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रायपुर, बिलासपुर स्मार्ट सिटी में हजारों करोड़ के काम, पर सब अफसरों के भरोसे क्यों?, केन्द्र को जवाब देने का आखिरी मौका
15-Sep-2021 9:24 AM
रायपुर, बिलासपुर स्मार्ट सिटी में हजारों करोड़ के काम, पर सब अफसरों के भरोसे क्यों?, केन्द्र को जवाब देने का आखिरी मौका

जनप्रतिनिधियों को अलग रखना संविधान के खिलाफ बताकर दाखिल की गई है पीआईएल

बिलासपुर, 15 सितंबर। रायपुर और बिलासपुर स्मार्ट सिटी लिमिटेड कम्पनियों की ओर से नगर निगम क्षेत्रों में कराये जा रहे विभिन्न निर्माण कार्यों की सहमति और अनुमति नगर निगम की सामान्य सभा और मेयर इन कौंसिल आदि से नहीं लिये जाने के विरुद्ध दायर जनहित याचिका पर 6 सप्ताह बाद अंतिम सुनवाई होगी।

इन कंपनियों के क्रिया कलाप को याचिका में संविधान के 74वें संशोधन के साथ-साथ छत्तीसगढ़ नगर पालिक निगम अधिनियम 1956 के विरोध में बताया गया है। याचिका पर सुनवाई मंगलवार को जस्टिस मनीन्द्र श्रीवास्तव और विमला सिंह कपूर की डबलबेंच में हुई। बेंच ने इन कंपनियों को अपने भावी प्रोजेक्ट की जानकारी हाईकोर्ट में देने का निर्देश दिया है। वहीं केन्द्र सरकार को चार सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने का अंतिम अवसर दिया गया है।

राज्य सरकार और दोनों कंपनियों के जवाब आ चुके हैं। अपनी बहस में याचिकाकर्ता विनय दुबे ओर से अधिवक्ता सुदीप श्रीवास्तव ने डबलबेंच को बताया कि वर्तमान स्वरूप में ये दोनों कंपनियां निर्वाचित नगर निगम, मेयर, सामान्य सभा आदि सभी के अधिकारों को हस्तगत कर पूरी स्वतंत्रता से कार्य कर रही हैं और उनकी प्रोजेक्ट से संबंधित कोई भी फाइल निर्वाचित जनप्रतिनिधियों के समक्ष नहीं प्रस्तुत होती। यह पूरी तरह संविधान की मूल धारणा जिसमें की त्रिस्तरीय प्रजातांत्रिक व्यवस्था शामिल है, का खुला उल्लंघन है। नगर निगम और शहरी विकास संविधान में राज्य के विषय हैं इसलिए उनका कोई भी गाइडलाइन राज्य पर बंधनकारी नहीं है।

दोनों कंपनियों की ओर से उपस्थित उप-महाधिवक्ता मतीन सिद्दिकी ने याचिका को न चलने योग्य बताया और कहा कि कुछ भी अवैधानिक नहीं किया जा रहा है। राज्य सरकार की ओर से उपस्थित अधिवक्ता विक्रम शर्मा ने प्रकरण में अंतरिम राहत पर महाधिवक्ता के द्वारा बहस करने के लिये समय की मांग की। सुनवाई के बाद खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा कि प्रकरण में एक साथ अंतिम सुनवाई करना अधिक उपयुक्त है। अतः केंद्र सरकार को जवाब दाखिल करने के लिए अंतिम बार चार सप्ताह का समय दिया जाता है। छः सप्ताह बाद प्रकरण की अंतिम सुनवाई किये जाने का निर्देश दिया गया है। साथ ही दोनों कंपनियों को अपने सभी भावी प्रोजेक्ट की जानकारी हाईकोर्ट में प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है।

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