संपादकीय

‘छत्तीसगढ़’ का संपादकीय : कहीं बच्चे पाने के लिए अन्धविश्वास, तो कहीं बच्चे मार डालने के पीछे...
14-Nov-2021 2:55 PM
‘छत्तीसगढ़’ का संपादकीय : कहीं बच्चे पाने के लिए अन्धविश्वास,  तो कहीं बच्चे मार डालने के पीछे...

उत्तर प्रदेश के बरेली से एक दिल दहलाने वाली खबर सामने आई है जिसमें एक महिला ने अपने दो बच्चों का गला घोंटकर उन्हें मार डाला और सुबह घरवालों को कहा कि रात सपने में देवी दुर्गा आई थीं, और उन्होंने बच्चों को मार देने के लिए कहा था, इसलिए उसने उनका गला घोंट दिया। सात बरस पहले उसकी शादी हुई थी, और दो बरस का बेटा, छह महीने की बेटी, दोनों को उसने खत्म कर दिया, और खुद जेल चली गई। यह बात पूरी तरह से अभूतपूर्व तो नहीं है क्योंकि कभी-कभी, किसी न किसी प्रदेश से ऐसी खबर आती है कि किसी देवी या देवता का हुक्म मानकर लोग अपने ही घर के लोगों को मार डालते हैं। दरअसल लोगों के मन में अंधविश्वास इतना गहरा बैठा हुआ है कि वह बैठे-बैठे ऐसे सपने देखने लगते हैं, उन्हें ऐसा एहसास होने लगता है कि उन्हें देवी-देवता कोई हुक्म दे रहे हैं, और कोई अपनी जीभ काटकर मंदिर में प्रतिमा पर चढ़ा देते हैं, तो कोई घर के लोगों को मार डालते हैं।

ऐसा सिर्फ देवी-देवताओं के लिए होता है यह भी नहीं है, बहुत से लोग अपने आध्यात्मिक गुरुओं को लेकर इसी तरह का अंधविश्वास दिखाते हैं, और परिवार के लोगों को भी ले जाकर बलात्कारी बाबाओं को समर्पित कर देते हैं। जिस मामले में आसाराम नाम का तथाकथित बापू कैद काट रहा है, उसमें जिस नाबालिग बच्ची से उसने बलात्कार किया था वह उसके भक्तों की बेटी ही थी। ऐसा भी नहीं कि जो लोग बेटी पैदा कर चुके हैं, और बेटी स्कूल तक पहुंच चुकी है, उन मां-बाप को बाबाओं से बेटी को किसी तरह के खतरे का अहसास न रहा हो। लेकिन अंधविश्वास ऐसा रहता है कि लोग अपने पर, अपने परिवार पर होने वाले बलात्कार को भी खुशी-खुशी मंजूर करते हैं। ऐसा ही हाल इस महिला का था जिसने देवी के उस तथाकथित आदेश को पूरा करने के लिए अपने ही बच्चों को मार डाला। बहुत सारी महिलाएं ऐसी रहती हैं जो एक बच्चे की हसरत लिए हुए कई किस्मों के बाबाओं से बलात्कार करवाने की हद तक चली जाती हैं। और इस महिला ने अंधविश्वास में अपने बच्चों को इस तरह खत्म कर दिया, और खुद की भी लंबी जिंदगी जेल में कटने का इंतजाम कर लिया है।

