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अफ़ग़ान तालिबान: 'आत्मघाती हमलावर हमारे हीरो, दुनिया चाहे कुछ भी कहे हमें, परवाह नहीं'
23-Oct-2021 2:42 PM
अफ़ग़ान तालिबान: 'आत्मघाती हमलावर हमारे हीरो, दुनिया चाहे कुछ भी कहे हमें, परवाह नहीं'

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-सारा अतीक़

तालिबान ने 2011 में काबुल के जिस पाँच सितारा इंटरकॉन्टिनेंटल होटल में आत्मघाती हमला किया था, नौ साल बाद तालिबान के आत्मघाती हमलावरों के परिवारों को उसी पाँच सितारा इंटरकॉन्टिनेंटल होटल में आमंत्रित किया गया और उन्हें पैसे और तोहफ़े बांटे गए.

हक़्क़ानी नेटवर्क के प्रमुख और अफ़ग़ानिस्तान के गृहमंत्री सिराजुद्दीन हक़्क़ानी ने इस समारोह में भाग लिया और उन आत्मघाती हमलावरों की प्रशंसा करते हुए कहा, "वे देश के और हमारे हीरो हैं."

तालिबान ने आत्मघाती हमलावरों के परिवारों को 10 हज़ार अफ़ग़ानी रुपयों के साथ-साथ एक प्लॉट देने का भी वादा किया था.

हालांकि अफ़ग़ान तालिबान युद्ध रणनीति में आत्मघाती हमलावरों का इस्तेमाल करने वाला पहला और एकमात्र समूह नहीं है, जापान सहित दुनिया भर की विभिन्न सेनाओं ने, सैन्य और चरमपंथी समूहों ने दुश्मन ताक़तों के ख़िलाफ़ आत्मघाती हमलों का सहारा लिया है. लेकिन तालिबान का अपने आत्मघाती हमलावरों को खुले तौर पर प्रोत्साहित करने से, जहां बहुत से लोग हैरान हो गए, वहीं बहुत से लोगों ने इस पर नाराज़गी भी ज़ाहिर की.

इस नाराज़गी का मुख्य कारण यह था कि इन आत्मघाती हमलों में मारे गए लोगों में ज़्यादातर आम अफ़ग़ान नागरिक थे, और यह कोई संयोग नहीं है कि जिस होटल में आत्मघाती हमलावरों को 'राष्ट्र का हीरो' कहा गया है, उस पर तालिबान ने एक बार नहीं बल्कि दो बार हमला किया था जिसमे दर्ज़नों अफ़ग़ान नागरिकों की मौत हुई थी.

जब तालिबान की तरफ़ से इस समारोह की तस्वीर सोशल मीडिया पर जारी की गई, तो बहुत से अफ़ग़ान नागरिकों ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि तालिबान द्वारा आत्मघाती हमलावरों की प्रशंसा इसलिए भी दुःखद है, क्योंकि इन हमलों में विदेशी सैनिकों के अलावा बहुत से आम अफ़ग़ान नागरिक भी मारे गए थे.

हालांकि, यह पहली बार नहीं है जब तालिबान ने सत्ता में आने के बाद अपने आत्मघाती हमलावरों की इस तरह से तारीफ़ की है. काबुल पर क़ब्ज़ा करने के बाद, तालिबान नेता अनस हक़्क़ानी ने एक आत्मघाती हमलावर की क़ब्र पर 'फ़ातिहा' पढ़ी (श्रद्धांजलि) और उसकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर भी पोस्ट की थी.

इसके अलावा तालिबान ने हमलावरों की प्रशंसा में एक वीडियो भी जारी किया है, जिसमें तालिबान के लिए आत्मघाती हमला करने वालों की तस्वीरें और नाम थे. इसके बाद, तालिबान से जुड़े सोशल मीडिया अकाउंट्स से एक ऐसा वीडियो भी जारी किया गया, जिसमें उन हमलों में इस्तेमाल होने वाली आत्मघाती जैकेट्स को दिखाया गया है.

दुनिया चाहे कुछ भी कहे 'आत्मघाती हमलावर हमारे हीरो हैं'
एक तरफ़, जहां अफ़ग़ान तालिबान की कोशिश है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय की नज़र में उनकी चरमपंथी समूह वाली छवि बदले और उन्हें एक ज़िम्मेदार राज्य के रूप में स्वीकार किया जाये, वहीं दूसरी तरफ़ चरमपंथ की निशानी समझे जाने वाले आत्मघाती हमलों की प्रशंसा क्या उनकी परेशानी की वजह बन सकती है?

