशनाम जूना अखाड़ा के श्री शांतिपुरी महाराज ने साल 2002 में बारिश के लिए जमीन के अंदर 75 घंटे की समाधि ली। जब समाधि पूरा होने के बाद उन्हें बाहर निकाला गया, तो वे मृत पाए गए। इंदौर में अच्छी बारिश के लिए विचित्र बारात निकाली जाती है। किसान और व्यापारी मिलकर ये बारात निकालते हैं। इस बारात में दूल्हे को घोड़े के बजाय गधे पर बिठाया जाता है। बारात में शामिल लोग मस्त होकर डांस भी करते चलते हैं। माना जाता है कि इस टोटके से बारिश की अच्छी संभावना होती है।

वहीं उत्तर प्रदेश, बिहार, ओडिशा और उत्तरपूर्वी राज्यों में अच्छी बारिश के लिए पूरे हिंदू रीति-रिवाजों से मेंढक-मेंढकी की शादी करवाई जाती है। इतना ही नहीं ओडिशा में तो मेंढकों का नाच तक करवाया जाता है।

उत्तरप्रदेश और मध्यप्रदेश के कई गांवों में मान्यता है कि अगर महिलाएं रात के समय नग्न होकर खेतों में हल चलाएं तो बारिश होती है। इस टोटके में महिलाएं समूह बनाकर खेत को घेर लेती हैं जिससे कोई यह सब देख नहीं पाए। उत्तरप्रदेश के कई गांवों में औरतें रात में बगैर कपड़े पहने खेतों में हल चलाती रही हैं। माना जाता है कि ऐसा करने से देवता ख़ुश होकर धरती की प्यास बुझा देंगे। 

पूर्वी ओडिशा में किसानों ने मेंढकों के नाच का आयोजन किया जिसे स्थानीय भाषा में 'बेंगी नानी नाचा' के नाम से जाना जाता है। गाजे-बाजे के बीच लोग एक मेंढक को पकड़कर आधे भरे मटके में रख देते है जिसे दो व्यक्ति उठाकर एक जुलूस के आगे-आगे चलते हैं। कुछ इलाकों में तो दो मेंढकों की शादी कर उन्हें एक ही मटके से निकालकर स्थानीय तालाब में छोड़ दिया जाता है। वहीं कर्नाटक, पंजाब और हरियाणा जैसे राज्यों से वर्षा के लिए यज्ञ कराए जाने की खबर आती रहती हैं।

लेकिन आज जिस घटना के कारण दमोह की चर्चा का कोहराम मचा है वह भी एक प्राचीन आस्था से जुड़ी हुई है। बहुत पहले तकरीबन दो दशक पूर्व एक मान्यता यहां भी थी कि यदि पानी नहीं बरसता है तो गांव की दो महिलाएं नग्न होकर रात्रि में हलबखर चलाएंगी तो पानी गिरेगा। बताते हैं चोरी-छिपे ये परम्परा दूरस्थ अंचलों में अब भी विद्यमान है। इसी से मिलती-जुलती घटना जबेरा के बनिया ग्राम में हुई जब कुछ आदिवासी महिलाओं ने अपने घरों की चार बच्चियों को नंगा करके उनके कांधों पर मूसल रखा, उस पर मेंढकी को लटकाया और खेरमाई  मंदिर तक भजन-कीर्तन करते उन्हें ले गए। जहां माई पर गोबर लेपन हुआ। मान्यता है ऐसा करने पर माता अपने गोबर को छुटाने भरपूर वर्षा करेंगी। 

चूंकि यहां मामला चार बच्चियों की नग्नता से जुड़ा हुआ था तो जब यह बात बाल अधिकार संरक्षण आयोग के संज्ञान में आई। तो आयोग ने बच्चियों को इस हालत में घुमाए जाने पर आपत्ति दर्ज की और कलेक्टर को नोटिस जारी कर दिया। इधर कलेक्टर ने आनन-फानन में अपने अधीनस्थ अधिकारियों को गांव भेजा। वहां अधिकारियों की गाडिय़ां और भीड़ देखकर गांव के लोग पहले तो घरों में दुबक गए। जब पंचायत सचिव जगदीश्वर राय ने आगे बढ़कर संबंधित महिलाओं से पूछताछ करवाई तो उन्होंने सहजता से बताया कि वे ये नहीं जानती थीं कि ये अपराध होता है। उन्होंने पानी बरसाने के लिए टोटका किया था। उन्होंने महिला बाल विकास अधिकारियों, टीआई, पुलिस वगैरह से हाथ जोड़कर क्षमा मांगी और भविष्य में इस तरह किसी भी कुरीति नहीं करने का आश्वासन भी दिया। उपस्थित अधिकारियों ने पंचनामा बनाकर कलेक्टर को भेज दिया है।
 

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