इस बात को बार-बार जोर देकर लिखने की जरूरत रहती है कि किसी देश या समाज में अंधविश्वास से आजादी पाना बहुत मायने रखता है। यह बात न सिर्फ हत्या और आत्महत्या जैसी बड़ी खबरों में उभरकर दिखती है, बल्कि जिंदगी की छोटी-छोटी बातों में भी यह अंधविश्वास लोगों के लिए अड़ंगा बनकर खड़ा हो जाता है। अंधविश्वास के चलते लोग यह समझ नहीं पाते कि तरह-तरह के जादू-टोने और तंत्र मंत्र का पाखंड उनका नुकसान कर रहा है। लोग तरह-तरह के मुहूर्त देखते हैं, ताबीज बंधवाते हैं, और पाखंडी लोगों से कई किस्म की सलाह लेते हैं। नतीजा यह निकलता है कि एक खुले दिमाग से, तर्कशक्ति के साथ निष्कर्ष निकालकर आगे बढऩे का जो रास्ता सूझना चाहिए वह पाखंडियों के सुझाए हुए ऊटपटांग तरीकों से भटक जाता है। बहुत से लोगों ने देखा होगा कि लोगों के घरों में वास्तु शास्त्र के मुताबिक फेरबदल करने के लिए कई लोग चले आते हैं, और सोने के कमरे को रसोई बना देते हैं, रसोई को पाखाना और पखाने की जगह पर पूजा बना देते हैं। इसके बाद लोगों को लगता है कि उनकी जिंदगी बेहतर हो जाएगी। इस सिलसिले में केरल के एक सामाजिक कार्यकर्ता की याद पड़ती है जो कि अंधविश्वास के खिलाफ लगातार काम करता था और उसने वहां बहुत प्रचलित वास्तु शास्त्र के जानकारों को सार्वजनिक चुनौती दी कि वे एक मकान की ऐसी डिजाइन बना कर दें जो वास्तु शास्त्र के हिसाब से सबसे अधिक अशुभ हो, और फिर उसने उसे दी गई ऐसी डिजाइन के मुताबिक मकान बनाया और उसमें बहुत सुख शांति से पूरी जिंदगी गुजारी। पाखंड का इस तरह का विरोध जहां किया जाना चाहिए, वहां पर लोग पाखंड को बढ़ाने में लगे रहते हैं। इसी बलात्कारी आसाराम के पुराने वीडियो देखें उसकी पुरानी तस्वीरें देखें तो अलग-अलग पार्टियों के अनगिनत बड़े-बड़े नेता स्टेज पर जाकर उसके पांव छूते दिखते हैं। ऐसी ही चमत्कारी छवि बनाते हुए लोग अपने आपको स्थापित करते हैं और फिर भक्तों से बलात्कार करने तक की नौबत में आ जाते हैं।

हिंदुस्तानी लोगों के बीच पाखंड के खिलाफ, अंधविश्वास के खिलाफ, जागरूकता लाने की जरूरत है, और लोगों के बीच वैज्ञानिक सोच को बढ़ाने की जरूरत है। लेकिन जब-जब समाज के बहुतायत लोगों को धर्म और जाति के नाम पर, खानपान के नाम पर एक पाखंड में डुबाया जाएगा, और धर्मों का नाम लेकर दुकानदारी करने वाले लोगों को बढ़ावा देकर, उन्हें स्थापित करके, उनका चुनावी इस्तेमाल किया जाएगा, तो फिर ऐसे लोग समाज में खतरा भी बनेंगे, और समाज की अपनी सोचने की ताकत भी खत्म होती चलेगी। आज हिंदुस्तान इसी बात का शिकार है। जब देश अंतरिक्ष में पहुंच चुका है, जब टेक्नोलॉजी और विज्ञान ने जिंदगी को सहूलियतों से भर दिया है, तब भी लोगों के बीच अंधविश्वास आत्मघाती स्तर पर अगर पहुंचा हुआ है, तो इसके पीछे लोगों को ऐसा बनाए रखने की राजनीतिक साजिश है, और उसे समझना भी चाहिए।

छत्तीसगढ़ में डॉ. दिनेश मिश्रा जैसे सामाजिक कार्यकर्ता हैं जो कि अपने खर्च से, अपना वक्त निकालकर, गांव-गांव जाकर अंधविश्वास की हर घटना का भांडाफोड़ करते हैं, वहां लोगों को वैज्ञानिक बातें समझाते हैं, वहां पर लोगों की तर्कशक्ति विकसित करने की कोशिश करते हैं। अब दिक्कत यह है कि धर्म और अंधविश्वास के बीच फासले को इतना घटा दिया गया है कि उसे मानने वाले लोग उसे अंधविश्वास से दूर बताते हैं, लेकिन बड़ी आसानी से अंधविश्वास में फंस जाते हैं। इसलिए धार्मिक आस्था को अंधविश्वास से दूर करने की जरूरत है और अंधविश्वास को खत्म करने के लिए लोगों में वैज्ञानिक चेतना बढ़ाने की जरूरत है। इसकी कमी से सिर्फ हिंसक घटनाएं होती हो ऐसा भी नहीं है, वैज्ञानिक चेतना की कमी से लोगों के बीच कितने तरह के पूर्वाग्रह पैदा हो जाते हैं कि वे मेहनत करने के बजाए राहु-केतु और शनि की ग्रह दशा ठीक करने में लगे रहते हैं। यह सिलसिला अंधविश्वासी समाज को कभी भी उसकी पूरी संभावनाएं नहीं पाने देता।
(क्लिक करें : सुनील कुमार के ब्लॉग का हॉट लिंक)

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news