तालिबान के गृह मंत्रालय के प्रवक्ता क़ारी सईद ख़ोस्ती ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय सेना के ख़िलाफ़ युद्ध में मारे गए लोगों की वजह से ही उन्हें यह सफलता मिली है.

"ये आत्मघाती हमलावर हमारे हीरो हैं, अपने हीरो की प्रशंसा करना हमारा कर्तव्य है और यह हमारा आंतरिक मामला है, इसलिए किसी को भी हमारे आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं है."

क़ारी सईद ने आत्मघाती हमलावरों की प्रशंसा की आलोचना को ख़ारिज करते हुए दावा किया कि इन हमलों में अफ़ग़ान नागरिक नहीं मारे गए हैं.

हालांकि, सिर्फ़ 2011 में काबुल के इंटरकॉन्टिनेंटल होटल में होने वाले आत्मघाती हमले में 11 अफ़ग़ान नागरिक मारे गए थे, और 20 साल तक चली इस जंग में ऐसे सैकड़ों हमले हुए, जिनमें लाखों अफ़ग़ान नागरिक मारे गए.

तालिबान सरकार ने ट्वीट किया कि अमेरिका और नेटो बलों के ख़िलाफ़ आत्मघाती हमलावर इस्लाम और हमारे देश के हीरो हैं. हालांकि, इस फ़ोटो में गृह मंत्री सिराजुद्दीन हक़्क़ानी का चेहरा छुपाया गया है.

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तालिबान सरकार ने ट्वीट किया कि अमेरिका और नेटो बलों के ख़िलाफ़ आत्मघाती हमलावर इस्लाम और हमारे देश के हीरो हैं. हालांकि, इस फ़ोटो में गृह मंत्री सिराजुद्दीन हक़्क़ानी का चेहरा छुपाया गया है

सार्वजनिक तौर पर आत्मघाती हमलावरों की प्रशंसा करने का क्या उद्देश्य है?
काउंटर टेररिज़म विशेषज्ञ अब्दुल सईद का कहना है, "तालिबान के यहां आत्मघाती हमलावरों का बहुत महत्वपूर्ण स्थान है. जैसे कि सिराजुद्दीन हक़्क़ानी ने इस समारोह को संबोधित करते हुए भी कहा, कि आत्मघाती हमलावर अमेरिका और उसके सहयोगियों के ख़िलाफ़ तालिबान की कामयाबी के असली हथियार हैं.

इसलिए, यह तालिबान की ओर से उनके लड़ाकों के लिए संदेश था, कि भले ही वो ज़िंदा न रहें, लेकिन फिर भी तालिबान नेतृत्व के लिए उनकी बहुत अहमीयत और सम्मान हैं."

हक़्क़ानी ने यह भी कहा कि मारे गए सभी आत्मघाती हमलावरों के परिवारों को तालिबान की तरफ़ से विशेष कार्ड दिए जाएंगे, ताकि देश में उनके साथ विशेष सम्मानजनक बर्ताव किया जाए.

अब्दुल सईद का कहना है कि तालिबान के इस क़दम ने उनकी सरकार को मान्यता दिलाने की कोशिशों को नुक़सान पहुँचाया है.

अब्दुल सईद कहते हैं, "अंदरूनी तौर पर तो तालिबान समर्थक और सदस्य इस समारोह के आयोजन के लिए, सिराजुद्दीन हक़्क़ानी की काफ़ी सराहना कर रहे हैं, लेकिन दूसरी तरफ़ बाहरी दुनिया में इससे तालिबान की बहुत आलोचना हुई है, जिससे उनकी राजनीतिक परेशानी बढ़ने की आशंका है."

उनका कहना है कि तालिबान दुनिया को यह समझाने की कोशिश कर रहे हैं कि उनके साथ भाईचारे वाला बर्ताव किया जाये, जिसके लिए दुनिया तालिबान से अपने हिंसक अतीत से बाहर आने की उम्मीद करती है. लेकिन तालिबान के लिए यह मुमकिन नहीं है, कि वो उन लोगों से रिश्ता ख़त्म कर ले, जिन्होंने उनके लिए मानव बम की भूमिका निभाई है, और तालिबान अपनी सफलता का श्रेय उन्हें देते हैं.

तालिबान की इस हरकत से पश्चिमी मीडिया में ये सवाल उठना शुरू हो गए हैं कि क्या तालिबान को अपने इस हिंसक अतीत पर गर्व करते हुए एक ज़िम्मेदार राज्य के रूप में स्वीकार किया जा सकता है?

तालिबान ने 2011 में काबुल के जिस पाँच सितारा इंटरकॉन्टिनेंटल होटल में आत्मघाती हमला किया था, नौ साल बाद तालिबान के आत्मघाती हमलावरों के परिवारों को उसी पाँच सितारा इंटरकांटिनेंटल होटल में आमंत्रित किया गया.

