विचार / लेख
-प्राण चड्ढा
अंग्रेज जंगल में भी जब रेस्ट हाउस बनवाते तो सड़क से दूर हट कर ताकि कोई दखलंदाजी न हो शोर गुल ना है। छत्तीसगढ़ के अचानकमार टाइगर रिजर्व में पहले बिलासपुर-अमरकंटक रोड पर अचानकमार, छपरवा और लमनी में एक ही वास्तुशिल्प के तीन रेस्ट हाउस हैं। जहां सैलानी गतिविधियां अब प्रतिबंधित हैं। यहां रस्सी से खींचने वाला पंखा और शीतकाल में आग सेंकने का बंदोबस्त भीतर है।
''कोई मानेगा ''अचानकमार टायगर रिजर्व'[छत्तीसगढ़] का ये डाक बंगला महज 2573 रूपये में कभी बना होगा ..?
पर हकीकत यही है.
घने जंगल में समुद्र सतह से 1468 फीट की ऊंचाई पर ये रेस्ट हाउस सन 1911 में बना था अब ये कोर एरिया में है ,, यहाँ सैलानी अब नहीं ठहरते, इसे म्यूजियम का रूप दे दिया गया है, ये कैंप कार्यालय का हिस्सा है !
सैलानी अब रिजर्व के बाहरी क्षेत्र शिवतराई में नए बने आवासीय स्थल में रुकते हैं!