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रायपुर, 23 नवंबर। कपड़ा पर 5 से बढ़ाकर 12 प्रतिशत टैक्स लगाने के संबंध में छत्तीसगढ़ चेम्बर द्वारा केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को पत्र प्रेषित कर टैक्स यथावत 5 प्रतिशत बढ़ाने करने हेतु निवेदन किया गया है। श्री पारवानी ने बताया कि कपड़ा पर टैक्स बढ़ाने के सरकार के फैसले से पूरा कपड़ा व्यापार और उद्योग सदमे में है, जो कृषि के बाद दूसरी सबसे बड़ी राजस्व पैदा करने वाली वस्तु है।
श्री पारवानी ने बताया कि कपड़ा व्यापार कोरोना से बुरी तरह प्रभावित हुआ था, और अभी भी अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रहा है। ऐसी परिस्थितियों में टेक्सटाइल पर टैक्स की दरों में यह बढ़ोतरी टेक्सटाइल सेक्टर में एक और बहुत बड़ा झटका देगी। भोजन, कपड़ा, मकान, शिक्षा और स्वास्थ्य मनुष्य की मूलभूत आवश्यकताएं हैं। कृषि, स्वास्थ्य और शिक्षा पर कोई कर नहीं है, आवासीय घरों पर सरकार सब्सिडी प्रदान कर रही है और टैक्स की दर 1 और 5 प्रतिशत है। कपड़े जो कि एक बुनियादी जरूरत भी है, लेकिन कपड़ा व्यापार पर 12 प्रतिशत कर लगाया जाना उचित नहीं है।
श्री पारवानी ने बताया कि कई वर्षों तक कपड़ों पर कोई टैक्स नहीं लगता था। भारत भर के व्यापार संघों ने पिछली जीएसटी परिषद की बैठक के तुरंत बाद प्रतिनिधित्व किया था जिसमें कपड़ा पर उल्टे शुल्क संरचना को ठीक करने का प्रस्ताव था।
व्यापार और उद्योग द्वारा यह अनुरोध किया गया था कि यथास्थिति को 5 प्रतिशत की दर से बनाए रखा जाए और जहां भी लागू हो, दर 12 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत की जाए। हालांकि, दर को 5 प्रतिशत तक कम करने के बजाय अधिसूचना संख्या 14/2017 दिनांक 18.11.2017 को कर की दर को 5 प्रतिशत से बढ़ाकर 12 प्रतिशत कर दिया गया है।