तालिबान का रवैया शासकों के जैसा नहीं बल्कि चरमपंथियों जैसा है
अफ़ग़ानिस्तान के रहने वाले राजनीतिक विश्लेषक अज़ीज़ अमीन का कहना है कि तालिबान में भी तीन तरह के समूह हैं.

उनके अनुसार एक समूह उदारवादी है, जो दोहा में राजनीतिक परामर्श और कूटनीति में लगा हुआ है, दूसरा समूह चरमपंथियों का है, जिनमें हक़्क़ानी नेटवर्क भी शामिल है, जो मानते हैं कि उनकी सफलता उनकी युद्ध रणनीति के कारण है, इसलिए तालिबान को अपने कट्टर रुख़ से नहीं हटना चाहिए.

तीसरा समूह वह है, जो बहुत ही ध्यान से इन दोनों की ताक़त की समीक्षा कर रहा है ताकि सही समय आने पर फ़ैसला करे कि उन्हें किसका साथ देना है.

अज़ीज़ अमीन के अनुसार, "जहां एक समूह कूटनीति के ज़रिए अफ़ग़ान तालिबान को दुनिया के सामने एक उदार और शांतिप्रिय समूह के रूप में पेश करने की कोशिश कर रहा है, वहीं दूसरा समूह अपनी विचारधारा के अनुरूप सख़्त क़दम उठा रहा है. जिससे यह संकेत मिलता है कि तालिबान में एक समान नीति पर सहमति नहीं है."

अज़ीज़ अमीन का कहना है कि तालिबान का यह क़दम सिर्फ़ अपने लड़ाकों को ख़ुश करने की कोशिश है, भले ही इससे उनकी आंतरिक और बाहरी विश्वसनीयता प्रभावित हो जाये.

अमीन कहते हैं, "तालिबान का रवैया शासकों जैसा नहीं है, बल्कि चरमपंथियों जैसा है, इसलिए उन्हें इस बात से फ़र्क़ नहीं पड़ता है कि आम जनता को इससे कितना दुःख पहुँचता है, क्योंकि इन हमलों में मारे गए लोगों में ज़्यादातर अफ़ग़ान नागरिक थे."

आत्मघाती हमलावरों की प्रशंसा से क्षेत्र में उग्रवाद को बढ़ावा मिलेगा
इस समारोह की मेज़बानी हक़्क़ानी नेटवर्क के प्रमुख सिराजुद्दीन हक़्क़ानी ने की. ध्यान रहे कि हक़्क़ानी नेटवर्क को अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र ने वैश्विक आतंकवादी संगठन घोषित किया हुआ है और अफ़ग़ानिस्तान में 20 साल तक चले युद्ध में नेटो और अमेरिकी सेना पर सबसे विनाशकारी हमलों के पीछे हक़्क़ानी नेटवर्क का हाथ रहा है.

इसके अलावा हक़्क़ानी नेटवर्क दुनिया भर में लड़ाकों और आत्मघाती हमलावरों को प्रशिक्षण देने और इस्तेमाल करने के लिए भी जाना जाता है, यहां तक कि ओसामा बिन लादेन और अब्दुल्लाह यूसुफ़ अज़्ज़ाम जैसे लड़ाकों को हक़्क़ानी नेटवर्क ने भर्ती किया और प्रशिक्षण दिया है.

काउंटर टेरररिज़म विशेषज्ञ अब्दुल सईद का कहना है कि तालिबान की ओर से आत्मघाती हमलावरों की खुले तौर पर प्रशंसा करने से क्षेत्र में चरमपंथ को बढ़ावा मिलेगा. अब्दुल सईद का मानना है कि इस तरह के उपाय आतंकवादी समूहों के लिए अपनी जनशक्ति बढ़ाने और अपने सदस्यों का विश्वास जीतने के लिए बहुत उपयोगी हैं.

अब्दुल सईद कहते हैं, "जिस सम्मान के साथ इन मारे गए आत्मघाती हमलावरों को जिहादियों के गौरवशाली हीरो के रूप में पेश किया गया है, यह निश्चित रूप से अन्य युवाओं के लिए भी अपने समाज या दोस्तों के सर्कल में इस तरह के सम्मान प्राप्त करने के लिए आकर्षित करता है. ख़ास तौर से वो युवा जो ज़िंदगी में सभी प्रकार की निराशाओं और नाउम्मीदियों का सामना कर रहे हैं. जो आसानी से ज़्यादातर ऐसे समूहों का हिस्सा बन जाते हैं."

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